वर्ष 2011-2012 के लिए हिमाचल प्रदेश की वार्षिक योजना 3300 करोड़ रुपये स्वीकृत की गई है। यह निर्णय आज नई दिल्ली में हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल तथा योजना आयोग के उपाध्यक्ष डा. मोंटेक सिंह आहलुवालिया एवं योजना आयोग के अन्य सदस्यों के साथ हुई एक बैठक में लिया गया।
मुख्यमंत्री ने विचार-विमर्श आरंभ करते हुए अवगत करवाया कि कुल योजना के 29.26 प्रतिशत आकार के साथ सामाजिक सेवा क्षेत्र को पहली प्राथमिकता दी गई है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार शिक्षा तथा स्वास्थ्य क्षेत्रों में अपने मानकों को और सुधारने के प्रयास करेगी। उन्होंने कहा कि आने वाले वर्षों में राज्य सरकार अपनी स्थिति को सुदृढ़ कर इन क्षेत्रों में अर्जित उपलब्धियों पर कायम रहेगी। उन्होंने कहा कि इन क्षेत्रों में योजना आबंटन के अतिरिक्त गैर योजना मद में से भी पर्याप्त राशि व्यय की जा रही है। शिक्षा क्षेत्र में गुणात्मक सुधारों पर ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य क्षेत्र में शिशु मृत्यु दर, मातृत्व मृत्यु दर और शिशु लिंगानुपात सुधारने के लिए विशेष प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रो. धूमल ने कहा कि परिवहन एवं संचार क्षेत्र को द्वितीय प्राथमिकता देते हुए इन क्षेत्रों के लिए योजना आकार का 19.26 प्रतिशत तय किया गया है। राज्य में न के बराबर रेल नेटवर्क और नाम मात्र हवाई यात्रा सुविधा होने से राज्य सरकार सड़क नेटवर्क विकास को सर्वाेच्च प्राथमिकता प्रदान कर रही है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उपलब्ध 31 हजार किलोमीटर सड़क नेटवर्क के सुदृढ़ीकरण और रखरखाव तथा शेष गांवों को सड़क सुविधा प्रदान करने पर भी ध्यान दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि तीसरा सबसे बड़ा आबंटन ऊर्जा क्षेत्र के लिए किया गया है। जलविद्युत प्रदेश का सबसे महत्वपूर्ण संभावित संसाधन है। राज्य सरकार वर्ष 2010-11 में जलविद्युत विकास के लिए सार्वजनिक एवं निजी क्षेत्र की भागीदारी की नीति अपना रही है।
प्रो. धूमल ने कहा कि कृषि एवं सम्बद्ध क्षेत्रों को भी अतिरिक्त प्राथमिकता प्रदान की गयी है। इन क्षेत्रों के लिए प्रस्तावित आबंटन कुल योजना का 11.94 प्रतिशत है, जोकि राष्ट्रीय दर का लगभग दोगुना है। कृषि क्षेत्र में पंडित दीनदयाल किसान-बागवान समृद्धि योजना राज्य सरकार का फ्लैगशिप कार्यक्रम है, जिसके अंतर्गत किसानों को पाॅलीहाउस के निर्माण एवं सूक्ष्म सिंचाई सुविधाओं के निर्माण के लिए सहायता प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार योजना आयोग एवं केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के साथ यह मामला उठाती रही है कि जिन राज्यों में कृषि तथा सम्बद्ध क्षेत्रों के लिए योजना आबंटन 10 प्रतिशत या इससे अधिक है, को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के मानकों के
अंतर्गत आबंटन के लिए पात्रता शर्तों में छूट प्रदान की जानी चाहिए। इन राज्यों के लिए मानक बदले जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि इस निर्णय के सम्बन्ध में केन्द्र सरकार से अभी तक कोई औपचारिक सूचना प्राप्त नहीं हुई है। उन्होंने इन मानकों में बदलाव पर बल दिया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हालांकि राज्य सरकार बार-बार केन्द्र सरकार से हिमाचल प्रदेश के साथ 13वें वित्त आयोग द्वारा किए गए भेदभाव को दूर करने का आग्रह करती रही है, लेकिन इस दिशा में अभी तक कुछ नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति की बढ़ी हुई दर ने स्थिति को और गंभीर बना दिया है। एक ऐसे वर्ष में जब 18 प्रतिशत महंगाई भत्ता जारी किया गया जब वित्त आयोग ने राज्य के वेतन खर्च में केवल 2 प्रतिशत वृद्धि की संस्तुति की है, जिससे राज्य की वित्तीय स्थिति को काफी नुक्सान पहुंचा है। उन्होंने गैर योजना मद में केन्द्र सरकार से 2500 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता की मांग की। उन्होंने वर्ष 2011-12 की वार्षिक योजना के लिए 1500 करोड़ रुपये की विशेष योजना सहायता का आग्रह भी किया।
उन्होंने कहा कि गत दिवस प्रस्तुत किए गए केन्द्रीय बजट में वर्ष 2011-12 के लिए विशेष श्रेणी राज्यों के लिए विशेष सहायता का आबंटन लगभग दोगुना कर, 8 हजार करोड़ रुपये कर दिया गया है। इसमें से 5400 करोड़ रुपये ‘अनटाईड’ विशेष केन्द्रीय सहायता के रूप में आबंटित किए गए हैं, जबकि केन्द्र सरकार ने गैर योजना मद में वित्तीय सहायता के लिए हिमाचल प्रदेश के आग्रह पर कोई ध्यान नहीं दिया है। उन्होंने वर्ष 2011-12 के लिए ‘अनटाईड’ विशेष योजना सहायता के अंतर्गत राज्य के लिए बढ़ा हुआ आबंटन करने का आग्रह किया, ताकि योजना आकार का वित्तपोषण किया जा सके, जो कि औसत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 13वें वित्त आयोग द्वारा संस्तुत किए गए कम अनुदानों से राज्य को पहले ही काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य को ‘फेयर फार्मूलेशन’ के अनुसार तय की गयी सीमा के आधार पर उतना ऋण लेने की अनुमति दी जानी चाहिए, जितना ब्यौरा राज्य सरकार ने वित्त मंत्रालय और योजना आयोग को प्रस्तुत किया है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2011-12 के लिए उधार लेने की सीमा 2034 करोड़ रुपये है। उन्होंने आग्रह किया कि इस मामले का वित्त मंत्रालय के साथ परामर्श करके शीघ्र हल निकाला जाए।