हिमाचल कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति के चलते केंद्रीय इस्पात मंत्री एवं पूर्व मुख्यमंत्री राजा वीरभद्र सिंह के जन्म दिन को भी उनके समर्थकों ने पार्टी के भीतर "शक्ति परीक्षण" का जरिया बना लिया। जन्म दिन के बहाने राजा समर्थकों ने विरोधी खेमे को यह संदेश देने का प्रयास किया है कि भले ही पार्टी हाईकमान वीरभद्र सिंह को राज्य की राजनीति से अलग रखना चाह रही हो लेकिन आज भी प्रदेश कांग्रेस के सर्वमान्य नेता वही हैं।
वीरभद्र सिंह जब से केंद्रीय राजनीति में गए हैं तब से राज्य में उनके विरोधियों द्वारा यह प्रचार किया जाता रहा है कि राजा साहब की अब राज्य की राजनीति से "विदाई" हो गई है। हाईकमान ने यह निर्णय ले लिया है कि प्रदेश में अगली बार यदि पार्टी की सरकार बनती है तो उसका मुखिया किसी और को बनाया जाएगा। वीरभद्र सिंह को क्योंकि दिल्ली में मंत्री बना दिया गया है इसलिए अब वह वहीं रहेंगे। हाईकमान के उपेक्षापूर्ण रवैये के बावजूद वीरभद्र समर्थक अपने बलबूते पर समय-समय पर यह संदेश देते रहे हैं कि पार्टी में आज भी बहुमत उनके साथ है। लेकिन यह पहला मौका है जब वीरभद्र सिंह के पक्ष में एक साथ अनेकों कांग्रेस विधायकों ने खुलेआम यह साबित करने का प्रयास किया हो कि वह वीरभद्र सिंह के साथ हैं।
वीरभद्र सिंह के जन्मदिन के मौके पर 18 विधायकों ने बाकायदा अखबारों में एक विज्ञापन देकर उन्हें जन्मदिन की शुभकामनाएं दी हैं। इस विज्ञापन में इन विधायकों के चित्र भी छपे हैं। इस विज्ञापन को राज्य कांग्रेस की गुटबंदी की राजनीति के साथ न जोड़ा जाता यदि इसमें सभी विधायकों के चित्र होते। मजेदार बात यह है कि इस विज्ञापन में जो विधायक नजर नहीं आ रहे हैं उनके बारे में कहा जाता है कि वे भी उन्हें अगली बार मुख्यमंत्री नहीं देखना चाहते। विज्ञापन में जिन विधायकों के चित्र छपे हैं उनमें पूर्व परिवहन मंत्री जीएस बाली भी शामिल हैं। हालांकि बाली को प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की नेता विद्या स्टोक्स का भी करीबी माना जाता रहा है लेकिन इस विज्ञापन में उनके फोटो छपने से वह राजा के चहेतों की सूची में शामिल हो गए हैं। जन्मदिन की बधाई को लेकर सत्ता के गलियारों में आज सारा दिन जो चर्चा रही, उसका केंद्र बिंदू जीएस बाली ही रहे।
बाली के अलावा राजा समर्थकों के इस शक्ति परीक्षण में शामिल होने वाले कांग्रेस विधायकों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष गंगूराम मुसाफिर, पूर्व मंत्री सुजान सिंह पठानिया, पूर्व मुख्य संसदीय सचिव मुकेश अगिनहोत्री एवं हर्षवर्धन चौहान के साथ-साथ कुलदीप सिंह पठानिया, प्रकाश चौधरी, सुधीर शर्मा, सोहन लाल, डा. प्रेम सिंह, कुश परमार, डा. सुभाष मंगलेट, राकेश कालिया, सुरेंद्र भारद्वाज, नीरज भारती, निखिल राजौर, योगराज और नंद लाल शामिल हैं। निखिल राजौर के भी शक्ति परीक्षण में शामिल होने से वीरभद्र विरोधियों को झटका लगा है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह के अलावा प्रदेश कांग्रेस विधायक दल की नेता विद्या स्टोक्स और उनके कट्टर समर्थक सुखविंद्र सुक्खू, पूर्व संचार मंत्री सुखराम के बेटे अनिल शर्मा के अतिरिक्त राजेश धर्माणी अखबारी विज्ञापनों के जरिए बधाई देने वालों में शामिल नहीं हैं। अब देखने वाली बात यह है कि इस विज्ञापन का राज्य कांग्रेस की राजनीति पर क्या असर पड़ता है।
सूत्रों के अनुसार विरोधी खेमे को इस विज्ञापन से जबरदस्त परेशानी हुई है। जिन विधायकों केचित्रों छपने की उम्मीद नहीं की जा सकती थी उन्हें लेकर जबरदस्त चर्चाएं हैं। कहा जा रहा है कि राजा समर्थकों ने यह संदेश दे दिया है कि हिमाचल में वीरभद्र सिंह के बिना कांग्रेस को आगे ले जाना संभव नहीं है। राजा समर्थक एक विधायक का कहना था कि इस बात के लिए सबूत जुटाने की जरूरत नहीं है कि पार्टी में आज बहुमत किस नेता के साथ है। उधर एक विरोधी विधायक की टिप्पणी थी कि कई विधायकों के फोटो उनकी मर्जी के बिना ही विज्ञापन में छाप दिए गए हैं। क्योंकि इस तरह की घटना हिमाचल की कांग्रेस राजनीति में पहली बार हुई है इसलिए इसे लेकर पार्टी के भीतर बहस छिडऩे के आसार भी नजर आ रहे हैं।
nice post
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