(20 अक्टूबर, विश्व ओस्टियोपोरोसिस दिवस पर विशेष)
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर । विश्व में ओस्टियोपोरोसिस की वजह से हर तीन सेकेंड में एक व्यक्ति का कूल्हा टूट जाता है। यह बीमारी कितनी गम्भीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 से अब तक इस बीमारी के नौ करोड़ नए रोगी सामने आ चुके हैं। तेजी से बदलती जीवनशैली एवं असंतुलित खानपान के कारण यह बीमारी तेजी से अपने पांव पसार रही है।
इस बीमारी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रत्येक वर्ष 20 अक्टूबर को विश्व ओस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। इस अभियान को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) द्वारा मान्यता प्राप्त है। इस वर्ष विश्व ओस्टिोयोपोरोसिस दिवस 'बचाव के तीन चरण-कैल्शियम, विटामिन डी एवं व्यायाम' विषय के तहत मनाया जाएगा।
ओस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का खोखला होना। इस बीमारी में बगैर किसी लक्षण या दर्द के हड्डियों से धीरे-धीरे कैल्शियम का क्षरण होता है। हड्डियों के घनत्व में कमी का परिणाम होता है अलग-अलग प्रकार का फ्रैक्चर और हड्डियों का टेढा-मेढ़ा होना।
साठ वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुषों के इसकी बीमारी के चपेट में आने की आशंका सर्वाधिक होती है। ओस्टियोपोरोसिस रहन-सहन, जीवनशैली, खान पान, उम्र, अल्कोहल की मात्रा, लिंग और पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है। यह बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 से अब तक इस बीमारी के नौ करोड़ नए रोगी सामने आ चुके हैं।
ओस्टियोपोरोसिस में कूल्हा, रीढ़ एवं जोड़ों की हड्डियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन की कमी के कारण ओस्टियोपोरोसिस होने की आशंका महिलाओं में ज्यादा होती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में करीब 20 करोड़ महिलाएं ओस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं। यह स्थिति गरीबी से जूझ रहे विकासशील देशों जैसे भारत, चीन, बांग्लादेश एवं अफ्रीकी देशों में और भी खतरनाक है, जहां अधिकांशत: महिलाएं गांवों में निवास करती हैं और चिकित्सा सुविधाओं एवं जागरूकता के अभाव में ओस्टियोपोरोसिस की शिकार हो जाती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक आधे से अधिक कूल्हे के फ्रैक्चर के मामले एशिया में होंगे। ओस्टियोपोरोसिस के चीन में सात करोड़ मरीज थे और 2003 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इसके 2.2 करोड़ मरीज थे। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में 2013 तक ओस्टियोपोरोसिस के मरीजों की संख्या बढ़कर 3.60 करोड़ हो जाएगी। भारत में कम आय वर्ग की 30-60 वर्ष आयु की महिलाओं पर हुए सर्वेक्षण में इनके हड्डियों का घनत्व पोषण की कमी के कारण विकसित देशों की तुलना में बेहद कम था।
ओस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए हड्डियों के घनत्व की नियमित जांच ही इससे बचने का सर्वोत्तम विकल्प है। हड्डियों के घनत्व की जांच डीएक्सए द्वारा की जाती है। चिंता की बात यह है कि डीएक्सए मशीन की उपलब्धता केवल शहरों तक सीमित है। डबल्यूएचओ के मानदंडों के अनुसार विकासशील देशों में डीएक्सए का वितरण बहुत ही असमान है।
इस बीमारी का इलाज सम्भव है और सबसे अच्छा तरीका है इसके प्रति जागरूकता। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में 20 से 25 वर्ष की अवस्था के दौरान उसकी हड्डियों का घनत्व अधिकतम होता है। संतुलित भोजन एवं स्वस्थ जीवनशैली अपना कर यह घनत्व अधिकतम हो सकता है। जीवन भर हड्डियों की मजबूत इसी अधिकतम घनत्व पर निर्भर करती है।
हड्डियों की मजबूती के लिए डबल्यूएचओ के अनुसार प्रतिदिन 1000-1300 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन आवश्यक माना है। इसके लिए जरूरी है कि भोजन में फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही पनीर आदि का भरपूर सेवन किया जाए। धूम्रपान एवं अल्कोहल से दूर रहने के साथ बचपन से ही नियमित व्यायाम एवं सक्रिय जीवनचर्या को अपनाना जरूरी है। विटामिन-डी का प्रमुख स्रोत सूर्य है अत: अनुकूल मौसम में सूर्य की रोशनी भी शरीर को मिलनी चाहिए।
नई दिल्ली, 19 अक्टूबर । विश्व में ओस्टियोपोरोसिस की वजह से हर तीन सेकेंड में एक व्यक्ति का कूल्हा टूट जाता है। यह बीमारी कितनी गम्भीर है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 से अब तक इस बीमारी के नौ करोड़ नए रोगी सामने आ चुके हैं। तेजी से बदलती जीवनशैली एवं असंतुलित खानपान के कारण यह बीमारी तेजी से अपने पांव पसार रही है।
इस बीमारी के प्रति जागरूकता उत्पन्न करने के लिए प्रत्येक वर्ष 20 अक्टूबर को विश्व ओस्टियोपोरोसिस दिवस मनाया जाता है। इस अभियान को विश्व स्वास्थ्य संगठन (डबल्यूएचओ) द्वारा मान्यता प्राप्त है। इस वर्ष विश्व ओस्टिोयोपोरोसिस दिवस 'बचाव के तीन चरण-कैल्शियम, विटामिन डी एवं व्यायाम' विषय के तहत मनाया जाएगा।
ओस्टियोपोरोसिस का अर्थ है हड्डियों का खोखला होना। इस बीमारी में बगैर किसी लक्षण या दर्द के हड्डियों से धीरे-धीरे कैल्शियम का क्षरण होता है। हड्डियों के घनत्व में कमी का परिणाम होता है अलग-अलग प्रकार का फ्रैक्चर और हड्डियों का टेढा-मेढ़ा होना।
साठ वर्ष से अधिक उम्र के स्त्री-पुरुषों के इसकी बीमारी के चपेट में आने की आशंका सर्वाधिक होती है। ओस्टियोपोरोसिस रहन-सहन, जीवनशैली, खान पान, उम्र, अल्कोहल की मात्रा, लिंग और पारिवारिक इतिहास पर निर्भर करता है। यह बीमारी कितनी खतरनाक है इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि वर्ष 2000 से अब तक इस बीमारी के नौ करोड़ नए रोगी सामने आ चुके हैं।
ओस्टियोपोरोसिस में कूल्हा, रीढ़ एवं जोड़ों की हड्डियां सबसे ज्यादा प्रभावित होती है। उम्र बढ़ने के साथ इस बीमारी की आशंका बढ़ जाती है। रजोनिवृत्ति के बाद एस्ट्रोजन की कमी के कारण ओस्टियोपोरोसिस होने की आशंका महिलाओं में ज्यादा होती है।
एक रिपोर्ट के अनुसार पूरे विश्व में करीब 20 करोड़ महिलाएं ओस्टियोपोरोसिस से पीड़ित हैं। यह स्थिति गरीबी से जूझ रहे विकासशील देशों जैसे भारत, चीन, बांग्लादेश एवं अफ्रीकी देशों में और भी खतरनाक है, जहां अधिकांशत: महिलाएं गांवों में निवास करती हैं और चिकित्सा सुविधाओं एवं जागरूकता के अभाव में ओस्टियोपोरोसिस की शिकार हो जाती हैं।
रिपोर्ट के अनुसार 2050 तक आधे से अधिक कूल्हे के फ्रैक्चर के मामले एशिया में होंगे। ओस्टियोपोरोसिस के चीन में सात करोड़ मरीज थे और 2003 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में इसके 2.2 करोड़ मरीज थे। विशेषज्ञों के अनुसार भारत में 2013 तक ओस्टियोपोरोसिस के मरीजों की संख्या बढ़कर 3.60 करोड़ हो जाएगी। भारत में कम आय वर्ग की 30-60 वर्ष आयु की महिलाओं पर हुए सर्वेक्षण में इनके हड्डियों का घनत्व पोषण की कमी के कारण विकसित देशों की तुलना में बेहद कम था।
ओस्टियोपोरोसिस से बचने के लिए हड्डियों के घनत्व की नियमित जांच ही इससे बचने का सर्वोत्तम विकल्प है। हड्डियों के घनत्व की जांच डीएक्सए द्वारा की जाती है। चिंता की बात यह है कि डीएक्सए मशीन की उपलब्धता केवल शहरों तक सीमित है। डबल्यूएचओ के मानदंडों के अनुसार विकासशील देशों में डीएक्सए का वितरण बहुत ही असमान है।
इस बीमारी का इलाज सम्भव है और सबसे अच्छा तरीका है इसके प्रति जागरूकता। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में 20 से 25 वर्ष की अवस्था के दौरान उसकी हड्डियों का घनत्व अधिकतम होता है। संतुलित भोजन एवं स्वस्थ जीवनशैली अपना कर यह घनत्व अधिकतम हो सकता है। जीवन भर हड्डियों की मजबूत इसी अधिकतम घनत्व पर निर्भर करती है।
हड्डियों की मजबूती के लिए डबल्यूएचओ के अनुसार प्रतिदिन 1000-1300 मिलीग्राम कैल्शियम का सेवन आवश्यक माना है। इसके लिए जरूरी है कि भोजन में फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, दही पनीर आदि का भरपूर सेवन किया जाए। धूम्रपान एवं अल्कोहल से दूर रहने के साथ बचपन से ही नियमित व्यायाम एवं सक्रिय जीवनचर्या को अपनाना जरूरी है। विटामिन-डी का प्रमुख स्रोत सूर्य है अत: अनुकूल मौसम में सूर्य की रोशनी भी शरीर को मिलनी चाहिए।