सौर सिंचाई योजना ने बदली गरीब किसानों की तकदीर......हरित ऊर्जा राज्य बनाने में होगी मददगार ।

सौर सिंचाई योजना ने बदली गरीब किसानों की तकदीर......हरित ऊर्जा राज्य बनाने में होगी मददगार ।
 विभाग के प्रयासों से किसानों को मिला आर्थिक स्वावलंबन ।
 धर्मशाला,  15 फरवरी (विजयेन्द्र शर्मा)  ।  भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि हमारे देश की अर्थव्यवस्था की नींव है। लेकिन कई चुनौतियों से भरा व्यवसाय भी है। जिनमें पानी की समस्या, गर्मियों में बिजली की कटौती, बेसहारा पशुओं तथा जंगली जानवरों जैसी समस्याओं के साथ-साथ लोगों विशेषकर युवा पीढ़ी का इस व्यवसाय से विमुख होना सबसे बड़ी समस्या है। हमारे देश में जिस तरह की फसलें बोई जाती हैं उनमें मौसम विशेषकर पानी पर निर्भरता सबसे महत्वपूर्ण है। हिमाचल प्रदेश में भी कृषि क्षेत्र अधिकतर वर्षा पर निर्भर रहता है।   किसानों की इस निर्भरता को समाप्त करने के लिए कृषि विभाग की योजनाएं तथा प्रयास कई मायनों में आर्थिकी को सुदृढ़ बनाने में काफी कारगर साबित हुए हैं। ज़िला कांगड़ा के फतेहपुर उपमण्डल के तहत रियाली पंचायत में जहां लोग पानी की कमी के कारण सारा साल बारिश पर निर्भर रहते थे। विशेषकर भयंकर गर्मी के दिनों में उन्हें अपने मवेशियों के साथ-साथ खेतीबाड़ी के लिए पानी की समस्या के कारण होने वाली चिंता की लकीरें उनके माथे पर साफ झलकती थी।
    कृषि विभाग द्वारा यहां के किसानों की मौसम और बारिश पर निर्भरता को समाप्त करने के लिए सौर सिंचाई योजना से जोड़ कर जहां उन्हें चिंतामुक्त किया है वहीं उन्हें आर्थिक तौर पर मजबूत बनाकर उनकी तकदीर बदल दी है।  फसलों  और सब्जियों से लहलहाते खेत क्षेत्र की खूबसूरती को अपने आप बयां कर रहे हैं।  
भू-संरक्षण विभाग द्वारा फतेहपुर उपमंडल में अब तक सौर सिंचाई योजना के अर्न्तगत खेतों में 106 सोलर ऊर्जा पैनल लगवाकर लोगों को लाभान्वित किया जा चुका है। जिससे जहां किसानों के खेतों तक पानी पंहुच रहा है वहीं बारिश के पानी पर निर्भरता समाप्त होने से उनकी चिंता भी खत्म हुई है। वे जरूरत के अनुसार अपनी खेतीबाड़ी व मवेशियों के लिए पानी को उपयोग में ला रहे हैं। इस योजना के तहत लाभान्वित अनुसूचित जाति से सम्बन्ध रखने वाले किसान केवल सिंह, हेम राज, रमेश चंद तथा रमेश सिंह बताते हैं कि पानी के लिए यहां पर कोई प्राकृतिक स्रोत एवं कूहलों आदि की सुविधा न होने के कारण उन्हें खेतीबाड़ी तथा मवेशियों के लिए सारा साल बारिश के पानी पर ही निर्भर रहना पड़ता था, जिस कारण किसान जहां खेतीबाड़ी से पीछे हट रहे थे वहीं पशुओं के लिए चारे की समस्या भी सताती रहती थी। कमाई का कोई अन्य साधन न होने के कारण उन्हें मेहनत-मजदूरी और खेतीबाड़ी पर ही निर्भर रहकर परिवार का पालन-पोषण करना पड़ता था तथा बड़ी मुश्किल से परिवार का गुजारा हो पाता था।
 लेकिन, इस सुविधा के मिलने से जहां खेतीबाड़ी के लिए पर्याप्त पानी उपलब्ध हो रहा है वहीं यहां पर गेहॅूं, धान, सरसों, तिलहन, दालें, रोंगी की भरपूर फसल हो रही है। इसके अतिरिक्त बन्दगोभी और फूलगोभी, भींडी, खीरा,पालक,मटर तथा चुकन्दर की खेती भी की जा रही है जिनके बाजार में अच्छे दाम मिलने से आर्थिक तौर पर काफी सहारा मिल रहा है। उनका मानना है कि लोगों को खेतीबाड़ी, बागवानी और पशुपालन जैसे पैतृक व्यवसाय को अपनाना चाहिए, विशेषकर बेरोजगार युवा आधुनिक तकनीकों को अपना कर खेतीबाड़ी, बबागवानी तथा डेयरी फॉमिंग से जुड़कर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं।
   इस योजना का सबसे बड़ा फायदा है कि सोलर ऊर्जा पैनल में यूएसपीसी (यूनिवर्सल सोलर पंप कन्ट्रोलर) लगाकर जो सौर ऊर्जा पैदा होगी, उससे जहां आटा चक्की, घास काटने की मशीन, फल एवं सब्जी सुखाने की मशीन, मिनी कोल्ड स्टोरेज तथा डीप फ्रीज आदि चलाई जा सकती हैं वहीं इन्वरटर को चार्ज करके घर में बिजली का इस्तेमाल भी किया जा सकता है।
क्या कहते हैं विभागीय अधिकारी
उप मंडलीय भू-संरक्षण अधिकारी, फतेहपुर राकेश पटियाल का कहना है कि सौर सिंचाई योजना के माध्यम से किसानों को सोलर पंप लगाने के लिए 80 से 85 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर एक से साढे़ चार लाख रूपये तक वित्तीय मदद की जाती है। किसानों को कृषि विभाग की ऐसी योजनाओं से जुड़कर लाभ लेना चाहिए।
उपायुक्त कांगड़ा डॉ निपुण जिंदल का कहना है कि मुख्यमंत्री सुखविन्द्र सिंह सुक्खु की सरकार प्रदेश के किसानों, बागवानों व पशुपालकों की आय को बढ़ा कर उनकी आर्थिक समृद्धि के लिए प्रतिबद्ध है। इसके अतिरिक्त प्रदेश  सरकार ने वातावरण को संरक्षित रखने के लिए जल विद्युत, हाईड्रोजन और सौर ऊर्जा का दोहन करने तथा प्रदेश को 2025 तक देश का पहला हरित ऊर्जा राज्य बनाने का जो संकल्प लिया है उसमें भी यह योजना मददगार साबित होगी।
BIJENDER SHARMA

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