लम्पी स्किन रोग एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है। जो मुख्यतः गाय व भैंसों में होता है

धर्मशाला, 20 अगस्त ( विजयेन्दर शर्मा ) । डॉ0 सर्वेश गुप्ता, पशु चिकित्सा अधिकारी (पैथोलॉजी), जोनल पशु चिकित्सालय, नगरोटा बगवां ने जानकारी देते हुए बताया कि लम्पी स्किन रोग एक विषाणु जनित संक्रामक रोग है। जो मुख्यतः गाय व भैंसों में होता है। पशु को तेज बुखार 104 से 106 डिग्री फारेनहाइट, त्वचा में सूजन व मोटी-मोटी गांठ, लिम्फ नोड्स में सोजिश, आहार खाने में परेशानी, कमजोरी व दूध उत्पादन में कमी इस रोग के प्रमुख लक्षण हैं। उन्होंने बताया कि लम्पी स्किन रोग बहुत तेजी से फैलने वाला रोग है। इस रोग का विषाणु मच्छरों, मक्खियों, चिचड़ी आदि कीटों से आसानी से फैलता है। इसके साथ ही यह दूषित पानी, लार एवं चारे के माध्यम से भी पशुओं को संक्रमित करता है। यह रोग गर्म एवं नमी वाले मौसम में ज्यादा तीव्रता से फैलता है।
उन्होंने बताया कि लम्पी स्किन रोग के बढ़ते प्रकोप को देखते हुये रोग निरोधक उपाय के लिये कुछ उपाय अपनाये जा सकते हैं। पशुओं को कीटनाशक दवाई (साइपरमेथ्रिन, फ्लुमेथ्रिन या एमिट्राज) या आइब्रुमेक्टिन के टीके पशु चिकित्सक के परामर्श के बाद लगवाएं ताकि बाह्य परजीवियों पर नियन्त्रण पाया जा सके। पशुओं को सुबह थोड़ा विलम्ब से पशुशाला से बाहर लाएं और सायंकाल से थोड़ा पहले पशुओं को पशुशाला के अन्दर बांध दें ताकि मच्छर के प्रकोप से बचा जा सके। पशुओं को 24 घंटे खुले में न बांधें। पशुशाला के आस पास उगे खर-पतवार को काट दें ताकि उसमें मच्छर न पनप सके ।पशुशाला में सफाई रखें और नियमित तोर पर गोबर को बाहर निकालें आमतौर पर मक्खियाँ गोबर पर पनपती हैं इसलिए यह जरूरी है कि खाद के लिए बनाए जाने वाले गोबर के ढ़ेर को पशुशाला से दूर बनाएं और केवल उसके चारों तरफ ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें ताकि उसमें मक्खी न पनप सके । पशुशाला की नालियों को साफ रखें और हफ्ते में दो बार ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें सायं काल में पशुशाला के बाहर पत्तों या गत्ते को जलाकर धुआं करें ताकि मक्खी, मच्छर को भगाया जा सके। पशुशाला को खाली करके इसमें कीटनाशक दवाई जैसे साइपरमेथ्रिन 3 मिली प्रति एक लीटर पानी के घोल का स्प्रे कर सकते हैं ताकि बाह्य परजीवियों पर नियन्त्रण पाया जा सके। पशुशाला की दीवारों पर चूने की पुताई करना।पशुशाला की खिड़कियों पर जाली लगवाना। पशुशाला का फर्श अगर कच्चा हो तो उस पर चूने का छिड़काव करें और यदि पक्का फर्श हो तो पोटैशियम प्रमेगानेट (लालदवाई) के घोल से साफ करें।
डॉ0 सर्वेश ने बताया कि लम्पी स्किन रोग के प्रारम्भिक लक्ष्ण दिखाई दने पर कुछ नियंत्रण उपाय अपनाये जा सकते हैं। बीमार पशु को अन्य स्वस्थ पशुओं से अलग कर दें और उसे खुले में चरने के लिए न छोड़ें। बीमार पशु की सूचना तुरंत नजदीकी पशु चिकित्सा संस्थान पर दें ताकि रोग निदान व उपचार शुरू किया जा सके स्वस्थ पशुओं को चारा और पानी देने के बाद ही बीमार पशु को खाने के लिए चारा डालें। बीमार पशु के बचे हुए चारे को जला दें। स्वस्थ पशुओं का दैनिक कार्य पहले करें। संक्रमित पशुशाला में लोगों को जाने से मना करें। संक्रमित पशुशाला को कीटाणु रहित करने के लिए सोडियम हाईपोक्लोराईट के 2 से 3 प्रतिशत घोल का छिड़काव करें। मृत पशु के सम्पर्क में रही वस्तुओं व स्थान को फिनाइल, लाल दवाई आदि से कीटाणु रहित करें । लम्पी स्किन रोग से मृत पशु को लगभग 1.5 मीटर गहरे गड्डे में चूने या नमक के साथ दबा दें। रोग ग्रस्त क्षेत्र में पशुओं की आवाजाही रोकें।
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22 अगस्त रहेगी विद्युत आपूर्ति बाधित

  धर्मशाला, 20 अगस्त ( विजयेन्दर शर्मा ) ।  
    उन्होंने बताया कि मौसम खराब होने या अन्य आक्स्मिक आपदा की स्थिति में यह कार्य स्थगित या आंशिक रूप से किया जा सकता है। इस दौरान उन्होंने लोगों से सहयोग की अपील की है।
BIJENDER SHARMA

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