छग, उड़ीसा, झारखंड के केन्द्र में होगा अगला कुंभ

छग, उड़ीसा, झारखंड के केन्द्र में होगा अगला कुंभ

राष्ट्रीय एकता और सामाजिक समरसता के उद्देष्य पर आधारित तीन दिवसीय मां नर्मदा कुंभ मेला का आज ध्वजावतरण के साथ समापन हो गया। जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद ने कहा अगला कुंभ होगा छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड के बीच में। धर्म सभा को संत आसाराम बापू, छग के मुख्यमंत्री डाॅ रमन सिंह ने भी संबोधित किया। आज कुंभ समापन के अवसर पर सभा प्रांगण में श्रद्धालुओं की भीड उमड़ पड़ी, पूरा सभा स्थल खचाखच भरा था।


मंडला। आज धर्म की बात भूल हम मतों को मान बैठे हैं, जबकि हमारा धर्म सार्वभौम है। धर्म, समाज और देष विकास के लिए नर्मदा सामाजिक कुंभ सफल रहा है। और अगला कुंभ छत्तीसगढ़, उड़ीसा, झारखंड के बीच आयोजित किया जाएगा। वह कुंभ भी इसी कुंभ की तरह सफल होगा। यह बात जगद्गुरू शंकराचार्य स्वामी श्री वासुदेवानंद ने तीन दिवसीय नर्मदा कुंभ के अवसर पर धर्म सभा को संबोधित करते हुए कही। स्वामी वासुदेवानंद ने आगे कहा कि वास्तव में इस कुंभ का असल श्रेय उन दानवीरों को देना चाहिए जिन्होंने अपने घर से एक-एक मुट्ठी अन्न दान कर लाखों लोगों का पेट भरा। अमीरों की झोली से कई गुना महत्व उन गरीबों की के दान का रहा जिन्होंने सुदामा की तरह दो मुट्ठी दान देकर जीवन धन्य कर लिया। हमारे यहां वर्ण आश्रम व्यवस्था थी, लेकिन यहां दलित नाम बाहरी लोगों ने दिया। हमें आज दलितों को समाज में स्थान दिलाकर अपनाने की जरूरत है। हिन्दुत्व को आतंकवाद से तोलने वालों लोगों पर भी कुठाराघात कर उन्होंने बीच-बीच में संबोधन के साथ जिक्र कर हिन्दुत्व के असल मंतव्य को बताया। इसके साथ ही उन्होंने अगले कुंभ की कुंभ छड़ी छग के मुख्यमंत्री डाॅ रमनसिंह को सौंपी। छग मुख्यमंत्री डाॅ रमनसिंह ने संत समूह और जनसमूह को वादा किया कि मण्डला कुंभ की तरह ही आगामी कुंभ भी निष्चित ही सफल होगा।


संत आसाराम बापू ने मां नर्मदा और श्री राम के जयकारों के साथ सभा को संबोधित करते हुए कहा कि जो सृष्टि के आदि-आदि में बसे हैं वह आदिवासी हैं। मतांतर पर एक-दूसरे पर दोषारोपण न करें बल्कि अपने भोलेपन को दूर कर आह्लादित करें। यहां कोई बिछड़ा नहीं है। अपनों पर निषाना साधने की बजाय यदि हम समरसता को बनाने का प्रयास करें तो ज्यादा अच्छा होगा।
आरएसएस के सरकार्यवाहक भैयाजी जोषाी ने कहा कि इस प्रकार के सामाजिक कुंभ भविष्य की ओर चलने के प्रति प्रेरित करते हैं। गुजरात के डांग के बाद मण्डला का विचार किया गया जो काफी सफल रहा, और यह क्रम यूं ही जारी रहेगा। समरसता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि आज हमारा समाज विभिन्न आधारों पर आपस में कटा है, हम अपने ही लोगों को अपनाने से से कतराते हैं। एक ही प्रकार की जीवनषैली अपनाने वाले हम सभी एक ही समाज के अंग हैं इसलिए भेदभाव को दूर कर समरसता का माहौल खुद बनाने की जरूरत है। मानवता धर्म की आत्मा है, इसके लिए हमें समर्पित होना पड़ेगा, देखना समरसता अवष्य आएगी।
अभा ंक्षत्रिय युवक संघ के अध्यक्ष भगवान सिंह रोल ने सभा को संबोधित करते हुए कहा कि यह कुंभ वास्तव में अमृत कुंभ रहा जहां पर तीन दिनों तक संतों, गुरूओं की अमृतवाणी रूपी वर्षा होती रही। चारों दिषाओं के दूर-दूर से यहां आए श्रद्धालुओं ने इस अमृत का लाभ उठाया। हमने यहां कई उपदेषों को सुना लेकिन अब सुनने का समय नहीं बल्कि करने का समय है। धर्म सभा के दौरान निवर्तमान सरसंघचालक श्री के सी सुदर्षन ने ’’नमामि देवी नर्मदे’’ पुस्तक का विमोचन किया। इस दौरान स्वामी अखिलेष्वरानंद महाराज जबलपुर ने ’’मां नर्मदा उद्घोषणा पत्र का वाचन किया और सचिव राजेन्द्रजी ने धन्यवाद उद्बोधन दिया।
धर्म सभा को जितेन्द्र नाथ जी महाराज विदर्भ, अवधेष कुमार, जगदेवराम उराव अध्यक्ष अखिल भारतीय वनवासी कल्याण आश्रम, साध्वी प्रतिभा देवी, बालक दासजी महाराज आदि ने भी विषाल जन सैलाब को संबोधित किया।

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