अपने पिता राजा वीरभद्र सिंह की अंत्येष्टि के बाद उनके पुत्र विक्रमादित्य सिंह ने कहा - मैं आज वचन देता हूं कि आजीवन राजा साहब की सोच पर चलूंगा। प्रदेश को लेकर राजा साहब के जो सपने थे, उन्हें पूरा करने का हरसंभव प्रयास करूंगा। इसमें कई कठिनाइयां और उतार-चढ़ाव आएंगे, लेकिन फिर भी पीछे नहीं हटूंगा। राजा साहब ने हिमाचल प्रदेश को एक सूत्र में बांधा था। देवी-देवताओं के प्रति राजा साहब की अटूट आस्था थी, मैं भी उसे पूरा जीवन कायम रखूंगा।
वीरभद्र सिंह के पार्थिव शरीर के सामने पद्म पैलेस में उनके बेटे विक्रमादित्य सिंह का राज तिलक हुआ। इसी के साथ उन्हें बुशहर रियायत का 123वां राजा चुन लिया गया। बुशहर रियासत भगवान कृष्ण कीवंशावली से संबंधित मानी जाती है। शनिवार सुबह विक्रमादित्य सिंह को पीपल के पेड़ के नीचे राजगद्दी पर बैठाया गया। यह प्रक्रिया परदे में हुई। इस दौरान राजगद्दी कक्ष में केवल राजपरिवार के चुनिंदा लोगों और पुरोहितों को ही अंदर जाने की अनुमति रही। दोपहर बाद जैसे ही वीरभद्र सिंह की पार्थिव देह बाहर लाई गई तो उन्हें महल के भीतर राज सिंहासन पर बैठाया गया।