सरकारी भूमि पर कमजोर वर्गों के अतिक्रमण पर सहानुभूतिपूर्वक विचार होगा
प्रदेश सरकार ऐसे निर्धनतम व्यक्तियों द्वारा सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमणों को नियमित करने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी, जिनकी वार्षिक आय 45 हजार रुपये से अधिक नहीं है तथा शहरी क्षेत्रों में अतिक्रमण 25 वर्गमीटर और ग्रामीण क्षेत्रों में पांच बीघा से अधिक न किया गया हो। हिमाचल प्रदेश सरकारी भूमि अतिक्रमण नियमितीकरण (कुछ मामलों मंे) नियम, 2002 पर मंत्रिमण्डलीय उप-समिति की आज यहां आयोजित बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक की अध्यक्षता राजस्व मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह ने की।
ठाकुर गुलाब सिंह ने कहा कि मंत्रिमण्डलीय उप-समिति ने प्रस्तावित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अतिक्रमणों को नियमित करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कब्जाधारी की अपनी भूमि और नियमित की गयी भूमि पाॅंच बीघा से अधिक न हो तथा अतिक्रमण की गयी शेष भूमि भी खाली कर दी गयी हो। इसी प्रकार, शहरी क्षेत्रों में केवल 25 वर्ग मीटर भूमि के नियमितीकरण पर विचार किया जाएगा बशर्ते इससे अधिक भूमि पर अतिक्रमण छोड़ दिया गया हो। अतिक्रमण करने वालों को इसके लिए अतिक्रमण की गयी भूमि की वर्तमान वर्ष में चल रही औसत कीमत की आधी राशि वहन करनी होगी।
राजस्व मंत्री ने कहा कि गांवों में सामूहिक कार्यों जैसे- सड़क, मेला मैदान, पशु मैदान, धार्मिक व अन्य समारोहांे के आयोजन स्थलों और तालाब आदि के लिए प्रयोग में लाई जा रही भूमि को नियमित नहीं किया जाएगा। समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि जहां अतिक्रमण एक से अधिक हिस्सेदारों ने किया हो, ऐसे मामलों में अतिक्रमण उन सभी हिस्सेदारों के नाम समान रूप से नियमित किए जाएंगे।
ठाकुर गुलाब सिंह ने कहा कि अतिक्रमण के केवल वही मामले नियमित किए जाएंगे, जहां अतिक्रमण 31 दिसम्बर, 2000 या इससे पहले किया गया हो। उन्होंने कहा कि इसके बाद किए गए अतिक्रमण के मामलों नियमित नहीं किया जाएगा तथा जिन मामलों में अतिक्रमणकारी को बेदखल किया गया हो, उसके अतिक्रमण को नियमित करने पर विचार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमण्डलीय उप समिति के प्रस्तावों को स्वीकृति के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की अगली बैठक में रखा जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव बिन्दल, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री जयराम ठाकुर और मंत्रिमण्डलीय उप समिति के सदस्यों ने भी बैठक में अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
प्रधान सचिव राजस्व श्री पी.मित्रा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।
प्रधान सचिव वन श्री सुदीप्तो राॅय, वित्त सचिव, श्री के.के. पंत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।
प्रदेश सरकार ऐसे निर्धनतम व्यक्तियों द्वारा सरकारी भूमि पर किए गए अतिक्रमणों को नियमित करने पर सहानुभूतिपूर्वक विचार करेगी, जिनकी वार्षिक आय 45 हजार रुपये से अधिक नहीं है तथा शहरी क्षेत्रों में अतिक्रमण 25 वर्गमीटर और ग्रामीण क्षेत्रों में पांच बीघा से अधिक न किया गया हो। हिमाचल प्रदेश सरकारी भूमि अतिक्रमण नियमितीकरण (कुछ मामलों मंे) नियम, 2002 पर मंत्रिमण्डलीय उप-समिति की आज यहां आयोजित बैठक में यह प्रस्ताव पारित किया गया। बैठक की अध्यक्षता राजस्व मंत्री ठाकुर गुलाब सिंह ने की।
ठाकुर गुलाब सिंह ने कहा कि मंत्रिमण्डलीय उप-समिति ने प्रस्तावित किया है कि ग्रामीण क्षेत्रों में अतिक्रमणों को नियमित करते समय यह सुनिश्चित किया जाएगा कि कब्जाधारी की अपनी भूमि और नियमित की गयी भूमि पाॅंच बीघा से अधिक न हो तथा अतिक्रमण की गयी शेष भूमि भी खाली कर दी गयी हो। इसी प्रकार, शहरी क्षेत्रों में केवल 25 वर्ग मीटर भूमि के नियमितीकरण पर विचार किया जाएगा बशर्ते इससे अधिक भूमि पर अतिक्रमण छोड़ दिया गया हो। अतिक्रमण करने वालों को इसके लिए अतिक्रमण की गयी भूमि की वर्तमान वर्ष में चल रही औसत कीमत की आधी राशि वहन करनी होगी।
राजस्व मंत्री ने कहा कि गांवों में सामूहिक कार्यों जैसे- सड़क, मेला मैदान, पशु मैदान, धार्मिक व अन्य समारोहांे के आयोजन स्थलों और तालाब आदि के लिए प्रयोग में लाई जा रही भूमि को नियमित नहीं किया जाएगा। समिति ने यह भी प्रस्ताव रखा है कि जहां अतिक्रमण एक से अधिक हिस्सेदारों ने किया हो, ऐसे मामलों में अतिक्रमण उन सभी हिस्सेदारों के नाम समान रूप से नियमित किए जाएंगे।
ठाकुर गुलाब सिंह ने कहा कि अतिक्रमण के केवल वही मामले नियमित किए जाएंगे, जहां अतिक्रमण 31 दिसम्बर, 2000 या इससे पहले किया गया हो। उन्होंने कहा कि इसके बाद किए गए अतिक्रमण के मामलों नियमित नहीं किया जाएगा तथा जिन मामलों में अतिक्रमणकारी को बेदखल किया गया हो, उसके अतिक्रमण को नियमित करने पर विचार नहीं किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि मंत्रिमण्डलीय उप समिति के प्रस्तावों को स्वीकृति के लिए प्रदेश मंत्रिमंडल की अगली बैठक में रखा जाएगा।
स्वास्थ्य मंत्री डाॅ. राजीव बिन्दल, ग्रामीण विकास एवं पंचायती राज मंत्री श्री जयराम ठाकुर और मंत्रिमण्डलीय उप समिति के सदस्यों ने भी बैठक में अपने बहुमूल्य सुझाव दिए।
प्रधान सचिव राजस्व श्री पी.मित्रा ने बैठक की कार्यवाही का संचालन किया।
प्रधान सचिव वन श्री सुदीप्तो राॅय, वित्त सचिव, श्री के.के. पंत और अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी बैठक में उपस्थित थे।