माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ, मण्डला उद्घोषणा

माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ, मण्डला

उद्घोषणा

माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ से हम यह संदेश एवं संकल्प प्रस्तुत करते है। इस कुम्भ के सभी सहभागी इस संकल्प की पूर्ति हेतू कार्य करेंगे।
 यह सामाजिक कुम्भ सम्पूर्ण हिन्दू समाज में एकता एवं सामाजिक समरसता पैदा करते हुए तद्नुरुप आचरण करने का संकल्प करता है। हमारा ध्येय और आचरण है- हिन्दवः सोदरः सर्वे न हिन्दुः पतितो भवेत्। अर्थात् सभी हिन्दू एक माँ के पुत्र हैं, भाई हैं तथा कोई भी छोटा या बडा नही है। यह सामाजिक कुम्भ आसेतु हिमाचल पूरे हिन्दू समाज की एकता और समरसता का प्रतिरुप है तथा इसी उद्देश्य के लिये कार्यरत रहने का आवाहन करता है।
 इस देश के गिरिवासी, वनवासी और अनुसूचित जाति तथा जनजाति के बंधुओं को ईसाई मिशनरियाँ सैंकडो वर्षों से ईसाई बना रही है। यह मतांतरण वस्तुतः राष्ट्रांतरण है और अराष्ट्रीय कृत्य है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। मतांतरण पर शीघ्र रोक लगनी चाहिये। कुछ राज्यों मंे मतांतरण पर रोक लगाने वाले कानून बने हैं, लेकिन अनेक प्रकार के (राष्ट्रीय और अन्तर्राष्ट्रीय) दबावों के कारण ये कानून निष्क्रिय हो गये। कुछ राज्यों में ऐसे कानून बनाने में बाधाएं उत्पन्न की जा रही है। सजग और सक्रिय समाज ऐसे आक्रमणों को सहन नहीं करता, अतः मतांतरण पर शीघ्र प्रतिबंध लगाने के लिये केन्द्र और राज्य सरकारों से उचित कदम उठाने का आवाहन सामाजिक कुंभ करता है।
 अनुसूचित जनजाति के अधिकांश बन्धु वन-प्रदेश या पर्वतीय प्रदेशों में रहते हैं। मिशनरियाँ इन्हें बड़ी संख्या में ईसाई बना रही हैं। संवैधानिक दृष्टि से धर्म परिवर्तन के बाद कोई भी व्यक्ति अनुसूचित जाति या जनजाति का नहीं रहता। फिर भी ऐसे मतान्तरित लोगों कोे आरक्षण मिल रहा है। यह संविधान विरोधी है तथा कतई न्याय संगत नहीं है। अनुसूचित जनजाति के आरक्षण में यह ईसाई संेधमारी है जिसका विरोध होना चाहिये। पवित्र मण्डला मे हो रहा माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ इस इसाई सेंधमारी का विरोध कर इसके लिये जन-जागरण की घोषणा करता है।
 लगभग आठ वर्ष पूर्व दीपावली के शुभ अवसर पर पूज्य शंकराचार्य स्वामी जयेन्द्र सरस्वती को बन्दी बनाकर अपमानित किया गया। उडीसा मंे स्वामी लक्ष्मणानंद जी की हत्या कर दी गई। हिन्दू आतंकवाद के नाम पर संतो को प्रताडित व अपमानित किया जा रहा है। यह सामाजिक कुंभ भारत के पूज्य संतो को इस प्रकार षड़यंत्रपूर्वक अपमानित व प्रताडित करने का विरोध करता है और षड़यंत्रकारियों के सामाजिक बहिष्कार का आवाह्न करताहै।
 भगवा रंग, भारतीय संस्कृति तथा जन-जीवन का प्राण है। यह शौर्य, पराक्रम और त्याग का प्रतीक है, देश के तीर्थाें संतों एवं देव स्थलों की गरिमा का परिचायक है। इसे आतंकवाद से जोड़ना देश के शासकों की कुत्सित मनोवृत्ति का परिचायक है। यह माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ भगवा आतंकवाद जैसे शब्दों का एवं उसे प्रचारित करने वाले तत्वों का कठोर शब्दों में निषेध करता है तथा उनका पुरजोर विरोध करता है।
 लव जिहाद के नाम पर हिन्दू समाज की कन्याओं को बहला-फुसलाकर उनको भगा ले जाने तथा मुसलमान बनाने का षड़यंत्र लम्बे समय से चल रहा है। इस प्रकार मुसलमान बनी युवतियों को अनैतिक कार्यो में धकेलने के साथ -साथ उन्हें अरब देशों में बेच दिया जाता है। यह हिन्दू समाज पर प्रत्यक्ष आक्रमण तो है ही साथ ही हिन्दू समाज की संख्या घटाने का सुनियोजित षड़यन्त्र भी है। माँ नर्मदा सामाजिक कुम्भ इस लव जिहाद के प्रति हिन्दू -समाज को सावधान, सजग और जागरूक रहने का आवाहन करता है।
 हिन्दू समाज की धार्मिक एवं सामाजिक संस्थाओं के सुदृढीकरण का संदेश भी यह माँ नर्मदा सामाजिक कुंभ दे रहा है। ये संस्थाएं हिन्दुओं को रक्षा प्रदान करने में सक्षम हो तथा हिन्दू धर्म का वास्तविक ज्ञान कराने व आस्थाओं को दृढ करने का कार्य भी प्रभावी ढंग से करे ऐसा आवाहन यह सामाजिक कुंभ करता है।
 इस कुम्भ से समस्त हिन्दू समाज को एकता, एकात्मता, संरक्षण व संवर्द्धन के लिये प्रयासरत रहने का आवाहन करते है। हिन्दवः सोदरः सर्वे न हिन्दुः पतितो भवेत् इसको को शिरोधार्य मानकर यह कुम्भ सामाजिक समरसता, राष्ट्रीय एकता तथा धर्म के प्रति दृढ रहने का हिन्दू समाज को आवाहन करता हंै।

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