हिमाचल प्रदेष की राजनिति के बुंलद सितारे वीरभद्र सिंह हमारे बीच नहीं रहे

हिमाचल प्रदेष की राजनिति के बुंलद सितारे वीरभद्र सिंह  हमारे बीच नहीं रहे
             शिमला   , 08 जुलाई  (विजयेन्दर  शर्मा)।  हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह का आज 87 साल की उम्र में निधन हो गया। उन्होंने षिमला के आईजीएमसी अस्पताल में 3 बजकर चालीस मिन्ट पर अंतिम सांस ली इसी के साथ हिमाचल कांग्रेस ही नहीं बल्कि आम जनमानस की की बुलंद आवाज आज सदा के लिये खामोष हो गइ उनके निधन की पुश्टि आईजीएमसी के  एम एस जनक राज ने की है सुबह आज लोगों को उठते ही यह मनहूस खबर मिली तो पूरे हिमाचल में मातम पसर गया
दरअसल पिछले दिनों से वीरभद्र सिंह की तबीयत लगातार बिगडती जा रही थी उन्हें   शिमला के इन्दिरा गांधी मेडिकल कालेज में लाया गया था  वीरभद्र सिंह पिछले कुछ दिनों से बीमार चल रहे था इससे पहले वह 12 अप्रैल को कोरोना पाजिटिव पाये गये थे उसके बाद उन्हें षिमला से मोहाली ले जाया गया था  दो सप्ताह ईलाज के बाद वीरभद्र सिंह हाल ही में षिमला लौटे थे  उसके कुछ दिन बाद उनकी तबीयत बिगड गई थी व उन्हें आईजीएमसी षिमला लाया गया था उन्हें देखने खुद मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर भी आये थे ईलाज के बाद उनकी सेहत में सुधार देखा गया था  लेकिन एक बार फिर उनकी रिर्पोट पाजिटिव आई व उसके बाद भी उनके स्वास्थय में सुधार देखा गया लेकिन तीन दिन पहले उनका आक्सीजन लेवल घटने लगा था उसके बाद उन्हें वेंटिलेटर पा लाया गया था वह लगातार डाक्टरों की एक टीम की निगरानी में थे लेकिन उनकी सेहत में सुधार नहीं हो पाया जिसके चलते गुरूवार सुबह उन्होंने षिमला के आईजीएमसी अस्पताल में अंतिम सांस ली
वीरभद्र सिंह की अपनी एक शख्सियत थी। हिमाचल प्रदेश में वाई एस परमार के बाद वही एक ऐसे नेता रहे जिन्हें जनता का पूरा प्यार व समर्थन मिलता रहौ। हालांकि वह 87 साल के हो गये थे, लेकिन आज भी उनमें वही ऊर्जा बरकार थी जो शायद इस उम्र के शख्स में न हो। भले ही उनके खिलाफ चल रहे कथित भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते उनके विरोधी उन्हें घेरने का प्रयास करते रहे हों।  लेकिन जनता के दिलों में वह ताउम्र राजा ही रहे
पूर्व रामपुर रियासत के अंतिम राजा वीरभद्र सिंह का जन्म रामपुर रियासत में 23 जून, 1934 को हुआ था। प्रदेश की राजनीति के दिग्गज वीरभद्र सिंह को राजनीति में ही पांच दशक से अधिक हो गए हैं। 1962 में राजनीति में कदम रखने वाले वीरभद्र सिंह को राजनिति में भी 50 साल से अधिक राजनिति में सक्रिय रहे।
हिमाचल प्रदेष की रामपुर रियासत के राजखानदान से ताल्लुक रखने वाले वीरभद्र सिंह हिमाचल के छह बार मुख्यमंत्री रह चुके वीरभद्र सिंह ने 30 जनवरी, 1962 को दिल्ली में कांग्रेस की सदस्यता ग्रहण की थी और इससे दो दिन पहले ही उन्हें कांग्रेस ने महासू से अपना संसदीय उम्मीदवार घोषित कर दिया था। वीरभद्र सिंह दावा करते हैं कि उन्होंने अपने 55 साल के लम्बे राजनीतिक जीवन में एक घंटे के लिए भी कांग्रेस नहीं छोड़ी और न ही उन्हें कभी ऐसा करने का विचार उनके मन में आया।
वीरभद्र सिंह मानते थे कि कांग्रेस के प्रति उनकी निष्ठा का ही प्रतिफल है कि उन्हें पूर्व प्रधानमंत्री स्व. इंदिरा गांधी के साथ ही तीन बार केंद्रीय मंत्री बनने का मौका मिला। बकौल उनके आज लगभग सभी राजनीतिक दलों में आया राम, गया राम का अत्यधिक चलन हो गया है लेकिन उन्हें कभी ऐसा महसूस नहीं हुआ कि उन्हें कांग्रेस में नहीं रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कुछ मौकों पर पार्टी नेताओं से मतभेद जरूर हुए लेकिन कभी भी किसी से मनभेद नहीं हुआ। यही कारण है कि वह छह बार हिमाचल के मुख्यमंत्री बने।
बढ़ती उम्र और अदालती मामलों में जूझने के बावजूद सत्ता से वीरभद्र सिंह का मोह अंत तक छूटा नहीं। यही वजह है कि उन्होंने पिछला चुनाव भी लडा और जीते भी
वीरभद्र सिंह मानते थे कि प्रदेश की जनता ने उन्हें बहुत प्यार दिया है और अगर वह पांच जन्म भी लेते हैं तो भी इस प्यार का ऋण नहीं चुका सकते। सक्रिय राजनीति में वीरभद्र सिंह ने इस लम्बे सफल राजनीतिक जीवन के लिए कांग्रेस के प्रति अपनी निष्ठा और प्रदेश की जनता के स्नेह और प्यार का नतीजा बताते रहे।
BIJENDER SHARMA

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