कोई टाइटल नहीं

शिमला, 7 अप्रैल -हिमाचल के राजा और पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र ने अपने विरोधियों पर निशाना साधते हुए कहा कि वह हिमाचल छोड़ कर केंद्र की राजनीति में नहीं जाएंगे। उन्होंने कहा कि कुछ लोग उनकी पार्टी के ही उन्हें हिमाचल की राजनीति से बाहर देखना चाहते हैं उनकी ये मंशा कभी पूरी नहीं हो पाएगी। श्री वीर भद्र ने कहा कि लोकसभा चुनाव लडने का उनका कोई विचार नहीं है और न ही पार्टी की ओर से ऐसे कोई निर्देश या संकेत हैं।
वीरभद्र ने कहा कि जैसा कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी कहेंगी। कुछ नेताओं की ख्वाहिश या सुविधा के लिए वह दिल्ली जाने वाले नहीं। विधानसभा चुनावों में पार्टी की जीत को सुनिश्चित करने के लिए उन्होंने पूरा जोर लगाया, लेकिन भाजपा की 'फौज' के सामने वह अकेले पड गए। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव लडने का उनका कोई इरादा नहीं है।
उन्होंने कहा कि उन्हें प्रदेश की राजनीति से बाहर करने को प्रयासरत कांग्रेस के ही कुछ नेता इस तरह की चर्चा कर रहे हैं। कभी मेरे लोकसभा चुनाव लडने का शगूफा छोड़ा जाता है, तो कभी राज्यपाल बनाने का। उन्होंने कहा कि चंद स्थानीय नेताओें की ख्वाहिश और सुविधा के लिए वह प्रदेश छोड़ने वाले नहीं। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा कि पार्टी आलाकमान की ओर से उन्हें लोकसभा चुनाव को लेकर कोई निर्देश नहीं मिले हैं। पार्टी के कुछ लोगों की ख्वाहिश हो सकती है कि वह प्रदेश की राजनीति में न रहें। महज ऐसे लोगों को खुश करने के लिए वह दिल्ली नहीं जा सकते। उनके अनुसार वह पार्टी हित और सोनिया गांधी के कहने पर ही कोई कदम उठाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री का कहना है कि प्रदेश के कुछ नेता पहले भी पार्टी आलाकमान के समक्ष प्रदेश की गलत स्थिति पेश करते रहे हैं। विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत को सुनिश्चित करने का उन्होंने पूरा प्रयास किया, लेकिन वह भाजपा की फौज के सामने अकेले पड गए। विरोधियों की अपेक्षा केंद्र से उनकी पार्टी के कम नेता प्रचार के लिए हिमाचल आए। उन्होंने कहा कि प्रदेश में कांग्रेस पार्टी एकजुट है।
कुल्लू, 7 अप्रैल -
कुल्लत प्रदेश में 'काला सोना' का सालाना अरबाें रुपये का कारोबार होता है। इंटरनेशनल मार्केट में उत्तम किस्म की चरस की कीमत 20 लाख रुपये प्रति किलो है। गोरखधंधों के मास्टर माइंड बाहरी राज्यों से धंधों का संचालन कर रहे हैं।
उन्होंने स्थानीय लोगों को रिटेलर बना रखा है। ऊंची पहुंच वाले और विदेशी पर्यटक भी सैर-सपाटे के बहाने यहां ड्रग्स का जाल बिछा रहे हैं। खुफिया सूत्रों की मानें तो चरस तस्करी के केवल दस प्रतिशत मामले ही पुलिस के हत्थे चढते हैं। राज्य से बाहर उजागर हुए चरस के मामले स्पष्ट करते हैं कि ड्रग्स का कारोबार देश के विभिन्न राज्यों के अलावा विदेशों तक चल रहा है। हर साल पुलिस करीब क्विंटल चरस बरामद करती है, जिसकी कीमत करोड़ों रुपये में है। पुलिस से बच निकलने वाले लोगों की संख्या इससे कहीं अधिक है। गोवा, दिल्ली जैसे शहरों में चरस की अच्छी कीमत है।
कुल्लू पुलिस ने पिछले सत्रह वर्षों में करीब 17 क्विंटल चरस पकडी है। काले सोने के अलावा स्मैक, अफीम, गांजा, ब्राउन शूगर और एलएसडी के सौदागर भी पांव पसारने लगे हैं। खुफिया सूत्रों के मुताबिक चरस के अलावा अन्य ड्रग्स का कारोबार अरबों रुपये में पहुंच रहा है। चरस को स्टिल की शक्ल देकर तो कभी मूर्तियों में डालकर तस्करी के तरीके अपनाए जा रहे हैं। अखरोट और नारियल को काटकर उसके भीतर चरस तस्करी के मामले पुलिस ने उजागर किए हैं। स्मैक और एलएसडी जैसे महंगे और घातक ड्रग्स भी देवभूमि में फैलाए जा रहे हैं। चरस तस्करों में विदेशी, नेपाली और बाहरी राज्यों के लोग शामिल हैं। अब तक सीआईडी और जिला पुलिस ने दो सौ से अधिक विदेशी सैलानियों को ड्रग्स के साथ दबोचा है।
पुलिस अधीक्षक जगत राम के अनुसार चरस तस्करी में विदेशियों और दूसरे राज्यों के लोग ही मास्टर माइंड हैं। उन्होंने कहा कि एक किलो चरस की कीमत अंतरराष्ट्रीय बाजार में 20 लाख रुपये तक है। इस धंधे से जुड़े कुछ प्रतिशत लोग ही पुलिस के हत्थे चढते हैं। पुलिस तस्करों पर कडी नजर रखे हुए है। चरस तस्करी को रोकने में पुलिस की पकड कमजोर पडती नजर आ रही है। पिछले तीन सालों में पुलिस द्वारा बरामद चरस की मात्रा घटती जा रही है। 2004 में 160.790, 2005 में 123. 680, 2006 में 105.652, 2007 में 66. 489 किलोग्राम चरस बरामद हुई। एसपी जगत राम कहते हैं कि 'भांग उखाडो' अभियान की कामयाबी से तस्करी कम होती प्रतीत हो रही है। इस साल ड्रग्स का कारोबार शुरुआती दौर में फलने फूलने लगा है। एक जनवरी 2008 से 30 मार्च तक जिला पुलिस ने 32 किलोग्राम चरस बरामद की है। चरस के 23 मामलों में 26 लोग दबोचे गए। इनमें से 14 हरियाणा के हैं। एक विदेशी को भी दबोचा गया है। आनी क्षेत्र में तीन तस्करों से हाल ही में 17 किलोग्राम चरस बरामद हुई है।
पुलिस ने पिछले 17 सालों में करीब 17 क्विंटल चरस पकडी है तथा दो सौ विदेशियों समेत करीब छह सौ लोगों को गिरफ्तार किया गया। 1990 में 17.160, 1991 में 12.900, 1992 में 14.622, 1993 में 7.045, 1994 में 15.655, 1995 में 108, 1996 में 67.330, 1997 में 22. 125, 1998 में 39.105, 1999 में 28.185, 2000 में 193.870, 2001 में 106.435, 2002 में 385.200, 2003 में 146.346, 2004 में 160.790, 2005 में 123. 680, 2006 में 105.652, जबकि 2007 में 66.489 किलोग्राम चरस बरामद हुई।

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