ज्वालामुखी मंदिर के खजाने में भारी गोलमाल, डेढ़ क् िवंटल चंादी गायब

आडिट में खुलासा

ज्वालामुखी मंदिर के खजाने में भारी गोलमाल, डेढ़ क् िवंटल चंादी गायब

देश दुनिया में अपनी दिव्यता के लिये मशहूर ज्वालामुखी

मंदिर के चढ़ावे में सेंध लग रही है। लेकिन व्यवस्था से जुड़े लोग संगीन

मामलों पर भी ध्यान देने के बजाये नजरअंदाज कर रहे हैं। मिली जानकारी के

मुताबिक मंदिर में चढ़ावे में आई चांदी को यहां पिघलाया गया व प्रक्रिया

में डेढ़ किवंटल चंादी को कागजों में नष्ट दिखाया गया, लेकिन इतनी बड़ी

तादाद में नष्ट धातु मंदिर प्रशासन के पास है ही नहीं। जिससे मामला

पेचीदा हो गया है। आरोप लगाया जा रहा है कि अधिकारियों टरस्ट के  कुछ

प्रभावशाली लोगों आपसी मिलीभगत कर कारनामा कर दिखाया। लेकिन आडिट में

सारी पोल खुल गई।

मामला मंदिर में चढ़ावे के रूप में आई करीब डेढ़ किवंटल चांदी रहस्यमयी

तरीके से गायब हो गई है। लेकिन मामले पर आज तक कुछ भी नहीं हो पाया है।

दरअसल मंदिर प्रशासन ने कुल 334 किलोग्राम 774 ग्राम चांदी को पिघलाया।

इसके लिये बाकायदा टेंडर आमंत्रित किया गया । मंदिर में ही यह काम कराया

गया। लेकिन इस सब के दौरान 154,949 ग्राम चंादी मंदिर से ही गायब हो गई।

किसी को कानों कान खबर तक नहीं हुई। सरकार द्धारा कराये गये आडिट में इस

बात का खुलासा हुआ तो व्यवस्था से जुड़े लोगों की पोल खुली।

 मौजूदा बाजारी कीमत के मुताबिक चांदी का मूल्य 75 लाख बताया जा रहा है।

लेकिन मंदिर प्रशासन से जुड़े अधिकारी व टरस्ट से जुड़े लोग ठोस जवाब

देने के बजाये बहाना बना रहे हैं कि मंदिर में श्रद्धालुओं की ओर से नकली

चंादी चढ़ाई गई थी। लेकिन इस बात को कोई भी मानने को तैयार नहीं कि

श्रद्धाभाव में अपनी मन्नत पूरी होने पर कोई भी श्रद्धालु मंदिर में नकली

चंादी का छत्र चढ़ाये।

यही नहीं शिमला से यहां आडिट करने आई टीम के गले भी यह बात आसानी से गले

नहीं उतर पा रही है कि शुद्धिकरण की प्रक्रिया में करीब 42 फीसदी चांदी

ही गायब हो जाये। सूत्रों से मिली जानकारी के  मुताबिक अंकेक्षण अनुभाग

अधिकारी राजकुमार की ओर से किये गये मंदिर के आडिट में यह सारी गड़बड़ी

सामने आई। आडिट की रिर्पोट में पैरा दस में लिखा है कि चंादी स्टाक

रजिस्टर की जांच में पाया गया कि चंादी पिघलाने व शुद्धिकरण हेतू  मंदिर

आयुक्त कांगड़ा के जिलाधीश की ओर से गठित कमेटी ने 26 फरवरी 2009 से 29

फरवरी 2009 तक 374 किलोग्राम 774 ग्राम चंादी को पिघलाने काम कराया गया।

लेकिन इस प्रक्रिया में 154 किलो 949 ग्राम चंादी को नष्ट दर्शाया गया।

शेष शत प्रतिशत शुद्ध चांदी 919 किलो 825 ग्राम चंादी की ईंटे बनाकर

स्टरांग रूम में जमा करवा दी गई।

आडिटर ने अपनी रिर्पोट में संदेह जताया है कि समूची प्रक्रिया के दौरान

42 प्रतिशत चांदी नष्ट नहीं हो सकती। लिहाजा अंकेक्षण अधिकारी ने कमेटी

से ठोस तथ्येंा सहित औचित्य स्पष्ट करने के अलावा नष्ट की गई धातु किस

स्वरूप में कहां रखा गया है इसकी पूरी जानकारी मांगी है। लेकिन मंछिर

प्रशासन खमोश है

मंदिर टरस्ट के चैयरमेन देहरा के एस डी एम शिव कृष्ण पराशर ने इस मामले

पर बताया कि उन्होंने हाल ही ज्वाईन किया है। उन्हें इसकी जानकारी नहीं

है।

 उधर भाषा कला एवं संस्कृति विभाग में मंदिर मामले को देख रहे ओ एस डी

प्रेम प्रसाद पंडित ने कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो यह भारी अनियमितता है।

लिहाजा वह मामले को सरकार के नोटिस में लायेंगे। उन्होंने माना कि आडिट

रिर्पोट में कई दूसरे आब्जेक्षन भी हैं।

              इस बीच मुख्य मंदिर आयुक्त हिमाचल प्रदेश मनीषा नंदा ने

कहा कि अगर ऐसा हुआ है तो मामले का पता लगाया जायेगा। उन्होंने कांगड़ा

के मंदिर आयुक्त से विस्तृत रिर्पोट मंगाने की बात भी कही है



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