धर्मशाला --- शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन मंगलवार को कांग्रेस के विधायकों ने भोजनकाल के बाद शुरू हुई सदन में प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े के मामले पर चर्चा का जवाब दे रहे शिक्षामंत्री ईश्वर दास धीमान के उत्तर पर असहमति व्यक्त करते हुए सदन का बायकॉट कर दिया। कांग्रेस विधायक मांग कर रहे थे कि प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े की जांच को सार्वजनिक किया जाए।
उनका आरोप था कि स्कूल शिक्षा बोर्ड प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े मामले में प्रदेश सरकार लीपापोती कर रही है। उनका कहना है कि इस मामले में संलिप्त बड़े मगरमच्छों को बचाने के लिए केवल डाकियों व कर्मचारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। सदन में स्कूल शिक्षा बोर्ड में जाली प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह, प्रतिपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स व विधायक हर्षवधन चौहान ने चर्चा का प्रस्ताव रखा था। इस चर्चा में भाजपा विधायक रूप सिंह ठाकुर व विरेंद्र कुमार ने भाग लिया। इसके बाद शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान ने चर्चा के जवाब में सदन को जानकारी दी कि ऐसे मामले पर यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि मामला कब हुआ और कबसे शुरू हुआ, लेकिन यह अहम है कि इसमें सच्चाई क्या है। उन्होंने सदन को बताया कि अगर मामले को दबाने का प्रयास किया जाता तो केवल एक ही फोन कॉल पर आई शिकायत पर शिक्षा बोर्ड शीघ्र जांचकर इसे पुलिस को नहीं सौंपता। उन्होंने प्रदेश सरकार की मिली जांच के हवाले से यह भी बताया कि अगर इस मामले की जब दिव्य ज्योति संस्थान की मान्यता रद करने के साथ स्कूल शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठाई गई टिप्पणी पर सरकार ने उस समय उचित कार्रवाई की होती तो शायद ऐसी पुनरावृत्ति से बचा जा सकता है। उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट की जानकारी देनी शुरू की तो इतने में विपक्ष इस रिपोर्ट को सदन पर रखने और इसे सार्वजनिक करने की मांग को लेकर खड़ा हो गया। उन्होंने आपत्ति दर्ज की कि बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष व सचिव पर कार्रवाई क्यों नही की गई। इससे माहौल गर्मा गया और विपक्ष के विधायक सदन से बाहर चले गए। उन्होंने सदन के बाहर शिक्षा माफिया को बेनकाब व बोर्ड की जांच को सार्वजनिक करने की नारेबाजी की
उनका आरोप था कि स्कूल शिक्षा बोर्ड प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े मामले में प्रदेश सरकार लीपापोती कर रही है। उनका कहना है कि इस मामले में संलिप्त बड़े मगरमच्छों को बचाने के लिए केवल डाकियों व कर्मचारियों को ही निशाना बनाया जा रहा है। सदन में स्कूल शिक्षा बोर्ड में जाली प्रमाण पत्र फर्जीवाड़े पर कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह, प्रतिपक्ष की नेता विद्या स्टोक्स व विधायक हर्षवधन चौहान ने चर्चा का प्रस्ताव रखा था। इस चर्चा में भाजपा विधायक रूप सिंह ठाकुर व विरेंद्र कुमार ने भाग लिया। इसके बाद शिक्षा मंत्री ईश्वर दास धीमान ने चर्चा के जवाब में सदन को जानकारी दी कि ऐसे मामले पर यह बात महत्वपूर्ण नहीं है कि मामला कब हुआ और कबसे शुरू हुआ, लेकिन यह अहम है कि इसमें सच्चाई क्या है। उन्होंने सदन को बताया कि अगर मामले को दबाने का प्रयास किया जाता तो केवल एक ही फोन कॉल पर आई शिकायत पर शिक्षा बोर्ड शीघ्र जांचकर इसे पुलिस को नहीं सौंपता। उन्होंने प्रदेश सरकार की मिली जांच के हवाले से यह भी बताया कि अगर इस मामले की जब दिव्य ज्योति संस्थान की मान्यता रद करने के साथ स्कूल शिक्षा बोर्ड की कार्यप्रणाली पर उठाई गई टिप्पणी पर सरकार ने उस समय उचित कार्रवाई की होती तो शायद ऐसी पुनरावृत्ति से बचा जा सकता है। उन्होंने जांच समिति की रिपोर्ट की जानकारी देनी शुरू की तो इतने में विपक्ष इस रिपोर्ट को सदन पर रखने और इसे सार्वजनिक करने की मांग को लेकर खड़ा हो गया। उन्होंने आपत्ति दर्ज की कि बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष व सचिव पर कार्रवाई क्यों नही की गई। इससे माहौल गर्मा गया और विपक्ष के विधायक सदन से बाहर चले गए। उन्होंने सदन के बाहर शिक्षा माफिया को बेनकाब व बोर्ड की जांच को सार्वजनिक करने की नारेबाजी की