मीडिया की दुनिया का रंग भी कितना निराला है। खबर है कि अमर उजाला, बरेली की एक महिला पत्रकार ने दुकानदार को धमकाकर 10 हजार रुपये वसूल लिए और दुकानदार बेचारा अखबार की इज्जत और अखबार के रसूख के आगे ची भी न कर सका। आप पुरुष पत्रकारों द्वारा वसूली, दलाली और धमकी देने की खबरें तो अक्सर पढ़ी होंगी पर आजकल बरेली के बाजार में एक महिला पत्रकार द्वारा दुकानदार से 10 हजार बसूलने की खबर बरेली के बाजार में कई कयासों के साथ तैर रही है। सूत्रों ने बताया कि अमर उजाला की महिला पत्रकार सुधा प्रजापति अपने सहेली के साथ एक दिन दीनानाथ लस्सी वाले की दुकान पर पहुंची और लस्सी के लिए उन्होंने आर्डर किया। बरेली में दीनानाथ लस्सी वाले को ऐसा ही कोई शख्स होगा जो नहीं जानता होगा....नहीं तो कमोवेश सभी लोग इस दुकानदार के लस्सी के दीवाने हैं। इस दुकान पर बड़ी भीड़ होती है...लोग जब इस रास्ते से गुजरते हैं तो उनकी कोशिश होती है कि दीनानाथ की दुकान की लस्सी थोड़ी सी पी ली जाए.........
सुधा प्रजापति भी संभवतः इसी सोच के साथ गई होंगी... लस्सी पीने के क्रम में उन्होंने पर्स अपना खो दिया ...फिर क्या था ....अखबार के रसूख का उन्होंने जमकर इस्तेमाल किया....पहले तो दुकानदार को हड़काया फिर धमकी दी कि यदि तुम मेरे पर्स की कीमत नहीं देते तो तुम्हारे नाम से मैं एफआईआर करूंगी ....दुकान बंद करवा दूंगी ....पर दीनानाथ दुकान वाले ने उनकी एक न सुनी....उसके बाद तो उनके साथ उनके कुछ अखबार के अधिकारी भी शामिल हो गए .....उन्होंने अपने और अखबार के रसूख का प्रयोग करते हुए दीनानाथ लस्सी वाले पर दबाव बनाया। अंततः दुकानदार अपनी इज्जत और दबाव में आकर सुधा प्रजापति को 10 हजार रुपये देकर मामले को शांत करना ही अच्छा समझा।
इस खबर की चर्चा आजकल बरेली के बाजार में खूब है कि किस प्रकार अखबार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। किस प्रकार अखबार के नाम पर बसूली की जा रही है। दुकानदार का कहना था कि मैडम का पर्स कहां गिरा ...किस हालात में वे य़हां आईं थी उसके बारे में उसे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी फिर भी ....मुझे डरा धमकाकर 10 हजार रुपये वसूल लिए गए.....।।।।
यदि आप के पास भी कोई मीडिया से संबंधित खबर है तो आप हमें मेल करें...dharmshalapioneer@gmail.comपर। या फोन करें..09816623246 पर। हम आपकी पहचान गुप्त रखेंगे।
सुधा प्रजापति भी संभवतः इसी सोच के साथ गई होंगी... लस्सी पीने के क्रम में उन्होंने पर्स अपना खो दिया ...फिर क्या था ....अखबार के रसूख का उन्होंने जमकर इस्तेमाल किया....पहले तो दुकानदार को हड़काया फिर धमकी दी कि यदि तुम मेरे पर्स की कीमत नहीं देते तो तुम्हारे नाम से मैं एफआईआर करूंगी ....दुकान बंद करवा दूंगी ....पर दीनानाथ दुकान वाले ने उनकी एक न सुनी....उसके बाद तो उनके साथ उनके कुछ अखबार के अधिकारी भी शामिल हो गए .....उन्होंने अपने और अखबार के रसूख का प्रयोग करते हुए दीनानाथ लस्सी वाले पर दबाव बनाया। अंततः दुकानदार अपनी इज्जत और दबाव में आकर सुधा प्रजापति को 10 हजार रुपये देकर मामले को शांत करना ही अच्छा समझा।
इस खबर की चर्चा आजकल बरेली के बाजार में खूब है कि किस प्रकार अखबार को बदनाम करने की कोशिश की जा रही है। किस प्रकार अखबार के नाम पर बसूली की जा रही है। दुकानदार का कहना था कि मैडम का पर्स कहां गिरा ...किस हालात में वे य़हां आईं थी उसके बारे में उसे किसी प्रकार की कोई जानकारी नहीं थी फिर भी ....मुझे डरा धमकाकर 10 हजार रुपये वसूल लिए गए.....।।।।
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