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सोलहसिंगी धार चौमुखा महादेव मंदिर ऊना से राजनौण धनेटा हमीरपुर हिमाचल प्रदेश के बीच पहाड़ी पर ये फूल नमी, ठंडी और ढीली मिट्टी में बहुतायत में उगे हुए हैं। इसका नाम है #ज़िंगिबर_क्रिसेंथम (#Zingiber_chrysanthum) जो मुख्य रूप से हिमालयी क्षेत्र से म्यांमार तक पाया जाता है, जिसमें भारत के कई राज्य शामिल हैं। यह एक बारहमासी, "प्रकंदयुक्त" (rhizomatous) जड़ी-बूटी है। ज़िंगिबर क्राइसेंथम (ज़िंगिबर क्राइसेन्थम) समानार्थी शब्द: ज़िंगिबर फ्लेवेसेंस ज़िंगिबरेसी, हिमालय में वितरित। इसके फूल लाल रंग के होते हैं जो कंद मूलवृंत से सीधे घने गोलाकार या आयताकार गुच्छों में लगते हैं। इसके कैप्सूल चमकीले लाल, आयताकार होते हैं, पकने पर खुल जाते हैं और बीज मटर के दाने जितना बड़ा, गोलाकार, सफेद पारभासी बीजांड वाला होता है। इसके उपयोग ज़िंगिबर ऑफ़िसिनेल (ज़िंगर) के समान हैं।ज़िंगिबर क्रिसेंथम (Zingiber chrysanthum) का सामान्य नाम "गोल्डन फ्लॉवर जिंजर" है।  हिंदी में इसे कभी-कभी स्थानीय रूप से "बान अदुवा" (Ban Aduwa) भी कहा जाता है, जो एक नेपाली नाम है और भारत के हिमालयी क्षेत्रों में प्रचलित है। यह पौधा अदरक परिवार (Zingiberaceae) का सदस्य है।

भारत में, यह निम्न क्षेत्रों में पाया जाता है: हिमाचल प्रदेश (चंबा और हमीरपुर जैसे जिले)। उत्तराखंड (कुमाऊं क्षेत्र, देहरादून और टिहरी गढ़वाल) पूर्वोत्तर भारत के राज्य जैसे सिक्किम, अरुणाचल प्रदेश, मेघालय, असम, नागालैंड, मणिपुर और मिजोरम।जम्मू और कश्मीर। 

यह प्रजाति नेपाल, बांग्लादेश और म्यांमार में भी व्यापक रूप से वितरित है। यह पौधा मुख्य रूप से उपोष्णकटिबंधीय बायोम में बढ़ता है।

जिसके प्रकंद (rhizome) का उपयोग स्वाद बढ़ाने वाले मसाले, रंग, सजावट और पारंपरिक औषधि (विशेषकर सर्दी-खांसी, पेट की समस्याओं और मतली के लिए) में होता है; इसके औषधीय गुण इसके रासायनिक घटकों जैसे जिंजरोल और शोगोल के कारण होते हैं, जो इसे "एंटीऑक्सीडेंट" और "सूजन-रोधी" गुण देते हैं।

@शशि पाल प्रवक्ता इतिहास


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