भारत की आधी आबादी 24 साल से कम उम्र की है जबकि इसमें 65 फीसदी 35 साल से कम उम्र की है। इस युवा राष्ट्र के अवसर का दोहन करने के लिए, युवाओं की भलाई सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है। ऐसे में प्रजनन स्वास्थ्य एक महत्वपूर्ण कारक है। हाल ही में भारत में पहली बार 'कंडोमोलॉजी' जारी की गई है। ये रिपोर्ट उपभोक्ता मनोविज्ञान और कंडोम के प्रति दृष्टिकोण का विश्लेषण करती है। इस रिपोर्ट को कंडोम एलायंस , बाजार में मौजूद कंपनियों और कई समूहों द्वारा तैयार की गई है।
रिपोर्ट का उद्देश्य भारत में युवा लोगों की भलाई में सुधार करना और कंडोम के उपयोग के बारे में गलत धारणाओं को दूर करना है। रिपोर्ट बताती है कि कैसे अनियोजित गर्भधारण की संख्या, असुरक्षित गर्भपात और एसटीआई की संख्या में वृद्धि युवाओं के लिए सतत विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए एक महत्वपूर्ण बाधा के रूप में काम करती है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण 4 (एनएफएचएस 4) के आंकड़ों का हवाला देते हुए, रिपोर्ट में कहा गया है कि 20 से 24 वर्ष की आयु के लगभग 80 प्रतिशत पुरुषों ने अपने अंतिम यौन साथी के साथ गर्भनिरोधक का उपयोग नहीं किया। जो प्रजनन और यौन स्वास्थ्य में एक आसन्न संकट है।रिपोर्ट के मुताबिक भारत में कंडोम का उपयोग बेहद ही कम है। भारत में सिर्फ 5.6 फीसदी लोग ही कंडोम का उपयोग करते हैं। रिपोर्ट कहती हैं कि, संरक्षित सेक्स और गर्भ निरोधकों के उपयोग के बारे में सामाजिक कंडीशनिंग और सामाजिक निर्णय अभी भी बाधाएं हैं जिनसे भारत के युवा अभी तक उबर नहीं पाए हैं। रिपोर्ट के अनुसार, केवल 7 प्रतिशत महिलाओं और 27 प्रतिशत पुरुषों ने विवाह पूर्व यौन संबंध के दौरान "कभी भी" कंडोम का इस्तेमाल किया, जबकि केवल 3 प्रतिशत महिलाओं और 13 प्रतिशत पुरुषों ने, हमेशा कंडोम का इस्तेमाल किया।