धर्मशाला 1 मार्च (बिजेन्दर शर्मा) । हिमाचल प्रदेश की जनता चाहे ग्रामीण हो या शहरी सूचना के अधिकार के तहत सूचना लेने में अग्रणी है। पिछले चार साल के दौरान हिमाचल में 74 हजार 463 लोगों ने इस अधिकार के तहत सूचना मांगी जिनमें से 98.2 फीसदी लोगों को सूचना प्राप्त हुई। सूचना लेने की बात करें तो हिमाचल के न्यायाधीश से लेकर लोकायुक्त हिमाचल तक ने सूचना के अधिकार के तहत सूचनाएं ली हैं। पिछले चार वर्षांे के दौरान पांगी के एक बीपीएल परिवार के व्यक्ति ने सर्वाधिक साठ हजार के करीब पृष्ठों की सूचना विभागों से ली। इसके लिए बाकायदा इस शख्स ने सूचना लेने के लिए 19 हजार रूपये के करीब पैसा सरकार को दिया भी है। इस शख्स ने लोक निर्माण विभाग के कार्यांे को लेकर सूचना मांगी थी। बताते हैं कि वर्ष 2007 में जहां लोगों ने सूचना के अधिकार के तहत 2654 प्रार्थना पत्र दिए वहीं वर्ष 2009- 10 में इनकी संख्या 43 हजार 835 का आंकड़ा छू गई। प्रार्थना पत्र देने वालों में ऐसे लोग भी शामिल हैं जो विभागों से सूचना एकत्रित करने के बाद उनसे संतुष्ट नहीं थे। इनकी संख्या की बात करें तो गत वर्ष 706 लोगों ने अलग से आयोग को अपील की है। आर्थिक तौर पर इन प्रार्थना पत्रों से सरकार को वर्ष 2007 में जहां दो लाख 34 हजार 281 रूपये मिले वहीं 7-8 में छह लाख रूपये, वर्ष 8-9 में यह आंकड़ा 8 लाख सात हजार के करीब पहुंच गया। गत वर्ष यह आंकड़ा दस लाख 89 हजार 504 रूपये पहुंच गया। वर्ष 2006-07 में सूचना के अधिकार के तहत चार मामलों में बाकायदा तीन हजार 452 रूपये कन्पनसेशन, वर्ष 2007- 08 में बीस मामलों में 22 हजार आठ सौ, 08-09 में 19 मामलों में 27 हजार रूपये 09-10 में 42 मामलों में 54 हजार 500 रूपये और गत वर्ष 29 मामलों में 45 हजार 500 रूपये दिए गए। उन्होंने कहा कि हिमाचल में लोग जागरूक हैं। ग्रामीण क्षेत्रों के लोग जागरूक हैं और नि:संकोच वे लोग सूचना के अधिकार का प्रयोग कर रहे हैं। तीस दिन के भीतर सूचना अधिकारी को संबंधित अधिकारी को सूचना देनी पड़ती है। सूचना न देने या गलत देने पर संबंधित अधिकारी को ढाई सौ रूपये से लेकर पच्चीस हजार रूपये तक का जुर्माना हो सकता है। उन्होंने कहा कि हिमाचल में फिलहाल ऐसे मामले नहीं आए हैं। हिमाचल में जितने लोगों ने सूचना मांगी हैं उनमें से 98.2 फीसदी लोगों को सूचना दी गई हैं। सर्वाधिक सूचना लोग लोक निर्माण विभाग से मांगते हैं। जबकि दूसरे नंबर पर पुलिस विभाग और तीसरे नंबर पर शिक्षा विभाग शामिल है। आईपीएच से भी लोग सूचना मांगते हैं। सूचना देने से पूर्व संबधित अधिकारी द्वारा सूचना लेने वाले को लिखित सूचना दी जाती है कि जो सूचना वह मंाग रहे हैं उनसे संबंधित पृष्ठों के लिए उन्हें शुल्क देना होगा। करीब आठ मामले अदालत में भी गए हैं। जनता इस अधिकार का सही उपयोग कर रही है। हालंाकि कभी कभार कुछेक मामले ऐसेभी आ जाते हंै जिनमें सूचना लेने वाले को मालूम नहीं होता कि वह सूचना क्या चाहता है।