हिमाचल की पौंग झील अब जिसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से पुकारा जाता है।
ज्वालामुखी 22 दिसंबर (बिजेन्दर) । हिमाचल की पौंग झील अब जिसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से पुकारा जाता है। का इन दिनों अलग ही नजारा है। प्रवासी पक्षियों ने यहां डेरा जमा लिया है। पूरी झील में इन दिनों प्रवासी पक्षी ही दिखाई देते हैं। जिससे इलाका बर्ड फलू के खतरे के प्रति चितिंत है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह एच पंाच एन वन जैसे खतरनाक वायरस को तो नहीं ला रहे। करीब सात साल पहले इसे वेटलैंड घोषित कर दिया गया था। अब तो यहां हर साल सितंबर से मारच तक प्रवासी पक्षी बड़ी तादाद में आते हैं। अब पूरे देश में जब खतरनाक वायरस अपने पैर पसार रहा है। तो स्थानीय लोगों में भी दहशत फैलने लगी है। व लोग चाहते हैं कि सरकार को इसकी नियमित जांच के लिये पुख्ता इंतजाम करने चाहिये। देश के कुछ हिस्सों में इन दिनों आतंक के महौल में लोगों में इसके प्रति डर है। मोहिन्दर सिंह गुलेरिया जो कि पास ही के गांव में रहते हैं ने बताया कि उन्हें प्रवासी परिन्दों के बजह से अब डर लगने लगा है। सरकार को इस मामले में कठोर कदम उठाने चाहियें। इलाके में बड़ी तादाद में लोग मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं लिहाजा अब तो उनमें भी इन्फेक्षन का खतरा बढ़ गया है। यहां आने वाले प्रवासी परिन्दें ज्यादातर साईबेरिया ,इंडोनिसया, चीन के अलावा यूरोप के दूसरे हिस्सों से आते हैं। प्रमुख तौर पर पौंग में डक,स्टृोक,कूट,शोर बर्ड,क्रेन प्रजातियों के परिन्दें यहां आते हें। हर साल यहा लाखों की तादाद में परिन्दें परवाज भरते हैं। लेकिन अब इलाके इन्हीं परिन्दों की वजह से दहशत का महौल है। देहरा से लेकर जम्बल बस्सी, नगरोटा तक करीब 42 किलो मीटर लंबे इस पूरे इलाके में किसान व स्थानीय लोग परेशान हैं। तरह तरह की चरचा इलाके में चल रही है। भय का महौल बरकरार है। सरकार पर लोग लापारवाही बरतने का अरोप भी लगा रहे हैं। लेकिन अब हिमाचल के वन्य प्राणी विभाग ने इलाके के लोगों से इस मामले में आंतकित न होने की अपील की है। व कहा जा रहा है कि कुछ नमूने विभाग ने जांच के लिये भेज दिये हैं। धर्मशाला के कंजरवेटर फारेस्ट वी के सिंह ने बताया कि विभाग ने पहले की तरह इस साल भी कुछ नमूने जांच के लिये भेजे हैं। लेकिन लैब से अभी तक उसकी रिर्पोट नहीं आ पाई है। बकौल उनके रिर्पोट निगेटिव ही होगी चूंकि वायरस के उन्हें अभी तक कोई भी संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि प्रवासी परिन्दें स्थानीय पक्षियों से मिल पायें। बंगाल व उड़ीसा में जिस तरह यह वायरस पैर पसार रहा है उससे इलाके में भी खतरा बढ़ा है।
ज्वालामुखी 22 दिसंबर (बिजेन्दर) । हिमाचल की पौंग झील अब जिसे महाराणा प्रताप सागर के नाम से पुकारा जाता है। का इन दिनों अलग ही नजारा है। प्रवासी पक्षियों ने यहां डेरा जमा लिया है। पूरी झील में इन दिनों प्रवासी पक्षी ही दिखाई देते हैं। जिससे इलाका बर्ड फलू के खतरे के प्रति चितिंत है। आशंका जताई जा रही है कि कहीं यह एच पंाच एन वन जैसे खतरनाक वायरस को तो नहीं ला रहे। करीब सात साल पहले इसे वेटलैंड घोषित कर दिया गया था। अब तो यहां हर साल सितंबर से मारच तक प्रवासी पक्षी बड़ी तादाद में आते हैं। अब पूरे देश में जब खतरनाक वायरस अपने पैर पसार रहा है। तो स्थानीय लोगों में भी दहशत फैलने लगी है। व लोग चाहते हैं कि सरकार को इसकी नियमित जांच के लिये पुख्ता इंतजाम करने चाहिये। देश के कुछ हिस्सों में इन दिनों आतंक के महौल में लोगों में इसके प्रति डर है। मोहिन्दर सिंह गुलेरिया जो कि पास ही के गांव में रहते हैं ने बताया कि उन्हें प्रवासी परिन्दों के बजह से अब डर लगने लगा है। सरकार को इस मामले में कठोर कदम उठाने चाहियें। इलाके में बड़ी तादाद में लोग मुर्गी पालन के व्यवसाय से जुड़े हैं लिहाजा अब तो उनमें भी इन्फेक्षन का खतरा बढ़ गया है। यहां आने वाले प्रवासी परिन्दें ज्यादातर साईबेरिया ,इंडोनिसया, चीन के अलावा यूरोप के दूसरे हिस्सों से आते हैं। प्रमुख तौर पर पौंग में डक,स्टृोक,कूट,शोर बर्ड,क्रेन प्रजातियों के परिन्दें यहां आते हें। हर साल यहा लाखों की तादाद में परिन्दें परवाज भरते हैं। लेकिन अब इलाके इन्हीं परिन्दों की वजह से दहशत का महौल है। देहरा से लेकर जम्बल बस्सी, नगरोटा तक करीब 42 किलो मीटर लंबे इस पूरे इलाके में किसान व स्थानीय लोग परेशान हैं। तरह तरह की चरचा इलाके में चल रही है। भय का महौल बरकरार है। सरकार पर लोग लापारवाही बरतने का अरोप भी लगा रहे हैं। लेकिन अब हिमाचल के वन्य प्राणी विभाग ने इलाके के लोगों से इस मामले में आंतकित न होने की अपील की है। व कहा जा रहा है कि कुछ नमूने विभाग ने जांच के लिये भेज दिये हैं। धर्मशाला के कंजरवेटर फारेस्ट वी के सिंह ने बताया कि विभाग ने पहले की तरह इस साल भी कुछ नमूने जांच के लिये भेजे हैं। लेकिन लैब से अभी तक उसकी रिर्पोट नहीं आ पाई है। बकौल उनके रिर्पोट निगेटिव ही होगी चूंकि वायरस के उन्हें अभी तक कोई भी संकेत नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि प्रयास किया जा रहा है कि प्रवासी परिन्दें स्थानीय पक्षियों से मिल पायें। बंगाल व उड़ीसा में जिस तरह यह वायरस पैर पसार रहा है उससे इलाके में भी खतरा बढ़ा है।