11 अगस्त को हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष का नाम तय होगा व उसके बाद मनकोटिया की वापिसी होगी।

सावधान मनकोटिया कांग्रेस में वापिस आ रहे हैं।
ज्वालामुखी: एक अरसा पहले कांग्रेस को अलविदा कह चुके मेजर विजय सिंह मनकोटिया की कांग्रेस में वापिसी इसी माह होने जा रही है। इसके लिये तमाम औपचारिकतायें पूरी कर ली गई हैं। अब देखना है कि कांग्रेस आलाकमान प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष की तैनाती पहले करता है। या मनकोटिया की कांग्रेस में वापिसी का ऐलान।

हांलाकि मेजर का कांग्रेस नेता केन्द्रिय इस्पात मंत्री वीरभद्र सिंह से छत्तीस का आंकडा रहा है। व वीरभद्र सिंह मेजर की कांग्रेस में वापिसी के हमेशा ही विरोधी रहे हैं। लेकिन स्टोक्स खेमा व मौजूदा अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह आलाकमान तक मनकोटिया की पैरवी कर रहे हैं। वीरभद्र सिंह विरोधी खेमें की दलील रही है कि प्रदेश में कांग्रेस की जडें मजबूत करने के लिये पार्टी को अपना जनाधार कांगडा में मजबूत करना होगा। कांगडा से विधानसभा में सोलह विधायक चुन कर आते हैं। प्रदेश की सत्ता में कांगडा हमेशा ही निर्णायक भूमिका निभाता रहा है।

कांग्रेसी नेत्रत्व मानता है कि पार्टी को मनकाटिया के जाने से नुक्सान हुआ है। व उनकी गैरमौजूदगी में कोई भी जनाधार वाला नेता नहीं है। यही वजह है कि मनकोटिया की वापिसी की वकालत हो हो रही है। कांगेस के एक आला नेता का मानना है कि मनकोटिया की बेदाग छवि है। व उनका निचले हिमाचल के मतदाताओं पर उनकी पकड है। वैसे भी कांग्रेस के पास राजपूत नेता की कमी है। वह वापिस आते हैं तो पार्टी में नयी ऊर्जा का संचार होगा। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ठाकुर कौल सिंह मानते हैं कि अगले चुनावों में कांग्रेस को सत्ता में वापिस लाने के लिये हमें पिछली गल्तियों से सबक लेते हुये पार्टी छोड चुके लोगों को दोबारा वापिस लाने के लिये देर नहीं करनी चाहिये।

मनकोटिया को पिछली कांगेस सरकार में मंत्रिमंडल कटौती की वजह से केबिनेट से बाहर होना पडा था। बाद में उनके व वीरभद्र सिंह के रिशतों में कडवाहट पैदा हो गई। ठीक चुनावों से एक दिन पहले मनकोटिया वीरभद्र सिंह की आवाज वाली एक सी डी लेकर आये जो कि कांग्रेस के लिये घातक सिद्घ हुई तो भाजपा की सत्ता में वापिसी का हथियार बनी। हालांकि इस दौरान मेजर ने बसपा को भी ज्वाइन किया। लेकिन वह खुद धर्मशाला से चुनाव हार गये। बसपा से मोहभंग होते ही उन्होंने राजनिति छोडने का एलान कर दिया। वैसे मनकोटिया को राजनिति कभी रास भी नहीं आयी। बाद में उन्होंने अदालत ए अवाम नामक संगठन का गठन किया। लेकिन मनकोटिया का मोह राजनिति नहीं छूटा। गाहे बगाहे वीरभद्र सिंह के खिलाफ हमले के बहाने व वर्तमान सरकार की नितियों की अलोचना के बहाने वह राजनिति बयानबाजी करते रहे। इस सबसे कयास लगते रहे हैं कि मनकोटिया दोबारा राजनिति में आ रहे हैं। अभी कुछ दिन पहले ही मनकोटिया सर्मथक दस जनपथ की परिक्रमा करके आये हैं। पिछले एक महीने में मनकोटिया भी चार पांच बार दिल्ली हो आये हैं। उनकी कांग्रेस के आला नेताओं से मंत्रणा हुई है।

हालांकि खुद मनकोटिया इस मामले पर कुछ नहीं बोलना चाहते। वकहते हैं कि वह तो कांग्रेस के कभी खिलाफ नहीं रहे उनकी लडाई तो पार्टी में घुसी भ्रष्टï ताकतों ेस रही है। व रहेगी। बताया जा रहा है कि मनकोटिया को चन्द दिन पहले कांग्रेस के मुख्यालय अकबर रोड में भी देखा गया था। यही नहीं मेजर अमेठी के कांग्रेस नेता संजय सिंह केन्द्रिय मंत्री गुलाम नबी आजाद के साथ अहमद पटेल से भी मिल चुके हैं। आन्द शर्मा व मेजर के रिशते किसी से छिपे नहीं हैं।

तमाम घटाक्रम इस बात का स्पष्टï संकेत दे रहा है कि मनकोटिया कांग्रेस में आ रहे हैं। कांग्रेस के आला सूत्रों की मानें तो दस या 11 अगस्त को हिमाचल कांग्रेस के अध्यक्ष का नाम तय होगा व उसके बाद मनकोटिया की वापिसी होगी।

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