करोना संकटकाल में भाजपा ने कमाए 3,623 करोड़ और जनता भूख से लाचार- कांग्रेस
*कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा बोले- लोग बेरोज़गार हो गए और भाजपा की कमाई 50 प्रतिशत बढ़ गई*
*कांग्रेस के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा बोले- लोग बेरोज़गार हो गए और भाजपा की कमाई 50 प्रतिशत बढ़ गई*
धर्मशाला, 31 अगस्त (विजयेन्दर शर्मा) । करोना संकटकाल में लोग बेरोज़गार हो गए।करोड़ों लोगों के काम-धंधे चौपट हो गए।समाज के हर वर्ग की औसत आय कम हो गई लेकिन हैरानी की बात है कि इस दौरान भाजपा की आय पच्चास प्रतिशत बढ़ कर 3623.28 करोड़ हो गई।एडीआर के यह ताज़ा आंकड़े चौंकाने वाले हैं।यह बात प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता दीपक शर्मा ने आज मीडिया से कही।
उन्होंने कहा कि जब पूरी मानवता पर जान का संकट था, सबकी रोजी रोटी पर सवाल खड़े हो चुके थे,ऐसे में भाजपा की आमदन में अरबों की बढ़ौतरी हैरान करने वाली है।उन्होनें कहा कि आखिर इस संकट के दौर में भाजपा ने कौन सा ऐसा धंधा किया जिससे इसकी आमदन 2410 करोड़ से बढ़ कर 3623 करोड़ पहुंच गई।दीपक शर्मा ने कहा कि मजदूर भूख से मर रहा था, छोटे व्यापारी की आय खत्म हो गई।किसान-बागवान, मध्यमवर्ग को रोजी रोटी के लाले पड़ गए,करोड़ों लोग बेरोजगारी की मार झेल रहे हैं लेकिन भाजपा की कमाई दिन रात फल फूल रही है।कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि भाजपा को इस कमाई का खुलासा सार्वजनिक करना चाहिए।वो कौन उद्योगपति हैं जिन्होंने करोना के बुरे दौर में धंधा चौपट होने के बावजूद भाजपा को अरबों रुपए दान किए।यह पूर्णतः शंका पैदा करने वाला कार्य है।दीपक शर्मा ने कहा कि जनता भाजपा से इस आय के दाताओं के नाम जानना चाहती है।उन्होंने कहा कि कहीं यह वही लोग तो नहीं जिनको मोदी सरकार द्वारा देश की बहुमूल्य सम्पत्तियां बेची जा रही हैं।दीपक शर्मा ने कहा कि करोना संकटकाल में जिस तरह आम जनता की मजबूरियों का दवा माफिया,जमाखोरी माफिया सहित अनेक मानवता के दुश्मनों ने नाजायज़ फायदा उठाया उसको देख कर भाजपा की यह बढ़ती हुई अरबों की आय आमजन में शंका पैदा करती है।उन्होंने कहा कि हैरानी की बात है कि भाजपा ने इस काल में आय तो 3623 करोड़ की प्राप्त की लेकिन खर्च मात्र 1651 करोड़ किया गया जबकि इसी दौरान पश्चिम बंगाल समेत पांच राज्यों में हुए चुनावों में भाजपा ने अरबों रुपए खर्च किए।दीपक शर्मा ने कहा कि भाजपा को इस संदिग्ध करोड़ों की आमदन के स्रोतों बारे पारदर्शिता बरतते हुए सभी दान दाताओं का ब्यौरा सार्वजनिक करना चाहिए ताकि जनता के बीच जो शंकाएं पैदा हुई हैं उनका समाधान हो सके।