हिमाचल प्रदेश के पूर्व सी एम भाजपा नेता प्रेम कुमार धूमल ने आज एक बार फिर मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह पर हमला बोलते हुये उन्हें एक पत्र लिखकर कहा है भाजपा की ओर से लगाये गये आरोपों पर जो प्रतिक््िरया वीरभद्र सिंह ने दी है उससे उन्हें निराशा भी हुई और यह बयान हास्यस्पद भी लगा। धूमल ने इस मामले पर यू पी ए अध्यक्षा सोनिया गांधी को भी खत लिखा है। धूमल का कहना है कि वीरभद्र सिंह समझते हैं कि भाजपा द्वारा उठाए गए मुददों को मनगढ़ंत और झूठे कह कर वह अपने ऊपर लगे भ्रष्टाचार के पुष्ट आरोपों से बच निकलेंगे। अपने कारनामों को छिपाने के लिए जिस भाषा का प्रयोग वह कर रहे हैं, वह जब कभी फुर्सत में स्वयं पढ़ेंगे तो उन्हें लगेगा कि वह मुख्यमंत्री के पद की गरिमा के अनुरूप नहीं है। उन्हीं घिसी-पिटी दलीलों को बार-बार दोहराने से वह सत्य नहीं हो जाएंगी। अपने विरोधियों के खिलाफ जिन मामलों का आपने जिक्र किया है, उनकी जांच तो आप अपने मन पसंद अधिकारियों से करवा रहे हैं और जो दबाव उन पर डाला जा रहा है वह भी, हमें सब मालूम है। आपको जांच करवाने और कार्यवाही से कोई नहीं रोक सकता। मनीलॉंडरिंग का जो आरोप आप लगा रहे हैं, वह आपके अपने कारनामों की एक झलक है। इन्हें देखकर गालिब का षेयर याद आता है:
'' तमाम उम्र गालिब ये गलती करता रहा ,
गर्द चेहरे पर जमी थी, आईना साफ करता रहा''।
धूमल ने दलील दी है कि जिन्होंने मनीलॉंडरिंग करनी होती है, वह तीन सालों में करोड़ों रूपए के हजारों टन सेब पैदा कर लेते हैं और लालू प्रसाद यादव की तरह उन्हें स्कूटरों और टैंकरों से ढो लेते हैं। मनीलॉंडरिंग का यह गोल्डन पीरियड केवल तीन साल के लिए ही आता है, उससे पहले या बाद में नहीं। ऐसे लोग 74 साल तक कोई गहने नहीं रखते परंतु 80 साल की आयु में 50 लाख के गहने बना लेते हैं। ऐसे लोग गैर-कानूनी तौर पर जमीन, अधिकारियों की मिलीभगत से अपने नाम करवा लेते हैं। पैसे देकर वह जमीन नहीं खरीदते हैं। अधिकारियों की मिलीभगत या उन पर दबाव डाल कर वैसे ही अपने नाम करवा लेते हैं और पकड़े जाने पर कहते हैं कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी। बकौल धूमल ऐसे लोग प्रदेष की भोली-भाली जनता को तो गुमराह करते ही हैं, अपनी हाईकमान को भी सही तथ्य नहीं बताते हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने मन्त्रीमण्डल के उन सदस्यों से बयान जारी करवाते हैं जिन्हें पता ही नहीं होता कि क्या बयान जारी हुआ है। मुख्यमंत्री जी जो सवाल आपसे हमने किए हैं, उनका सही और स्टीक जवाब आप से चाहता हूं ताकि जनता और आपकी हाईकमान उनसे अवगत हो जाए। धूमल ने बाकायदा दस सवालों के जवाब वीरभद्र सिंह से पूछे हैं।
1. 3.9 करोड़ रूपए जिसका आपने अपने जवाब में जिक्र किया है, के अलावा जो 2 करोड़ रूपए आपके बेटे विक्रमादित्य के बैंक खाते में वर्श 2011 में, 60 लाख आपकी धर्मपत्नी श्रीमति प्रतिभा सिंह के खाते में फरवरी 2013 में और 1.20 करोड़ रूपए आपके खाते में मई 2013 में जमा हुए उस पर आपका क्या कहना है ?
2. आपके परिवार के तीन सदस्यों ने जो षेयर लिए, उनकी एवज में कब-2 और कितना-2 भुगतान किया और उनका जिक्र आप दोनों ने अपने हल्फनामों में क्यों नहीं किया ? आपने 2110 षेयर तो दर्षाये लेकिन 9.80 लाख षेयरों का जिक्र करना कैसे भूल गए ?
3. प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को पब्लिक लिस्टेड कम्पनी कह कर सबको आपने गुमराह क्यों किया ?
4. अपने बच्चों की कम्पनी-''मैप्पल डेसटिनेषन एंड ड्रीमबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड'' का जिक्र आज तक क्यों नहीं किया और इस कम्पनी में लगाए गए करोड़ों रूपए का स्त्रोत क्या है ?
5. क्या यह सच नहीं है कि भाजपा सरकार के समय किया गया 17 मैगावाट वाला साईं कोठी पावर प्रोजेक्ट का आवंटन वर्श 2003 में रदद् हो गया था और जिस आंवटन पर अब प्रष्न लग रहे हैं, वह दूसरी बार आपकी सरकार ने ही किया है। अपनी हाईकमान के साथ-साथ आप जनता को क्यों गुमराह कर रहे हैं ?
6. पुन: आवंटन के प्रस्ताव को आपका मंत्रीमण्डल जब तीन वार ठुकरा चुका था तो फिर क्यों इस प्रोजैक्ट को आवंटित किया गया ?
7. आवंटन रदद् करने वाद पुुन: आवंटन के लिए यह प्रस्ताव कब-2 कैविनेट में लाया गया और तीन वार रदद् होने के बाद कब न्यायालय ले जाया गया ? उच्चतम न्यायालय का तथाकथित निर्णय क्या है, उसे सार्वजनिक किया जाये।
8. जब आपके दर्जनों बैंक खातों में करीब 9. 5 करोड़ रूपए थे, तो करोड़ों का कर्ज आपने क्यों उठाया जबकि कर्जा देने वाला व्यक्ति स्वयं डिफॉल्टर है ?
9. आप कह रहे हैं कि कर्जा लेने का कारण वकीलों को फीस देना है जबकि कर्जा देने वाला यह कहता है कि उसने तो यह ऋण आपके पुराने महल की मुरम्मत के लिए दिया है। श्रीमति प्रतिभा सिंह कहती हैं कि 60 लाख रूपए 27 फरवरी 2013 को तारिणी इन्फ्रास्ट्रक्चर के षेयर बेचने पर मिला जबकि कम्पनी 11 नवंबर 2013 को रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज को अपनी वार्शिक आम सभा की रिपोर्ट में कहती हैं कि आपके षेयर पहले की तरह 9.80 लाख ही है। उल्टे यदि षेयर कम हुए हैं तो तारिणी जो बकामुल्ला की सुपुत्री है, के हुए हैं जो 1 लाख 54 हजार 600 से कम हो कर अब 64 हजार 350 रह गए हैं।
10. हिमाचल प्रदेष का सेब उत्पादक आप से वह गुरू मंत्र जानना चहता है जिसमें तीन वर्श में पैदा होने वाला सेब 47 लाख 35 हजार रू0 से बढक़र 6 करोड़ 56 लाख रू0 का हो गया। यह भी संयोग है कि इन गोल्डन तीन सालों (2009, 2010 व 2011) से पहले भी सेब का उत्पादन कम था और इनके बाद फिर कम हो गया ?
आपकी हमेषा आदत रही है कि जब आप घिर जाते हैं तो आरोप लगाते हैं कि किसी ने साजिष कर दी। इस बार भाजपा पर और अपनी पार्टी पर भी आपने आरेाप लगा दिया। कृपया बताएं कि आपके बगीचों में करोड़ों रूपए का सेब पैदा करना, आपके और आपके परिवार का करोड़ों का बीमा करवाना, अनसेक्योरड ऋण दिलाना, सैंकड़ों टन सेब स्कूटरों और कारों के जरिए मार्केट तक पहुंचाना क्या भाजपा व आपके कांग्रेसी मित्रों की साजिष थी ? कम्पनी में षेयर देना, मैप्पल डेसटिनेषन एंड ड्रीमबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड बनाना, क्या यह भी विपक्ष की साजिष थी ? हम सभी को कबीर का वह दोहा याद रखना चाहिए:
''बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोए,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोए''।
धूमल ने वीरभद्र सिंह को आत्म निरीक्षण करने की सलाह देते हुये कहा है कि दूसरों पर आरोप लगाने की बजाए जाने-अनजाने में भी की गई गलतियों को स्वीकारते हुए वीरभद्र सिंह खुद त्याग पत्र दे दें। कहीं ऐसा न हो कि आप अपनी जिदद् पर अड़े रहें और उन्हें हाईकमान मजबूरन विदा कर दे।
'' तमाम उम्र गालिब ये गलती करता रहा ,
गर्द चेहरे पर जमी थी, आईना साफ करता रहा''।
धूमल ने दलील दी है कि जिन्होंने मनीलॉंडरिंग करनी होती है, वह तीन सालों में करोड़ों रूपए के हजारों टन सेब पैदा कर लेते हैं और लालू प्रसाद यादव की तरह उन्हें स्कूटरों और टैंकरों से ढो लेते हैं। मनीलॉंडरिंग का यह गोल्डन पीरियड केवल तीन साल के लिए ही आता है, उससे पहले या बाद में नहीं। ऐसे लोग 74 साल तक कोई गहने नहीं रखते परंतु 80 साल की आयु में 50 लाख के गहने बना लेते हैं। ऐसे लोग गैर-कानूनी तौर पर जमीन, अधिकारियों की मिलीभगत से अपने नाम करवा लेते हैं। पैसे देकर वह जमीन नहीं खरीदते हैं। अधिकारियों की मिलीभगत या उन पर दबाव डाल कर वैसे ही अपने नाम करवा लेते हैं और पकड़े जाने पर कहते हैं कि उन्हें कानून की जानकारी नहीं थी। बकौल धूमल ऐसे लोग प्रदेष की भोली-भाली जनता को तो गुमराह करते ही हैं, अपनी हाईकमान को भी सही तथ्य नहीं बताते हैं। अपनी कुर्सी बचाने के लिए अपने मन्त्रीमण्डल के उन सदस्यों से बयान जारी करवाते हैं जिन्हें पता ही नहीं होता कि क्या बयान जारी हुआ है। मुख्यमंत्री जी जो सवाल आपसे हमने किए हैं, उनका सही और स्टीक जवाब आप से चाहता हूं ताकि जनता और आपकी हाईकमान उनसे अवगत हो जाए। धूमल ने बाकायदा दस सवालों के जवाब वीरभद्र सिंह से पूछे हैं।
1. 3.9 करोड़ रूपए जिसका आपने अपने जवाब में जिक्र किया है, के अलावा जो 2 करोड़ रूपए आपके बेटे विक्रमादित्य के बैंक खाते में वर्श 2011 में, 60 लाख आपकी धर्मपत्नी श्रीमति प्रतिभा सिंह के खाते में फरवरी 2013 में और 1.20 करोड़ रूपए आपके खाते में मई 2013 में जमा हुए उस पर आपका क्या कहना है ?
2. आपके परिवार के तीन सदस्यों ने जो षेयर लिए, उनकी एवज में कब-2 और कितना-2 भुगतान किया और उनका जिक्र आप दोनों ने अपने हल्फनामों में क्यों नहीं किया ? आपने 2110 षेयर तो दर्षाये लेकिन 9.80 लाख षेयरों का जिक्र करना कैसे भूल गए ?
3. प्राइवेट लिमिटेड कम्पनी को पब्लिक लिस्टेड कम्पनी कह कर सबको आपने गुमराह क्यों किया ?
4. अपने बच्चों की कम्पनी-''मैप्पल डेसटिनेषन एंड ड्रीमबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड'' का जिक्र आज तक क्यों नहीं किया और इस कम्पनी में लगाए गए करोड़ों रूपए का स्त्रोत क्या है ?
5. क्या यह सच नहीं है कि भाजपा सरकार के समय किया गया 17 मैगावाट वाला साईं कोठी पावर प्रोजेक्ट का आवंटन वर्श 2003 में रदद् हो गया था और जिस आंवटन पर अब प्रष्न लग रहे हैं, वह दूसरी बार आपकी सरकार ने ही किया है। अपनी हाईकमान के साथ-साथ आप जनता को क्यों गुमराह कर रहे हैं ?
6. पुन: आवंटन के प्रस्ताव को आपका मंत्रीमण्डल जब तीन वार ठुकरा चुका था तो फिर क्यों इस प्रोजैक्ट को आवंटित किया गया ?
7. आवंटन रदद् करने वाद पुुन: आवंटन के लिए यह प्रस्ताव कब-2 कैविनेट में लाया गया और तीन वार रदद् होने के बाद कब न्यायालय ले जाया गया ? उच्चतम न्यायालय का तथाकथित निर्णय क्या है, उसे सार्वजनिक किया जाये।
8. जब आपके दर्जनों बैंक खातों में करीब 9. 5 करोड़ रूपए थे, तो करोड़ों का कर्ज आपने क्यों उठाया जबकि कर्जा देने वाला व्यक्ति स्वयं डिफॉल्टर है ?
9. आप कह रहे हैं कि कर्जा लेने का कारण वकीलों को फीस देना है जबकि कर्जा देने वाला यह कहता है कि उसने तो यह ऋण आपके पुराने महल की मुरम्मत के लिए दिया है। श्रीमति प्रतिभा सिंह कहती हैं कि 60 लाख रूपए 27 फरवरी 2013 को तारिणी इन्फ्रास्ट्रक्चर के षेयर बेचने पर मिला जबकि कम्पनी 11 नवंबर 2013 को रजिस्ट्रार ऑफ कम्पनीज को अपनी वार्शिक आम सभा की रिपोर्ट में कहती हैं कि आपके षेयर पहले की तरह 9.80 लाख ही है। उल्टे यदि षेयर कम हुए हैं तो तारिणी जो बकामुल्ला की सुपुत्री है, के हुए हैं जो 1 लाख 54 हजार 600 से कम हो कर अब 64 हजार 350 रह गए हैं।
10. हिमाचल प्रदेष का सेब उत्पादक आप से वह गुरू मंत्र जानना चहता है जिसमें तीन वर्श में पैदा होने वाला सेब 47 लाख 35 हजार रू0 से बढक़र 6 करोड़ 56 लाख रू0 का हो गया। यह भी संयोग है कि इन गोल्डन तीन सालों (2009, 2010 व 2011) से पहले भी सेब का उत्पादन कम था और इनके बाद फिर कम हो गया ?
आपकी हमेषा आदत रही है कि जब आप घिर जाते हैं तो आरोप लगाते हैं कि किसी ने साजिष कर दी। इस बार भाजपा पर और अपनी पार्टी पर भी आपने आरेाप लगा दिया। कृपया बताएं कि आपके बगीचों में करोड़ों रूपए का सेब पैदा करना, आपके और आपके परिवार का करोड़ों का बीमा करवाना, अनसेक्योरड ऋण दिलाना, सैंकड़ों टन सेब स्कूटरों और कारों के जरिए मार्केट तक पहुंचाना क्या भाजपा व आपके कांग्रेसी मित्रों की साजिष थी ? कम्पनी में षेयर देना, मैप्पल डेसटिनेषन एंड ड्रीमबिल्ड प्राइवेट लिमिटेड बनाना, क्या यह भी विपक्ष की साजिष थी ? हम सभी को कबीर का वह दोहा याद रखना चाहिए:
''बुरा जो देखन मैं चला, बुरा न मिलया कोए,
जो दिल खोजा आपना, मुझसे बुरा न कोए''।
धूमल ने वीरभद्र सिंह को आत्म निरीक्षण करने की सलाह देते हुये कहा है कि दूसरों पर आरोप लगाने की बजाए जाने-अनजाने में भी की गई गलतियों को स्वीकारते हुए वीरभद्र सिंह खुद त्याग पत्र दे दें। कहीं ऐसा न हो कि आप अपनी जिदद् पर अड़े रहें और उन्हें हाईकमान मजबूरन विदा कर दे।