लीड एजुकेशन टेक्नोंलॉजी ने धर्मशाला के टीचर्स के लिए आसान किया ऑन लाइन शिक्षण
धर्मशाला, 08 सितंबर (विजयेन्दर शर्मा) । पिछले लगभग दो साल से धर्मशाला के स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेस चल रही है जो की अब सामान्य तरीके से चल रही है लेकिन शुरू शुरू में इसमें कई परेशानिया थी ऐसे में लीड एजुकेशन टेक्नोंलॉजी ने धर्मशाला के टीचर्स के लिए इसे आसान बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया । शिक्षकों को स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे डिवाइसेज का इस्तेमाल सीखना पड़ा। उन्हें डिजिटल सॉफ्टवेयर और अन्य प्लेटफॉर्मों के प्रयोग में कुशल बनना पड़ा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में स्टूडेंट्स की पढ़ाई बेरोकटोक करने के लिए पढ़ाने के नए.नए तरीकों का प्रयोग करना पड़ा। स्कूल के मालिकों ने शिक्षकों को लगातार सशक्त बनाना जारी रखा। उन्होंने पैरंट्स को आश्वस्त किया और स्टूडेंट्स की नए माहौल में सीखने और उन्हें नए वातावरण में एडजस्ट करने में मदद की। इसके लिए काफी नए.नए तरीके ईजाद किए गए।
एडटेक (एजुकेशन टेक्नोंलॉजी) लीड जो कि देशभर में के.12 सेगमेंट में 2000 से अधिक स्कूलों को पावर करता है ने भारत के शिक्षकों तक पहुंच बनाई ताकि महामारी के दौरान उनके सामने आ रही चुनौतियों को समझा जा सके और स्कू्ल दोबारा खुलने पर प्रभावी शिक्षण की दिशा में उनकी अपेक्षाओं के बारे में जानकारी मिल सके। धर्मशाला के कई टीचर्स यह महसूस करते हैं कि उन्हें स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए तकनीक को अपनाना पड़ा।
धर्मशाला में स्टेनफोर्ड वर्ल्ड स्कूल की प्रोफेसर अंजलि थापा ने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा शुरुआत में स्टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ाई के माहौल के अनुसार ढालने में काफी मुश्किल हुई क्योंकि उन्होंने हमेशा से क्लासरूम में टीचरों को पढ़ाते देखा था। क्लास में टीचरों के सामने बैठकर पढ़ने की स्टूडेंट्स की मानसिकता ने उनकी परेशानियों में इजाफा किया। इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी और तकनीकी उपकरणों तक पहुंच भी कुछ ऐसी चुनौतियां थीं जिसका खासतौर पर मेट्रो शहरों में न रहने वाले छात्रों को सामना करना पड़ा। दूसरी ओर स्कूल फ्रॉम होम के माहौल को बनाने में अभिभावकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें तकनीकी उपकरणों और कंप्यूटर एप्लिकेशंस से भी परिचित और फ्रेंडली होना पड़ा। समय और लीड के सहयोग के साथ हम सभी ने पढ़ाने के नए तरीके को सीखा। लीड ऐप ने समय से और प्रभावी ढंग तरीके से ऑनलाइन टीचिंग सेशन कंडक्ट करने में हमारी मदद की। क्लास रूम में दिए जाने वाले लेक्चर्स तैयार करने में हमारी सहायता की और हमें जरूरी स्टडी मटीरियल प्रदान किया। ऑनलाइन टीचिंग का यह तरीका यहां रुकने के लिए आया है। हमें इस स्थिति ने यह अवसर प्रदान किया है कि हम कोविड के बाद के युग में ऑनलाइन टीचिंग को अपनी शिक्षण प्रणाली में शामिल कर सकें और इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें।
लीड के सह संस्थापक और सीईओ सुमित मेहता ने कहा स्टूडेंट्स और अभिभावकों के अलावा टीचर्स ने भी महामारी के प्रकोप से सामने आई चुनौतियों का काफी साहस से सामना किया। पिछला एकेडेमिक ईयर खासतौर से शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। उनके पास अपना नजरिया बदलने और बदली हुई स्थिति में पढ़ाने की तैयारी करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं था। स्कूलों को सभी टीचर्स को डिजिटल रिसोर्सेज जैसा जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना चाहिए जिससे स्टूडेंट्स को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों फॉर्मेट में बेजोड़ शिक्षा प्रदान की जा सके।
इसी स्कूल की एक अन्य शिक्षिका निंदू ठाकुर ने कहा ऑनलाइन टीचिंग की ओर एकाएक शिफ्ट होना शुरुआत में हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। हम नई तकनीक से संबंधित उपकरणों और तरीकों को सीखने में काफी परेशानी हुई। हमने इसे छात्रों का भविष्य संवारने के लिए सीखा जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ाई का कोई नुकसान न उठाना पड़े। महामारी के दौर में लीड द्वारा सुनिश्चित की गई व्यक्तिगत पढ़ाई ने हमें स्टूडेंट्स की खूबियों और कमजोरिय़ों को पहचानने में मदद दी जिससे पढ़ाई के नतीजों में सुधार आया।
धर्मशाला, 08 सितंबर (विजयेन्दर शर्मा) । पिछले लगभग दो साल से धर्मशाला के स्कूलों में ऑन लाइन क्लासेस चल रही है जो की अब सामान्य तरीके से चल रही है लेकिन शुरू शुरू में इसमें कई परेशानिया थी ऐसे में लीड एजुकेशन टेक्नोंलॉजी ने धर्मशाला के टीचर्स के लिए इसे आसान बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण योगदान दिया । शिक्षकों को स्मार्टफोन और लैपटॉप जैसे डिवाइसेज का इस्तेमाल सीखना पड़ा। उन्हें डिजिटल सॉफ्टवेयर और अन्य प्लेटफॉर्मों के प्रयोग में कुशल बनना पड़ा। उन्हें शिक्षण के क्षेत्र में स्टूडेंट्स की पढ़ाई बेरोकटोक करने के लिए पढ़ाने के नए.नए तरीकों का प्रयोग करना पड़ा। स्कूल के मालिकों ने शिक्षकों को लगातार सशक्त बनाना जारी रखा। उन्होंने पैरंट्स को आश्वस्त किया और स्टूडेंट्स की नए माहौल में सीखने और उन्हें नए वातावरण में एडजस्ट करने में मदद की। इसके लिए काफी नए.नए तरीके ईजाद किए गए।
एडटेक (एजुकेशन टेक्नोंलॉजी) लीड जो कि देशभर में के.12 सेगमेंट में 2000 से अधिक स्कूलों को पावर करता है ने भारत के शिक्षकों तक पहुंच बनाई ताकि महामारी के दौरान उनके सामने आ रही चुनौतियों को समझा जा सके और स्कू्ल दोबारा खुलने पर प्रभावी शिक्षण की दिशा में उनकी अपेक्षाओं के बारे में जानकारी मिल सके। धर्मशाला के कई टीचर्स यह महसूस करते हैं कि उन्हें स्टूडेंट्स को पढ़ाने के लिए तकनीक को अपनाना पड़ा।
धर्मशाला में स्टेनफोर्ड वर्ल्ड स्कूल की प्रोफेसर अंजलि थापा ने अपने अनुभवों को याद करते हुए कहा शुरुआत में स्टूडेंट्स को ऑनलाइन पढ़ाई के माहौल के अनुसार ढालने में काफी मुश्किल हुई क्योंकि उन्होंने हमेशा से क्लासरूम में टीचरों को पढ़ाते देखा था। क्लास में टीचरों के सामने बैठकर पढ़ने की स्टूडेंट्स की मानसिकता ने उनकी परेशानियों में इजाफा किया। इंटरनेट की बेहतर कनेक्टिविटी और तकनीकी उपकरणों तक पहुंच भी कुछ ऐसी चुनौतियां थीं जिसका खासतौर पर मेट्रो शहरों में न रहने वाले छात्रों को सामना करना पड़ा। दूसरी ओर स्कूल फ्रॉम होम के माहौल को बनाने में अभिभावकों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके लिए उन्हें तकनीकी उपकरणों और कंप्यूटर एप्लिकेशंस से भी परिचित और फ्रेंडली होना पड़ा। समय और लीड के सहयोग के साथ हम सभी ने पढ़ाने के नए तरीके को सीखा। लीड ऐप ने समय से और प्रभावी ढंग तरीके से ऑनलाइन टीचिंग सेशन कंडक्ट करने में हमारी मदद की। क्लास रूम में दिए जाने वाले लेक्चर्स तैयार करने में हमारी सहायता की और हमें जरूरी स्टडी मटीरियल प्रदान किया। ऑनलाइन टीचिंग का यह तरीका यहां रुकने के लिए आया है। हमें इस स्थिति ने यह अवसर प्रदान किया है कि हम कोविड के बाद के युग में ऑनलाइन टीचिंग को अपनी शिक्षण प्रणाली में शामिल कर सकें और इसका ज्यादा से ज्यादा लाभ ले सकें।
लीड के सह संस्थापक और सीईओ सुमित मेहता ने कहा स्टूडेंट्स और अभिभावकों के अलावा टीचर्स ने भी महामारी के प्रकोप से सामने आई चुनौतियों का काफी साहस से सामना किया। पिछला एकेडेमिक ईयर खासतौर से शिक्षकों के लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। उनके पास अपना नजरिया बदलने और बदली हुई स्थिति में पढ़ाने की तैयारी करने के लिए बिल्कुल भी समय नहीं था। स्कूलों को सभी टीचर्स को डिजिटल रिसोर्सेज जैसा जरूरी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रदान करना चाहिए जिससे स्टूडेंट्स को ऑफलाइन और ऑनलाइन दोनों फॉर्मेट में बेजोड़ शिक्षा प्रदान की जा सके।
इसी स्कूल की एक अन्य शिक्षिका निंदू ठाकुर ने कहा ऑनलाइन टीचिंग की ओर एकाएक शिफ्ट होना शुरुआत में हमारे लिए काफी चुनौतीपूर्ण था। हम नई तकनीक से संबंधित उपकरणों और तरीकों को सीखने में काफी परेशानी हुई। हमने इसे छात्रों का भविष्य संवारने के लिए सीखा जिससे स्टूडेंट्स को पढ़ाई का कोई नुकसान न उठाना पड़े। महामारी के दौर में लीड द्वारा सुनिश्चित की गई व्यक्तिगत पढ़ाई ने हमें स्टूडेंट्स की खूबियों और कमजोरिय़ों को पहचानने में मदद दी जिससे पढ़ाई के नतीजों में सुधार आया।