हावड़ा-देहरादून एक्सप्रेस के दो वातानुकूलित डिब्बों में आग लगने से हुई
तबाही और इससे पहुंचे सदमे का असर यात्रियों पर गहरा है। इस त्रासदी में
सात लोगों की मौत हो गई। एक्सप्रेस की एक यात्री नूपुर मिश्रा ने हादसे
को याद करते हुए बताया, "एक ओर हल्के रूप में झुलसी हुई एक मां कराह रही
थी जबकि दूसरी तरफ दो बच्चे आग में दम तोड़ रहे थे, मैं इस दृश्य को कभी
भूल नहीं सकती।"
हादसे में बाल-बाल बचे 11 यात्रियों को लेकर दून एक्सप्रेस जैसे ही
हावड़ा स्टेशन पर पहुंची। इन यात्रियों के सम्बंधी उनसे लिपट पड़े और
उनकी सलामती के लिए ईश्वर को धन्यवाद दिया।
नूपुर की पुत्री शर्मिष्ठा दास मिश्रा ने कहा, "मैं अपने माता-पिता को
वापस देखकर काफी खुश हूं। हादसे के बारे में सुनने के बाद मुझे कैसा
अनुभव हो रहा था मैं उसके बारे में नहीं बता सकती। हादसे में जो लोग मारे
गए हैं उनके लिए मैं दुखी हूं।"
ज्ञात हो कि मिश्रा परिवार के चार लोग दुर्भाग्यशाली बी-एन डिब्बे में
सवार थे लेकिन इस हादसे में वे बच गए। हालांकि उन्हें हल्की चोटें आई हैं
लेकिन यह त्रासदी उनके जीवन में हमेशा बनी रहेगी।
वहीं, अपने पति के साथ हरिद्वार की यात्रा पर जाने के लिए एक्सप्रेस में
सवार होने वाली मिनाती सरकार ने कहा, "लोगों की चीख आग की लपटों में समा
गई। चीखें अभी भी मेरे कानों में गूंज रही हैं। मैं अपने को जीवित पाकर
खुश हूं।"
उन्होंने कहा, "लेकिन मैं उस दृश्य को कभी नहीं भुला सकती जहां लोग अपनों
को जलते हुए बेबस नजरों से देख रहे थे।"
नूपुर और मिनाती दोनों ने दावा किया कि हादसे में मारे गए लोगों का
आंकड़ा जितना बताया जा रहा है, आंकड़ा उससे कहीं अधिक है।