विद्युत उत्पादन में तेजी लाने के लिए सकारात्मक
िमुख्य सचिव श्रीमती राजवंत संधू ने स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों और हिम ऊर्जा का आह्वाहन किया है कि विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आपसी तालमेल से कार्य करें। मुख्य सचिव आज यहां हिम ऊर्जा द्वारा स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आयोजित पारस्परिक विचार-विमर्श कार्यशाला एवं सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।
श्रीमती संधू ने कहा कि विकास प्रक्रिया में स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादक भी बराबर के भागीदार हैं। प्रदेश सरकार उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है तथा परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए औपरिकताओं का सरलीकरण किया गया है। लघु जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यान्वयन का प्रभावी अनुश्रवण करने व स्वीकृतियां शीघ्र देने के लिए राज्य व जिला स्तर पर एकल खिड़की स्वीकृति और अनुश्रवण समितियां गठित की गयी हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों की बैठकें नियमित तौर पर आयोजित की जाएं, ताकि स्वीकृतियां प्रदान करने, अनुश्रवण, शिकायत निवारण और अनापत्ति प्रमाण-पत्र शीघ्र जारी करने के लिए अंतरविभागीय समन्वय स्थापित किया जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों को यह सुनिश्चित बनाना चाहिए कि इन परियोजनाओं में 70 प्रतिशत हिमाचलियों को रोजगार मिले। उन्होंने इसकी सूचनाएं श्रम एवं रोजगार विभाग और हिम ऊर्जा को नियमित तौर पर भेजने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि हि.प्र. ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटिड को यह सुनिश्चित बनाना चाहिए कि प्रदेश की विभिन्न घाटियों में लघु जलविद्युत परियोजनाओं के लिए जल नकासी प्रणाली समय से स्थापित हो जाए।
उन्होंने उद्यमियों से आग्रह किया कि सामाजिक उत्तरदायित्त्व का निर्वहन करते हुए परियोजना क्षेत्रांे में विकासात्मक कार्यों को भी प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के अंतर्गत उद्यमी लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप विभिन्न विकास कार्य कर सकते हैं। उन्होंने विद्युत उत्पादकों से परियोजना लागत का एक प्रतिशत स्थानीय क्षेत्र विकास निधि में निर्धारित समय में जमा करवाने के लिए भी कहा।
श्रीमती संधू ने हिम ऊर्जा को निर्देश दिए कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए परियोजनाओं के डाटा बेस को नियमित तौर पर अपडेट करें। इससे उच्च
अधिकारियों को परियोजनाओं में विलम्ब का अनुश्रवण करने में सहायता मिलेगी और समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे।
प्रधान सचिव (गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधन) श्री अजय मित्तल ने ऊर्जा उत्पादकों से आग्रह किया कि 5 मेगावाट तक की विद्युत परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 5 मेगावाट क्षमता की 21 लघु जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित हो जाएंगी, जिनकी क्षमता 66 मेगावाट है। हिम ऊर्जा ने 1214 मेगावाॅट क्षमता की 485 परियोजनाएं स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों को आबंटित की हैं तथा 138 मेगावाट क्षमता की 35 परियोजनाओं ने पहले ही ऊर्जा उत्पादन आरंभ कर दिया है। श्री मित्तल ने कहा कि वर्ष 2009-10 में 105 मेगावाट की 27 परियोजनाएं और वर्ष 2010-11 में 93 मेगावाट की 24 परियोजनाएं स्थापित की गयीं।
हिम ऊर्जा के सी.ई.ओ श्री हर्ष मित्र ने मुख्य सचिव का स्वागत किया और सम्मेलन के आयोजन पर विस्तृत जानकारी दी।
हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटिड के अध्यक्ष श्री सुभाष नेगी, निदेशक ऊर्जा श्री के. संजय मूर्ति, प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री ए.के. गुलाटी, हिम ऊर्जा के निदेशक श्री बी.एम. सूद, हिमालयन पाॅवन प्रोड्यूसर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अरुण शर्मा व एसोसिएशन के पदाधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
िमुख्य सचिव श्रीमती राजवंत संधू ने स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों और हिम ऊर्जा का आह्वाहन किया है कि विद्युत उत्पादन की प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सकारात्मक दृष्टिकोण अपनाकर आपसी तालमेल से कार्य करें। मुख्य सचिव आज यहां हिम ऊर्जा द्वारा स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों और प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों के लिए आयोजित पारस्परिक विचार-विमर्श कार्यशाला एवं सम्मेलन को संबोधित कर रही थीं।
श्रीमती संधू ने कहा कि विकास प्रक्रिया में स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादक भी बराबर के भागीदार हैं। प्रदेश सरकार उन्हें सुविधा प्रदान करने के लिए हर संभव सहायता प्रदान कर रही है तथा परियोजनाओं की स्वीकृति के लिए औपरिकताओं का सरलीकरण किया गया है। लघु जलविद्युत परियोजनाओं के कार्यान्वयन का प्रभावी अनुश्रवण करने व स्वीकृतियां शीघ्र देने के लिए राज्य व जिला स्तर पर एकल खिड़की स्वीकृति और अनुश्रवण समितियां गठित की गयी हैं। उन्होंने कहा कि इन समितियों की बैठकें नियमित तौर पर आयोजित की जाएं, ताकि स्वीकृतियां प्रदान करने, अनुश्रवण, शिकायत निवारण और अनापत्ति प्रमाण-पत्र शीघ्र जारी करने के लिए अंतरविभागीय समन्वय स्थापित किया जा सके।
मुख्य सचिव ने कहा कि स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों को यह सुनिश्चित बनाना चाहिए कि इन परियोजनाओं में 70 प्रतिशत हिमाचलियों को रोजगार मिले। उन्होंने इसकी सूचनाएं श्रम एवं रोजगार विभाग और हिम ऊर्जा को नियमित तौर पर भेजने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि हि.प्र. ट्रांसमिशन कारपोरेशन लिमिटिड को यह सुनिश्चित बनाना चाहिए कि प्रदेश की विभिन्न घाटियों में लघु जलविद्युत परियोजनाओं के लिए जल नकासी प्रणाली समय से स्थापित हो जाए।
उन्होंने उद्यमियों से आग्रह किया कि सामाजिक उत्तरदायित्त्व का निर्वहन करते हुए परियोजना क्षेत्रांे में विकासात्मक कार्यों को भी प्राथमिकता दें। उन्होंने कहा कि स्थानीय क्षेत्र विकास निधि के अंतर्गत उद्यमी लोगों की अपेक्षाओं के अनुरूप विभिन्न विकास कार्य कर सकते हैं। उन्होंने विद्युत उत्पादकों से परियोजना लागत का एक प्रतिशत स्थानीय क्षेत्र विकास निधि में निर्धारित समय में जमा करवाने के लिए भी कहा।
श्रीमती संधू ने हिम ऊर्जा को निर्देश दिए कि पारदर्शिता बनाए रखने के लिए परियोजनाओं के डाटा बेस को नियमित तौर पर अपडेट करें। इससे उच्च
अधिकारियों को परियोजनाओं में विलम्ब का अनुश्रवण करने में सहायता मिलेगी और समय रहते आवश्यक कदम उठाए जा सकेंगे।
प्रधान सचिव (गैर-परम्परागत ऊर्जा संसाधन) श्री अजय मित्तल ने ऊर्जा उत्पादकों से आग्रह किया कि 5 मेगावाट तक की विद्युत परियोजनाओं के कार्य में तेजी लाएं। उन्होंने कहा कि इस वर्ष 5 मेगावाट क्षमता की 21 लघु जलविद्युत परियोजनाएं स्थापित हो जाएंगी, जिनकी क्षमता 66 मेगावाट है। हिम ऊर्जा ने 1214 मेगावाॅट क्षमता की 485 परियोजनाएं स्वतन्त्र ऊर्जा उत्पादकों को आबंटित की हैं तथा 138 मेगावाट क्षमता की 35 परियोजनाओं ने पहले ही ऊर्जा उत्पादन आरंभ कर दिया है। श्री मित्तल ने कहा कि वर्ष 2009-10 में 105 मेगावाट की 27 परियोजनाएं और वर्ष 2010-11 में 93 मेगावाट की 24 परियोजनाएं स्थापित की गयीं।
हिम ऊर्जा के सी.ई.ओ श्री हर्ष मित्र ने मुख्य सचिव का स्वागत किया और सम्मेलन के आयोजन पर विस्तृत जानकारी दी।
हि.प्र. राज्य विद्युत बोर्ड लिमिटिड के अध्यक्ष श्री सुभाष नेगी, निदेशक ऊर्जा श्री के. संजय मूर्ति, प्रधान मुख्य अरण्यपाल श्री ए.के. गुलाटी, हिम ऊर्जा के निदेशक श्री बी.एम. सूद, हिमालयन पाॅवन प्रोड्यूसर्स ऐसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अरुण शर्मा व एसोसिएशन के पदाधिकारी भी इस अवसर पर उपस्थित थे।