औरंगजेब जैसे शासक का महिमा मंडन आज के समय में क्यों की जा रही है : संदीपनी

औरंगजेब जैसे शासक का महिमा मंडन आज के समय में क्यों की जा रही है : संदीपनी

इंडी गठबंधन के नेता सनातन धर्म के समूल नाश के अभियान में किसी भी सीमा और निम्नता तक जाने को तैयार हैं

शिमला, भाजपा प्रदेश प्रवक्ता संदीपनी भारद्वाज ने मीडिया को संबोधित करते हुए मध्यकालीन इतिहास के क्रूर शासक औरंगजेब का महिमामंडन करने के लिए वामपंथी नेताओं की कड़ी आलोचना की और इसे पूरे भारतीय समाज का अपमान करार दिया।

संदीपनी ने बताया कि इंडी गठबंधन के दलों में अपने आप को बड़ा हिंदू विरोधी साबित करने की गला-काट प्रतिस्पर्धा चल पड़ी है ताकि एक समुदाय का तुष्टिकरण कर उसके वोट लिए जा सकें। प्रवक्ता ने कर्नाटक में बिना वित्त समिति की अनुशंसा के मुख्यमंत्री आवास में सौंदर्यीकरण शुरू करने के लिए कर्नाटक की कांग्रेस सरकार को भी आड़े हाथों लिया और इसे भ्रष्टाचार का मामला बताया। संदीपनी ने कहा कि समाजवादी पार्टी के नेता अबू आजमी और उसके उपरांत कांग्रेस पार्टी के नेता राशिद अल्वी और उदित राज के द्वारा अकारण अवांछित रूप से इतिहास के सबसे क्रूर अत्याचारी शासकों में से एक औरंगजेब का महिमा मंडन करना, संपूर्ण भारतीय समाज के लिए बहुत अपमान की बात है।

ये कांग्रेस और इंडी गठबंधन की पुरानी फितरत है। इससे पूर्व भी कांग्रेस के राज्यसभा सांसद इमरान प्रतापगढ़ी औरंगजेब की कब्र पर जाकर फ़ातिहा पढ़ चुके हैं। भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि इंडी गठबंधन के नेता सनातन धर्म के समूल नाश के अभियान में किसी भी सीमा और निम्नता तक जाने को तैयार हैं। जो बुलाने पर भी अयोध्या में श्रीरामलला का दर्शन करने नहीं गए, जो 66 करोड़ लोगों के आस्था का स्नान करने के बाद भी प्रयाग के महाकुंभ में स्नान करने नहीं गए, वो दुनिया के सबसे क्रूर शासक औरंगजेब का गुणगान करने में लगे हैं। ये इनकी भारतीय संस्कृति के प्रति नफरत और हिकारत को दर्शाता है।

संदीपनी ने इंडी गठबंधन के नेताओं से प्रश्न करते हुए कहा कि आज जब दुनिया में न्यूक्लियर एनर्जी के साथ 5जी रोल आउट और एआई की बातें की जा रही हैं, तो उस समय अपने तीन सगे भाइयों की हत्या करने वाले और अपने बाप को जेल में डालने वाले इस क्रूर शासक का महिमा मंडन करके ये नेता क्या हासिल करना चाहते हैं? प्रसिद्ध इतिहासकार सर जदुनाथ सरकार द्वारा अनुवादित 'मआसिर-ए-आलमगिरी' नामक औरंगजेब की आत्मकथा के पृष्ठ संख्या 80 से 100 के बीच साफ लिखा है कि 6 अप्रैल 1669 को औरंगजेब ने भारत के विभिन्न मंदिरों को तोड़ने का आदेश दिया और 2 सितंबर 1669 उस आदेश के पालन होने के दस्तावेज भी उपलब्ध हैं। औरंगजेब द्वारा 1670 में उदयपुर सहित कई शहरों में मूर्तियों को तोड़ने के आदेश भी उपलब्ध हैं। जिस औरंगजेब की ये सच्चाई है, ऐसे शासक का महिमा मंडन आज के समय में क्यों की जा रही है?


Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road  JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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