उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर ने कहा कि 4 मार्च, 2011 का दिन देश भर में सुरक्षा दिवस के रूप में मनाया जा रहा है। तकनीकी उपलब्धियों के कारण दिन प्रतिदिन सुरक्षा का महत्व बढ़ता जा रहा हैै। सुरक्षा व्यवस्था का क्षेत्र न केवल औद्यागिक इकाइयां है बल्कि घर, कार्यालय, सड़क-यातायात, वायु-यातायात व रोजमर्रा के जीवन की गतिविधियां इत्यादि भी इनमें शामिल हैं। आए दिन होने वाली दुर्घटनाओं का मुख्य कारण सुरक्षा के प्रति जागरूक न होना व सुरक्षा सम्बन्धी कानूनों की उल्लंघना है। इन दुर्घटनाओं की रोकथाम के लिए अनेक कानून बनाए गए हैं। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है कि वे इन कानूनों की अनुपालना के लिए सरकार को सहयोग दें व सुरक्षा के बारे जागरूक करें।
श्री कपूर ने कहा कि भारत सरकार ने कारखानांे में कार्यरत कामगारों की सुरक्षा के लिए कारखाना अधिनियम, 1948 बनाया है, जिसका क्रियान्वयन श्रम विभाग द्वारा किया जाता है, जो निरीक्षणों के माध्यम से कामगारों द्वारा उपयुक्त सुरक्षा उपकरणों के उपयोग, मशीनों का समय≤ पर निरीक्षण व कामगारों तथा प्रबन्धकों द्वारा सुरक्षा सम्बन्धी सावधानियों का अनुसरण को सुनिश्चित बनाता है। उन्होंने कहाकि पंजीकरण से पूर्व प्रत्येक कारखाने का निरीक्षण करके सुनिश्चित किया जाता है कि प्रबन्धकों द्वारा सुरक्षा स्वास्थ्य व कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों की अनुपालना की जा रही है या नहीं। इस बारे नियोक्ताओं को विभाग द्वारा समय≤ पर आवश्यक सलाह भी दी जाती है। विभाग केवल उन्हीं संस्थाओं को लाईसैंस जारी करता है, जोकि कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्र्तगत निर्धारित मापदण्डों का पालन करते हों। कारखानों में सुरक्षा संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा चलित सुरक्षा प्रदर्शनी वाहन को विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रांे में चरणबद्ध तरीके से भेजा जाएगा।
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में सुरक्षा का विशेष महत्व है। जल विद्युत परियोजनाओं में सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने श्रम विभाग व जिला प्रशासन को आदेश दिए हैं कि कामगारों को सुरक्षित स्थानों पर रिहायशी सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार ने औद्योगिक संस्थानों व जल विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत कामगारों को
पहचान पत्र देना अनिवार्य किया है। अभी तक विभाग द्वारा 2,21,796 कामगारों को पहचान पत्र जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कार्य स्थल पर सभी सुरक्षा मापदण्डों का पालन किया जाए। विभाग समय≤ पर निरीक्षणें के माध्यम से कामगारों के उत्पीड़न रोकने के लिए प्रयत्नशील है। गत वित्तीय वर्ष में विभाग ने कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत 1441 निरीक्षण किए, जिसके फलस्वरूप 3,91,000 रुपये जुर्माना वसूल किया गया।
श्री कपूर ने कहा कि किसी संस्थान में हुई दुर्घटना से न केवल उससे संबंधित कामगार प्रभावित होता है बल्कि इसका प्रभाव उस संस्थान के साथ रह रही जनता पर भी पड़ता है, जिससे कि उत्पादकता भी कम होती है व आर्थिक व्यवस्था भी दुर्बल बनती है। उन्होंने कहा कि सभी को सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी औद्योगिक संस्थानों के नियोक्ताओं, कामगारों व प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील की कि सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का कड़ाई से पालन करें तथा अतीत में की गई त्रुटियों से सबक लें ताकि दुर्घटनाओं की पुनरावृति को रोका जा सके।
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श्री कपूर ने कहा कि भारत सरकार ने कारखानांे में कार्यरत कामगारों की सुरक्षा के लिए कारखाना अधिनियम, 1948 बनाया है, जिसका क्रियान्वयन श्रम विभाग द्वारा किया जाता है, जो निरीक्षणों के माध्यम से कामगारों द्वारा उपयुक्त सुरक्षा उपकरणों के उपयोग, मशीनों का समय≤ पर निरीक्षण व कामगारों तथा प्रबन्धकों द्वारा सुरक्षा सम्बन्धी सावधानियों का अनुसरण को सुनिश्चित बनाता है। उन्होंने कहाकि पंजीकरण से पूर्व प्रत्येक कारखाने का निरीक्षण करके सुनिश्चित किया जाता है कि प्रबन्धकों द्वारा सुरक्षा स्वास्थ्य व कल्याण सम्बन्धी प्रावधानों की अनुपालना की जा रही है या नहीं। इस बारे नियोक्ताओं को विभाग द्वारा समय≤ पर आवश्यक सलाह भी दी जाती है। विभाग केवल उन्हीं संस्थाओं को लाईसैंस जारी करता है, जोकि कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्र्तगत निर्धारित मापदण्डों का पालन करते हों। कारखानों में सुरक्षा संबंधी जागरूकता बढ़ाने के लिए विभाग द्वारा चलित सुरक्षा प्रदर्शनी वाहन को विभिन्न औद्योगिक क्षेत्रांे में चरणबद्ध तरीके से भेजा जाएगा।
उद्योग मंत्री ने कहा कि प्रदेश में जल विद्युत परियोजनाओं के निर्माण में सुरक्षा का विशेष महत्व है। जल विद्युत परियोजनाओं में सुरक्षित वातावरण बनाने के लिए प्रदेश सरकार ने श्रम विभाग व जिला प्रशासन को आदेश दिए हैं कि कामगारों को सुरक्षित स्थानों पर रिहायशी सुविधा उपलब्ध करवाई जाए। इसके अतिरिक्त, प्रदेश सरकार ने औद्योगिक संस्थानों व जल विद्युत परियोजनाओं में कार्यरत कामगारों को
पहचान पत्र देना अनिवार्य किया है। अभी तक विभाग द्वारा 2,21,796 कामगारों को पहचान पत्र जारी कर दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने यह सुनिश्चित किया है कि कार्य स्थल पर सभी सुरक्षा मापदण्डों का पालन किया जाए। विभाग समय≤ पर निरीक्षणें के माध्यम से कामगारों के उत्पीड़न रोकने के लिए प्रयत्नशील है। गत वित्तीय वर्ष में विभाग ने कारखाना अधिनियम, 1948 के अन्तर्गत 1441 निरीक्षण किए, जिसके फलस्वरूप 3,91,000 रुपये जुर्माना वसूल किया गया।
श्री कपूर ने कहा कि किसी संस्थान में हुई दुर्घटना से न केवल उससे संबंधित कामगार प्रभावित होता है बल्कि इसका प्रभाव उस संस्थान के साथ रह रही जनता पर भी पड़ता है, जिससे कि उत्पादकता भी कम होती है व आर्थिक व्यवस्था भी दुर्बल बनती है। उन्होंने कहा कि सभी को सुरक्षा के प्रति जागरूक रहने की आवश्यकता है। उन्होंने सभी औद्योगिक संस्थानों के नियोक्ताओं, कामगारों व प्रदेश के सभी नागरिकों से अपील की कि सुरक्षा सम्बन्धी नियमों का कड़ाई से पालन करें तथा अतीत में की गई त्रुटियों से सबक लें ताकि दुर्घटनाओं की पुनरावृति को रोका जा सके।
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