बुरे फंसे कर्मापा लामा


बुरे फंसे कर्मापा लामा
बिजेंदर शर्मा /धर्मशाला ---हिमाचल पुलिस ने ऊना के मैहतपुर बैरियर पर एक प्राइवेट स्कार्पियो से एक करोड़ रुपये की नकदी बरामद की। बाद में पुलिस ने 17वें करमापा ओजियन त्रिनले दोरजी द्वारा संचालित संगठन करमा गारचन ट्रस्ट के कार्यालयों की भी तलाशी ली।
पुलिस ने धर्मशाला के सिद्धबाड़ी व दिल्ली में मजनूं का टीला स्थित ट्रस्ट के कार्यालयों में तलाशी अभियान चलाया। सूत्रों ने बताया कि ट्रस्ट के सिद्धबाड़ी कार्यालय से भारतीय करंसी के अलावा 50 हजार अमेरिकी डालर, 30 हजार जापानी येन, इंगलैंड के 60 पाउंड, 1950 हांगकांग के डालर आदि बरामद किये। बरामद कुल राशि की जांच अभी जारी है। पुलिस इस तिब्बती ट्रस्ट से मिली भारी राशि के स्रोत का पता लगाने का प्रयास कर रही है।
ट्रस्ट के अधिकारियों ने इस राशि को दान से प्राप्त होना बताया है। यहां बताया जा रहा है कि ट्रस्ट का प्रबंध देख रहे लोगों को ऊना पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया।
धर्मशाला में मिली करोड़ों रुपए की विदेशी और स्वदेशी करंसी के तार मनाली से भी जुड़े हो सकते हैं। दिल्ली के मजनूं का टीला में जिस व्यक्ति ने एक करोड़ रुपए की करंसी मुहैया कराई थी, उसे पुलिस ने पकड़ा है। वह व्यक्ति मनाली से संबंध रखता है। सूत्रों का कहना है कि करमा नाम का यह व्यक्ति हवाला के जरिए करंसी की अदला-बदली का धंधा काफी पहले से करता आ रहा है।
पुलिस के अनुसार करमा के अलावा तीन-चार और लोग भी इस मामले में पुलिस की नजरों में हैं। इनमें अंबाला स्थित बैंक का वह मैनेजर भी शामिल है जिसने एक करोड़ रुपए के बारे में यह जाली सर्टिफिकेट दिया कि यह पैसा उसके बैंक द्वारा दिया गया है। जिन व्यक्तियों पर पुलिस की गाज गिर सकती है उनमें धर्मशाला के एक-दो व्यक्ति भी शामिल हैं। बताया जाता है कि पुलिस ने करमापा के कैशियर का काम करने वाले जिस शक्ति लामा के घर और दफ्तर में छापे मारे हैं उससे की जाने वाली पूछताछ से ही इससे जुड़े कई राज साफ हो सकते हैं। ऐसा लग रहा है कि आने वाले समय में करमापा भी इस मामले में फंस सकते हैं। राज्य पुलिस के एडीजीपी एसआर मरढी ने बताया कि पुलिस मुख्यत: इसी बिंदु पर जांच कर रही है कि जो अवैध करंसी पकड़ी गई है, कहीं उसका स्रोत चीन में ही तो नहीं है। उन्होंने बताया कि शक्ति लामा के पास से इतनी अधिक करंसी बरामद हो रही है कि उसे गिन पाना भी मुश्किल हो रहा है। इसमें चीन के अलावा कई अन्य देशों की करंसी भी शामिल है। बड़े-बड़े शूटकेस नोटों से भरे हुए हैं।
गौरतलब है कि हिमाचल पुलिस ने पिछले कल राज्य के मैहतपुर बैरियर पर दिल्ली से धर्मशाला लाए जा रहे एक करोड़ रुपए को पकड़ा था। इसी मामले की जांच पड़ताल के बाद यह पर्दाफाश हुआ कि यह सारा पैसा करमापा के यहां जा रहा था। करमापा को चीन द्वारा प्रोजेक्ट किए जाने की खबरें पहले भी आती रही हैं। कुल्लू-मनाली में रह रहे तिब्बती समुदाय के लोगों को यह जानकारी पहले से थी कि धर्मशाला में करमापा के लिए भारी भरकम जमीन खरीद कर एक ऐसी विशाल महलनुमा इमारत बनाए जाने की योजना है जो आने वाले समय में करमापा को धर्मगुरु दलाई लामा की जगह दिलाने में मददगार साबित हो सके। इसी रणनीति के तहत भारी भरकम धन धर्मशाला में इकट्ठा किया जा रहा था। पुलिस सूत्रों का मानना है कि हवाला के जरिए आने वाले पैसे को मनाली का करमा ही दिल्ली में उपलब्ध करवाता था। इस दफा उसने जो पैसा भेजा था उसका इस्तेमाल धर्मशाला में पचास कनाल जमीन खरीदने के लिए होना था। इन पैसों पर आईसीआईसीआई और एचडीएफसी बैंकों की पर्चियां भी चिपकी हैं। पुलिस यह भी पता लगाने का प्रयास कर रही है कि करमा ने दोनों बैंकों से निकले इस पैसे को कहां से इकट्ठा किया।
ऊना के एसपी संतोष पटियाल ने बताया कि स्कार्पियो से बरामद एक करोड़ रुपये में एक हजार के आठ पैकेट, पांच सौ के चार पैकेट मिले हैं जो दिल्ली स्थित एचडीएफसी व आईसीआईसीआई बैंक की शाखाओं से निकाले गये हैं। इसकी पुष्टि नोटों के ऊपर लगी बैंक की पर्ची से होती है। पुलिस ने कार सवार संयोग दत्त व आशुतोष दोनों पुत्र रविंद्र नाथ निवासी पठियार (कांगड़ा) को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। पुलिस ने बताया कि दोनों कथित आरोपियों ने स्वयं को
पत्रकार बताया और पहचान पत्र भी दिखाए, लेकिन जांच में दोनों पहचान पत्र वैध नहीं पाए गए

करमापा ने कांगड़ा जिला के कोटला में बेनामी डील से पूरे गांव की जमीन खरीद रखी है। अरबों की इस बेनामी संपत्ति के मामले का फैसला 14 मार्च को उपायुक्त कांगड़ा की अदालत में सुनाया जाएगा। कोटला गांव की सैकड़ों कनाल बेनामी जमीनी सौदा किन्नौर की एक खेतीबाड़ी करने वाली साधारण महिला के नाम से किया गया है। माया देवी नामक इस महिला के नाम से पहले करोड़ों की जमीन खरीदी गई, फिर इसमें अरबों का निर्माण हो रहा है। लिहाजा इस बेशुमार संपत्ति की खरीद व निर्माण पर कौन राशि खर्च कर रहा है? यह सबसे बड़ा प्रश्न है। इसके अलावा आईबी ने चार सौ के करीब बेनामी संपत्तियों का मामला राज्य सरकार को सौंपा है। ये सभी मामले तिब्बतियों द्वारा किए गए हैं। उल्लेखनीय है कि 263 तिब्बतियों के बेनामी सौदे आईबी की शिकायत पर हिमाचल में दर्ज हैं। इन मामलों में राजस्व तथा वन विभाग संयुक्त रूप से जांच कर रहा है। पुख्ता सूचना के अनुसार यह आंकड़ा चार सौ तक पहुंच गया है। तिब्बतियों के धनवान गुरु उग्येन त्रिनले दोरजे के धर्मशाला के आसपास कई बेनामी जमीनें बताई जाती हैं। कोटला गांव में सैकड़ों कनाल भूमि को किन्नौर की एक महिला के नाम से खरीदा गया था। आईबी ने इस बेनामी सौदे की सूचना राज्य सरकार को दी थी। इस आधार पर नियम 118 की अवहेलना के तहत जिला न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में यह केस दर्ज किया गया है। शिकायत के अनुसार किन्नौर की माया देवी ने यह जमीन खरीदी है। ऐसे में केंद्रीय एजेंसियां भी इस केस की सुनवाई को लेकर खासी रुचि ले रही हैं। बताया जाता है कि माया देवी ने जांच के दौरान अपने बयान में कहा है कि वह बौद्ध धर्मगुरु करमापा की शिष्या है और इसके चलते उन्होंने यह जमीन दान की है। सैकड़ों कनाल इस भूमि को खरीदने के लिए करोड़ों रुपए खर्च हुए हैं। इसके अलावा इस बेनामी जमीन में अरबों का निर्माण हो रहा है। अब यह सवाल अहम हो गया
है कि यह पैसा धनवान धर्मगुरु की संपत्तियों को खरीदने के लिए कौन दे रहा है।
तिब्बती काग्यू संप्रदाय प्रमुख 17वें करमापा उग्येन त्रिनले दोरजे चीनी संबंधों की आशंका को लेकर केंद्रीय एजेंसियों के निशाने पर हैं। इसके चलते आईबी तथा आयकर विभाग के करमापा के तीन अहम ठिकानों पर लगातार छापामारी हो रही है। मई 2010 में डायरेक्टरेट इन्फोर्समेंट की टीम ने करमापा के चाइनीज गैसलीन मठ में रेड की थी। नोरबूलिंगा के समीप बने इस मठ के निर्माण में चीन की आर्थिक सहायता की सूचनाएं थीं। इसके अलावा सिद्धबाड़ी तथा मकलोडगंज में करमापा की संपत्तियों पर केंद्रीय एजेंसियों की रेड हुई थी। मई महीने से लगातार आईबी तथा आयकर विभाग धर्मशाला में करमापा के ठिकानों में दबिश दे रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि केंद्रीय एजेंसियों को अब यह संदेह होने लगा है कि धर्मशाला में बेशुमार संपत्ति जुटा चुके करमापा की आर्थिक सहायता में कहीं चीन का हाथ तो नहीं है। बताया जा रहा है कि उक्त एजेंसियों ने कांगड़ा जिला के राजस्व विभाग के अधिकारियों से भी करमापा की संपत्तियों को लेकर रिकार्ड जुटाए हैं। करमापा के मठों के भीतर भी करोड़ों की राशि लगाकर इन्हें आलीशान बनाया गया है। आईबी तथा आयकर विभाग को पूछताछ के दौरान करमापा मठ के अधिकारियों ने बताया है कि उन्हें यह राशि दान में मिली है। करमापा के अनुयायी देश भर में फैले हैं और कई समृद्ध राष्ट्र अपने धर्मगुरु को डोनेशन देते हैं। बहरहाल विवादों में आए धर्मगुरु करमापा पर सुरक्षा एजेंसियों की भी कड़ी नजर बन गई है। करमापा को बाहर जाने पर पाबंदी लगा दी गई है।

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