विज्येंदर शर्मा
ज्वालामुखी---आखिर ज्वालामुखी मंदिर की ज्योति विरोध के बावजूद सिंगापुर पहुंच ही गई। हिमाचल प्रदेश सरकार के कुछ आला अधिकारियों व मंदिर प्रशासन के लोगों के साथ इस प्रवासी भारतीय की आपसी मिलिभगत का जीता जागता सबूत यह घटनाक्रम है। आरोप लगाया जा रहा है की इस सब के लिए परवासी भारतीय ने काँगड़ा जिला के कुत्छ अफसरों को न केवल महंगे उपहार दिए बल्कि जवालामुखी मंदिर ट्रस्ट के लोग भी फायदा ले गए यही नहीं मंदिर के तहसीलदार भी निहाल हो गए मिली जानकारी के मुताबिक इसे सिंगापुर के चन्दर रोड पर बने लक्ष्मी नारायण मंदिर में स्थापित किया गया है। इसके लिये बाकायदा वहां पर भव्य आयोजन किया गया व एक रात को हिंदुस्तान से गये गायक कलाकार नीतू चंचल ने समा बांधा।
लेकिन जिस तरीके से यह ज्योति ंसिगापुर ले जाई गई उससे सब लोग हैरान हैं। व उनमें प्रशासन के रवैये के खिलाफ गुस्सा है। वहीं इस मामले में मदिर प्रशासन के लोगों का रवैया भी संदेह के दायरे में आ गया है। चूंकि पिछले दिनों प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने इस ज्योति के कार्यक्रम में जन भावनाओं का ख्याल रखते हुये हिस्सा नहीं लिया था। विवाद से बचने के लिये मुख्यमंत्री को अपना फैसला बदलना पडा था जब प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल ने प्रवासी भारतीय के कार्यक्रम जिसके तहत उनके हाथों से पवित्र ज्योति को सौंपा जाना था जो सिंगापुर ले जाई जा रही है। में शरीक होने से मना कर दिया था। हालांकि कार्यक्रम मंदिर परिसर में ही था । लेकिन इलाके में विरोध को भापंते हुये व हिन्दु हित व सनातन धर्म का ख्याल रखते हुये उन्होंने इसमें हिस्सा ही नहीं लिया था ।
इस आयोजन के लिये यहां पूरा तामझाम रचा गया था। बाकायदा प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को यहां बुलाया गया था। व उससे एक दिन पहले ज्वालामुखी में भी जागरण का आयोजन किया गया था। उसमें पंजाब के परिवहन मंत्री मास्टर मोहन लाल यहां आये थे।
हालांकि इस प्रवासी भारतीय ने उस दौरान प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल को पूरी तरह रिझाने का प्रयास किया था। लेकिन बात नहीं बनी। लेकिन पवित्र ज्योति कब सिंगापुर पहुंच गई किसी को भी पता नहीं चला। सवाल उठ रहा है कि मुख्यमंत्री जिस काम को टाल गये उसी काम को आखिर मंदिर प्रशासन से जुडे लोगों ने कैसे करवा दिया।
काबिलेगौर है कि ज्वालामुखी मंदिर की पवित्र ज्योति को एक प्रवासी भारतीय की ओर से सिंगापुर ले जाने के प्रयासों का इलाके में विरोध हो रहा था। यही बात किसी के भी रास नहीं आ रही कि आखिर किस लिये पवित्र ज्योति को सरकार सिंगापुर ले जाने की इजाजत दे रही है। सिंगापुर के इस मंदिर के प्रबंधन से जुडे सत्य प्रकाश के हवाले से भारतीय मिडिया को भेजे नोट में इस बाबत जानकारी दी गई है। सत्य प्रकाश मंदिर के सचिव हैं। सिंगापुर में बने इस मंदिर को आई डी शर्मा देखते हैं। उन्हीं का अरसे से प्रयास रहा है कि ज्वालामुखी मंदिर में जल रही ज्योति को वहां पर स्थापित किया जाये।
ज्वालामुखी के पूर्व विधायक मेला राम सावर ने यहां पत्रकारों से बातचीत में हैरानी जतायी कि धार्मिक आस्था के सवाल पर सरकार की सौदेबाजी किसी भी कीमत पर सहन नहीं हो सकती। उन्होंने कहा कि ज्वालामुखी मंदिर सदियों से इन्हीं पवित्र ज्योतियों की वजह से देश दुनिया में लाखों श्रद्घालुओं की आस्था का केन्द्र रहा है। लेकिन अब इसे एक प्रवासी भारतीय पैसे के दम पर तहत नहस करने पर तुला है। उन्होंने कहा कि यह सब कैसे हो गया इस की जांच होनी चाहिये।
अखिल भारतीय ब्राहम्ण सभा के स्थानीय संयोजक बी के उपमन्यु ने कहा कि इससे सीधे तौर पर मंदिर के अस्तितव पर ही सवाल उठ जायेंगे। चूंकि ज्योति को सिंगापुर ले जाकर वहां पर मंदिर बना कर धंधा चमकाया जा रहा है। व प्रवासी भारतीयों को गुमराह किया जा रहा है। जो कि हिन्दु भावनाओं के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि देश का हिन्दु समाज इस कदम के खिलाफ है बकौल उनके इस कदम से हर किसी की भावनायें आहत होगीं।
मेरे ख्याल से ज्योति से दूसरी ज्योति जलाकर सिंगापुर ले जायी गयी होगी। इसमें क्या तकलीफ़ है? हिन्दू धर्म इतना असहिष्णु कब से हो गया? अब क्या आप हरिद्वार से गंगाजल ले जाने पर भी मनाही करेंगे :)
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