शांता कुमार ने कहा केवल एक नेता की कुर्सी के लिए पूरे देश को जेल खाना बना दिया गया। एक लाख 10 हजार विपक्षी नेताओं को जेलों में डाल दिया। संविधान को स्थागित कर दिया और मूलरूप अधिकारों को भी समाप्त कर दिया। यहां तक की भगवान और संविधान द्वारा दिया गया जीने का अधिकार भी समाप्त कर दिया।
उन्होंने कहा जब मैं विधायक था। 23 जून शिमला को चला। पत्नी संतोष ने पूछा था कब वापस आओगे - मैंने उत्तर दिया था - कल बैठक है परसों तक आ जाऊंगा। वह परसों 19 मास तक नहीं आया। 28 दिसंबर टांडा हस्पताल में साम को संतोष के पास बैठा था। उसने कहा अब आप जाए कल आ जाना। 29 दिसंबर प्रातःकाल चार बजे वह यह दुनिया छोड़ कर चली गई। 23 जून परसों तो 19 महीने बाद आ गया था परन्तु 28 दिसम्बर का कल आज तक नहीं आया। अब कभी भी नही आयेगा। शांता कुमार ने कहा मुझे 19 महीने नाहन जेल रहने का सौभाग्य मिला था। पूरे देश के उस समय के लोकतंत्र पहरियों को नमन करता हूं। 90 लोग जेल की यातनाओं से मृत्यु को प्राप्त हुए थे। उन्हें श्रद्धांजलि देता हूं और नाहन जेल के साथियों को याद करके जिनके साथ रह कर एक आश्रम बना दिया था। इस दिन को पूरा भारत याद रखें और भविष्य में कभी भी इस प्रकार की घटना न घटें।