हिमाचल का कालेश्वर महादेव मंदिर राष्ट्रीय महत्व के धरोहर स्थलों में शामिल

हिमाचल का कालेश्वर महादेव मंदिर  राष्ट्रीय महत्व के धरोहर स्थलों में शामिल
 धर्मशाला   04  अगस्त ( विजयेन्दर शर्मा ) । । केन्द्र सरकार की ओर से हिमाचल प्रदेश को नया तोहफा मिलने जा रहा है। जिसके तहत जिला कांगड़ा के देहरा उपमंडल की मनियाला पंचायत में स्थित प्राचीन ऐतिहासिक कालेशवर महादेव मंदिर को राष्ट्रीय महत्व के 20 धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है। सरकार ने पिछले तीन सालों में देश में कराये गये एक सर्वेक्षण के आधार पर चिन्हित की गई ऐतिहासिक धरोहरों में कालेशवर के शामिल होने से अब 450 साल पुराने इस मंदिर को संरक्षण मिलेगा। और प्रदेश में पर्यटन को भी पंख लगेंगे।
सरकार के इस निर्णय की जानकारी केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में देते हुये कहा है कि पिछले तीन सालों में बीस धरोहर स्थलों की पहचान राष्ट्रीय महत्व के स्थल के तौर पर की गई है। उन्होंने कहा कि हरियाणा के राखीगढ़ी में दो प्राचीन टीलों और दिल्ली में अनंगताल का नाम भी इन 20 धरोहरों स्थलों में शामिल है।  इस दौरान उनसे पूछा गया था कि क्या केंद्र सरकार ने पिछले तीन साल में नए ऐतिहासिक और धार्मिक स्थलों की खोज की है. इसके अलावा अन्य स्थलों में आंध्र प्रदेश के चिंताकुंटा में रॉक पेंटिंग और हिमाचल प्रदेश का कालेश्वर महादेव मंदिर शामिल है।
हरियाणा के हिसार जिले में दो गांवों (राखी खास और राखी शाहपुर) के आसपास बिखरे हुए सात टीले (आरजीआर 1-आरजीआर 7) हड़प्पा-युग के राखीगढ़ी पुरातात्विक स्थल का हिस्सा हैं. आरजीआर 7 एक कब्रिस्तान स्थल है. इस बात को एएसआई ने मई में कहा था। राखीगढ़ी साइट केंद्रीय बजट 2020-21 में केंद्र सरकार द्वारा घोषित 'पांच प्रतिष्ठित स्थलों' में से एक है.यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार ने राज्य सरकार के साथ समन्वय में पानीपत के संसदीय क्षेत्र में राजा विक्रमादित्य का स्मारक स्थापित करने का प्रस्ताव रखा है. इस पर केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा कि अभी तक ऐसी कोई योजना नहीं है।
 सोर्स के रूप में भारतीय ऐतिहासिक अनुसंधान परिषद का हवाला देते हुए केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने कहा कि इतिहासकार सुनील कुमार सरकार ने अपनी पुस्तक में उल्लेख किया है कि हिमू ने 22 लड़ाइयां लड़ीं और हर जगह विजयी रहा लेकिन कई अन्य लोगों द्वारा एक ही तथ्य प्रस्तुत नहीं किया गया है. हालांकि, इतिहासकार उनके रणनीतिक कौशल की सराहना करते हैं और उनके द्वारा जीती गई विभिन्न लड़ाइयों का उल्लेख करते हैं।
उन्होंने कहा कि इन लड़ाइयों में से कई अफगानों के खिलाफ रही होंगी जिन्होंने उनके इम्प्लोयर आदिल शाह के खिलाफ विद्रोह किया था. एक अन्य सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि संस्कृति मंत्रालय को 2015 से देश में 'रवीन्द्र भवनों' के जीर्णोद्धार के लिए कोई विशेष प्रस्ताव प्राप्त नहीं हुआ है. इसके अलावा, असम में 55 स्मारकों, स्थलों को प्राचीन स्मारक और पुरातत्व स्थल और अवशेष अधिनियम, 1958 के तहत संरक्षित घोषित किया गया है. सरकार ने कहा कि पिछले पांच सालों में मिजोरम में तीन स्मारकों को राष्ट्रीय महत्व के स्मारकों के रूप में घोषित किया गया है।


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