राष्ट्रपति ने की हि0प्र0 केंद्रीय विश्वविद्यालय के द्वितीय दीक्षांत समारोह में शिरकत
धर्मशाला,12 फरवरी ( विजयेन्दर शर्मा) । भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज धर्मशाला के समीप शाहपुर में हि0प्र0 केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्थाई परिसर में आयोजित द्वितीय वार्षिक दीक्षांत समारोह में शिरकत की।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा में मानवीय जीवन के उन्नयन की भारी क्षमता एवं योग्यता है। विशेषकर, उच्च शिक्षा समाज को अत्यंत लाभ पहुंचा सकती है; शिक्षा को पूरी तरह सार्थक किए जाने पर इससे होने वाले लाभ कल्पनातीत हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारत का एक भी शिक्षण संस्थान विश्व के 200 उच्च विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। हमारे कुछ विश्वविद्यालय एवं यांत्रिकी संस्थान वास्तव में विश्व की उच्चतर संस्थाओं में गिने जाने योग्य हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया की गहरी जानकारी के लिए मात्र गणक एजैंसियों द्वारा अपनाए जाने वाली ठोस प्रक्रिया का ज्ञान ही आवश्यक नहीं है परंतु इन संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अपनाए जाने वाली योजना एवं रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति ने पुन: इस बात पर बल देते हुए कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों को व्याप्त दोयम दर्जे के वातावरण को बदलने के लिए नए विचार लाने की आवश्यकता है। सरकारी आधारभूत ढांचे को नवीन विचारों के लिए सहाय होना पड़ेगा और उन्हें त्वरित निर्णय करने की प्रक्रिया को सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। इसके लिए स्थापित विद्वानों के विशेषज्ञता एवं अनुभव को विश्वविद्यालय के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों को सृजनात्मकता का केंद्र बनना होगा। यह सभी संस्थान प्रौद्योगिकी विकास के उत्कृष्ट उद्गम एवं केंद्र बन सकते हैं। कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने मौलिकता एवं विचारों के अदान-प्रदान के लिए नवीन प्रवर्तन कलब स्थापित कर पहल की जा चुकी है। इस प्रक्रिया के अगले चरण में इन नवीन प्रवर्तन कलबों को अपने क्षेत्र में स्थापित आईआईटी एवं एनआईटी के साथ समन्वय स्थापित कर नई पहल करनी होगी, जिससे निचले स्तर के नवीन प्रवर्तकों के बहुमूल्य विचारों को उपयोगी उत्पाद बनाने में काम लाया जा सके।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा, समन्वय और साथ काम करने की भावना को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तीन श्रेणियों में उत्कृष्ट विश्वविद्यालय, नवीन प्रर्वतन एवं अनुसंधान नामक वार्षिक अभ्यागत पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की और उन्होंने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों, जिनमें हिमाचल प्रदेश का केंद्रीय विश्वविद्यालय भी शामिल है, से आग्रह किया कि वे इन पुरस्कारों के लिए अपने सर्वोच्च प्रयास करें।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विख्यात अर्थशास्त्री, एवं प्रशासक डॉ0 विजय केलकर को ऑनोरिस कॉजिय़ा की उपाधि से अंलकृत किया। उन्होंने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के नवीन प्रवर्तकों एवं उद्यमियों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
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**VijyenderSharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
Contact Number is 09736276343Mobile
धर्मशाला,12 फरवरी ( विजयेन्दर शर्मा) । भारत के राष्ट्रपति श्री प्रणब मुखर्जी ने आज धर्मशाला के समीप शाहपुर में हि0प्र0 केंद्रीय विश्वविद्यालय के अस्थाई परिसर में आयोजित द्वितीय वार्षिक दीक्षांत समारोह में शिरकत की।
इस अवसर पर अपने उद्बोधन में राष्ट्रपति ने कहा कि शिक्षा में मानवीय जीवन के उन्नयन की भारी क्षमता एवं योग्यता है। विशेषकर, उच्च शिक्षा समाज को अत्यंत लाभ पहुंचा सकती है; शिक्षा को पूरी तरह सार्थक किए जाने पर इससे होने वाले लाभ कल्पनातीत हैं। उन्होंने इस बात पर चिंता व्यक्त की कि भारत का एक भी शिक्षण संस्थान विश्व के 200 उच्च विश्वविद्यालयों में शामिल नहीं है। हमारे कुछ विश्वविद्यालय एवं यांत्रिकी संस्थान वास्तव में विश्व की उच्चतर संस्थाओं में गिने जाने योग्य हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया की गहरी जानकारी के लिए मात्र गणक एजैंसियों द्वारा अपनाए जाने वाली ठोस प्रक्रिया का ज्ञान ही आवश्यक नहीं है परंतु इन संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाने के लिए अपनाए जाने वाली योजना एवं रणनीति को प्रभावी ढंग से लागू करना अनिवार्य है।
राष्ट्रपति ने पुन: इस बात पर बल देते हुए कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों को व्याप्त दोयम दर्जे के वातावरण को बदलने के लिए नए विचार लाने की आवश्यकता है। सरकारी आधारभूत ढांचे को नवीन विचारों के लिए सहाय होना पड़ेगा और उन्हें त्वरित निर्णय करने की प्रक्रिया को सुविधाएं प्रदान करनी होंगी। इसके लिए स्थापित विद्वानों के विशेषज्ञता एवं अनुभव को विश्वविद्यालय के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रयोग किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि हमारे शैक्षणिक संस्थानों को सृजनात्मकता का केंद्र बनना होगा। यह सभी संस्थान प्रौद्योगिकी विकास के उत्कृष्ट उद्गम एवं केंद्र बन सकते हैं। कई केंद्रीय विश्वविद्यालयों ने मौलिकता एवं विचारों के अदान-प्रदान के लिए नवीन प्रवर्तन कलब स्थापित कर पहल की जा चुकी है। इस प्रक्रिया के अगले चरण में इन नवीन प्रवर्तन कलबों को अपने क्षेत्र में स्थापित आईआईटी एवं एनआईटी के साथ समन्वय स्थापित कर नई पहल करनी होगी, जिससे निचले स्तर के नवीन प्रवर्तकों के बहुमूल्य विचारों को उपयोगी उत्पाद बनाने में काम लाया जा सके।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे केंद्रीय विश्वविद्यालयों में प्रतिस्पर्धा, समन्वय और साथ काम करने की भावना को विकसित किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों में तीन श्रेणियों में उत्कृष्ट विश्वविद्यालय, नवीन प्रर्वतन एवं अनुसंधान नामक वार्षिक अभ्यागत पुरस्कार आरंभ करने की घोषणा की और उन्होंने सभी केंद्रीय विश्वविद्यालयों के शिक्षकों एवं छात्रों, जिनमें हिमाचल प्रदेश का केंद्रीय विश्वविद्यालय भी शामिल है, से आग्रह किया कि वे इन पुरस्कारों के लिए अपने सर्वोच्च प्रयास करें।
इस अवसर पर राष्ट्रपति ने विख्यात अर्थशास्त्री, एवं प्रशासक डॉ0 विजय केलकर को ऑनोरिस कॉजिय़ा की उपाधि से अंलकृत किया। उन्होंने इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश के नवीन प्रवर्तकों एवं उद्यमियों द्वारा आयोजित प्रदर्शनी का भी उद्घाटन किया।
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**VijyenderSharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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