राज्यभर में हुई स़डक दुर्घटनाओं में अब तक 610 लोगों की मौत हो चुकी है।

शिमला। हिमाचल प्रदेश में इस साल हुई विभिन्न स़डक दुर्घटनाओं में अब तक 600 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है। एक अधिकारी ने रविवार को बताया कि खस्ताहाल स़डकों, अप्रशिक्षित चालक, क्षमता से अधिक वजन लादने और तेज रफ्तार में वाहन चलाने की वजह से ये दुर्घटनाएं हुई हैं। पुलिस रिकॉर्ड के मुताबिक राज्यभर में बुधवार से अब तक हुई पांच दुर्घटनाओं में 72 लोगों की जान जा चुकी है। इनमें दो ब़डे हादसे शामिल हैं। जिसमें 22 महिलाओं सहित 39 लोगों की मौत हुई थी। इसी तरह मंडी जिले में बुधवार को यात्रियों से भरे एक ट्रक के खाई में गिरने से इतने ही लोग जख्मी हो गए थे। शिमला जिले में गुरूवार को एक बस के खाई में पलटने से 25 लोगों की मौत हो गई थी। पुलिस महानिरीक्षक (यातायात) प्रदीप कुमार सरपाल ने बताया, ""हम यातायात नियमों में क़डाई बरत रहे हैं। हमारा सभी राष्ट्रीय व राज्य के राजमार्गो पर यातायात नियमों को पालन करने पर जोर है।
राज्यभर में हुई स़डक दुर्घटनाओं में अब तक 610 लोगों की मौत हो चुकी है।"" उन्होंने कहा, ""हमने राज्य के लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) से टूटी हुई स़डकों के मरम्मत के लिए कहा है, ताकि स़डक हादसों में कमी लाई जा सके।"" एक अन्य पुलिस अधिकारी ने गोपनीयता की शर्त पर बताया कि पुलिस ने एक साल पहले ही टूटी हुई स़डकों की एक सूची पीडब्ल्यूडी को सौंपी थी, लेकिन अभी तक इस पर कोई कदम नहीं उठाया गया है।
उन्होंने कहा कि पीडब्ल्यूडी सालभर के भीतर इन स़डकों के मरम्मत में सक्षम नहीं है। राज्य में विपक्ष और कांग्रेस नेता विद्या स्टोक्स ने कहा कि हाल में हुए हादसों ने फिर से एक बार सरकार की नाकामयाबी को उजागर किया है। उन्होंने कहा, ""इन दुर्घटनाओं से एक फिर उजागर हो गया है कि सरकार ऎसे हालतों से निपटने में असक्षम है। साथ ही परिवहन अधिकारी और पुलिस भी क्षमता से अधिक भार लादने और शराब के नशे में वाहन चलाने वाले चालकों को रोकने में विफल रही हैं।""

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