संस्कृत मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है, आचार्य प्रबल शास्त्री
ज्वालामुखी 12 अगस्त ( विजयेन्दर शर्मा ) । आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्षय में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की ओर से श्री मां संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस का विधिवत समापन हो गया । कार्यक्रम में प्रदेश भर से आये विभिन्न संस्कृत महाविद्यालयों से करीब 150 प्रतिभागियों और संस्कृत विद्वानों ने शिरकत की। जिसमें इस प्राचीन भाषा के उत्थान के लिये प्रयत्न करने का आह्वान किया गया। इससे पहले सहायक निदेशक भाषा संस्कृति विभाग श्रीमती कुसुम संघाईक ने संस्कृत विद्ानों का अभिनन्दन किया।
ज्वालामुखी 12 अगस्त ( विजयेन्दर शर्मा ) । आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्षय में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की ओर से श्री मां संस्कृत महाविद्यालय के सभागार में आयोजित दो दिवसीय राज्य स्तरीय संस्कृत दिवस का विधिवत समापन हो गया । कार्यक्रम में प्रदेश भर से आये विभिन्न संस्कृत महाविद्यालयों से करीब 150 प्रतिभागियों और संस्कृत विद्वानों ने शिरकत की। जिसमें इस प्राचीन भाषा के उत्थान के लिये प्रयत्न करने का आह्वान किया गया। इससे पहले सहायक निदेशक भाषा संस्कृति विभाग श्रीमती कुसुम संघाईक ने संस्कृत विद्ानों का अभिनन्दन किया।
समारोह में अपने संबोधन में श्री मां संस्कृत महाविद्यालय के प्राचार्य पंडित प्रबल शास्त्री ने कहा कि संस्कृत मानव सभ्यता के प्राचीन इतिहास से जुड़ी विश्व की प्राचीन भाषा है। यह आधुनिक भाषा के रूप में सर्वथा सार्थक है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार देवता अमर हैं, उसी प्रकार संस्कृत भाषा भी अपने विशाल साहित्य, लोकहित की भावना, विभिन्न प्रयासों और उपसर्गों के माध्यम से नवीन-नवीन शब्दों के निर्माण की क्षमता आदि से अमर है। आधुनिक विद्वानों के अनुसार संस्कृत भाषा का अखंड प्रवाह पांच सहस्र वर्षों से बहता चला आ रहा है। आज भी सभी क्षेत्रों में इस भाषा के द्वारा ग्रंथ निर्माण की क्षीण धारा अविच्छिन्न रूप से बह रही है।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए। तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, मगर हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है।
विभाग के सहायक निदेशक अलका कैंथला ने दो दिवसीय आयोजन में प्रदेश भर से आए समस्त साहित्यकारों, संस्कृत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया । कार्यक्रम में विभाग के जिला भाषा अधिकारी कांगड़ा अमित गुलेरी, भाषा अधिकारी सुरेश राणा, श्रीमती श्रेष्ठा ठाकुर, आचार्य डा महेन्दर शर्मा , आचार्य अनूप शास्त्री और विपिन कुमार भी उपस्थित रहे ।
उन्होंने कहा कि संस्कृत भाषा को लोकप्रिय एवं हर व्यक्ति के जीवन की आवश्यकता बनानी चाहिए। तभी लोग संस्कृत के प्रति अपना उत्साह दिखाएंगे। आज के भौतिकवादी युग में संस्कृत भाषा को सबसे विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ रहा है, मगर हमेशा ही आम लोगों के प्रोत्साहन एवं विश्वास के कारण यह समृद्ध भाषा रही है।
विभाग के सहायक निदेशक अलका कैंथला ने दो दिवसीय आयोजन में प्रदेश भर से आए समस्त साहित्यकारों, संस्कृत महाविद्यालय के छात्र-छात्राओं का आयोजन को सफल बनाने के लिए धन्यवाद किया । कार्यक्रम में विभाग के जिला भाषा अधिकारी कांगड़ा अमित गुलेरी, भाषा अधिकारी सुरेश राणा, श्रीमती श्रेष्ठा ठाकुर, आचार्य डा महेन्दर शर्मा , आचार्य अनूप शास्त्री और विपिन कुमार भी उपस्थित रहे ।