65 वर्षीय दिल की मरीज़ कौशल्या ने दी कोरोना को मात

हिम्मत और उम्मीद से मिली दिशा
 
खुंडिया तहसील के बरवाला गाँव की कौशल्या देवी के दिल में कुछ अरसा पहले दिक़्क़त आने से उन्हें सॉंस लेने में परेशानी हो रही थी। चिकित्सीय परामर्श के बाद उनके दिल में दो स्टंेट डाले गए। लेकिन ज़िन्दगी उनका इम्तिहान लेने से यहीं नहीं रुकी। हाल में ही उन्हें कोरोना ने जकड़ लिया था। किन्तु उन्होंने हिम्मत और उम्मीद का दामन नहीं छोड़ा। तमाम मुश्किलों के बावजूद प्रशासन की रहनुमाई में  चिकित्सकों के प्रयासों से उन्हें नया जीवन दान मिला है।
    कौशल्या के पति मस्त राम बताते हैं कि मेरी पत्नी की सॉंस रुक-रुक कर आ रही थी। उन्हें सॉंस लेने  में भारी दिक़्क़त हो रही थी। मैं उन्हें तुरन्त खुंडिया अस्पताल लेकर गया, जहां उनका कोविड टेस्ट हुआ। रिपोर्ट पॉज़िटिव आई। उस समय कौशल्या का ऑक्सीजन लेवल 65 पहुंच गया था। खंुड़िया अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. अभिषेक ने तुरंत कार्रवाई करते हुए देहरा से एम्बुलेंस मंगवाई तथा उन्हें इलाज के लिए  अस्पताल, मटौर भेजा गया। अस्पताल पहुंचते ही उन्हें ऑक्सीजन देने के बाद उन्हें आवश्यक चिकित्सा उपलब्ध करवाई गई। अस्पताल में उन्हें समय-समय पर गर्म पानी, फल, खाना तथा चाय मिलती रही। अस्पताल में चार दिन तक ऑक्सीजन पर रखने के बाद उन्हें घर भेज दिया गया।
     कौशल्या, ज़िला प्रशासन का आभार व्यक्त करते हुए बताती हैं कि ज़िला प्रशासन लगातार फोन पर उनके परिवार के सम्पर्क में बना रहा। सिटी अस्पताल के क़ाबिल डॉ. आशीष गर्ग, डॉ. प्रदीप मक्कड़ तथा डॉ. राजीव डोगरा की देखरेख में हर मरीज़ का पूरा ख़्याल रखा जाता है। मैं, बेहतर सुविधाओं के लिए सिटी अस्पताल के डॉक्टर तथा पूरे स्टाफ का दिल की गहराईयों से धन्यवाद करती हूँ। उनके प्रयासों से आज मैं ज़िन्दा हूॅं। मेरे इलाज का सारा ख़र्च हिमाचल सरकार ने उठाया और सिटी अस्पताल ने हमसे कोई पेमेन्ट नहीं ली।
    कौशल्या कहती हैं कि प्रदेश सरकार तथा ज़िला प्रशासन ने सिटी अस्पताल, मटौर में कोरोना वार्ड बना कर लोगों के अमूल्य जीवन को बचाने का सराहनीय कार्य किया है। मैं और मेरा परिवार इसके लिए उनका आभार और धन्यवाद करते हैं।
    ग़ौरतलब है कि  मटौर में कोविड केयर सेंटर 01 मई, 2021 को शुरू किया गया था; जिसमें 25 बिस्तरों का प्रावधान किया गया है। स्टाफ के 12 लोग रात-दिन शिफ्टों में बारी-बारी से ड्यिूूटी पर रहते हैं। एक चिकित्सा विशेषज्ञ दिन में कम से कम छः बार वार्ड में आकर मरीज़ों के स्वास्थ्य के बारे जानकारी लेते रहते हैं तथा आवश्यक चिकित्सीय परामर्श उपलब्ध करवाते हैं। इस अस्पताल में खाने-पीने की व्यवस्था देखने के लिए अलग से स्टाफ रखा गया है।
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BIJENDER SHARMA

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