बचपन में एक गाना सुनते थे, "हम लाये हैं तूफ़ान से कश्ती निकाल के - मेरे देश के बच्चों इसे रखना संभाल के", तब यह यह गाना बहुत अच्छा लगता था लेकिन कुछ समय बाद देश का वोह हाल हुआ कि गाना अप्रासंगिक लगने लगा. अब रोशनी की एक नई किरण फूटी हैं, वोही गाना फिर से प्रासंगिक लगने लगा है. अब इस देश के सच्चे बच्चेा उस नई किरण की रौशनी में आगे बढ कर देश को संभालने के लिये तेयार है.