भारत की बहुमूल्य संस्कृति और सैन्य ताकत का भव्य नजारा आज राजपथ पर जमीन से आसमान तक देखने को मिला

दुनिया में सबसे अधिक विविधताओं वाले देश भारत की बहुमूल्य संस्कृति और सैन्य ताकत का भव्य नजारा आज राजपथ पर जमीन से आसमान तक देखने को मिला। तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों, पुलिस बल, एनसीसी कैडेटों और स्कूली बच्चों की परेड, ब्रह्मोस और अग्नि-5 सहित अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लैस हथियार, विभिन्न प्रदेशों और मंत्रालयों की रंग बिरंगी झांकियां और बच्चों के रंगारंग कार्यक्रम 64वें गणतंत्र दिवस समारोह का आकर्षण रहे।
    
राजपथ के दोनों ओर टकटकी बांध कर ये नजारा देखने के लिए भारी संख्या में लोग मौजूद थे। सर्दी का मौसम होने के बावजूद लोगों के उत्साह में कोई कमी नहीं थी। राजपथ से लाल किले तक आठ किलोमीटर के रास्ते पर बच्चों, बूढे और हर खासो आम का हुजूम जमा था।

राजपथ पर स्थित मुख्य समारोह स्थल पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने तिरंगा फहराया और राष्ट्रगान की धुन बजने के साथ ही परेड शुरू हो गयी। इस मौके पर गणतंत्र दिवस समारोह के मुख्य अतिथि भूटान नरेश जिग्मे खेसर नांग्येन वांगचुक सलामी मंच पर मौजूद थे।
    
रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) द्वारा विकसित 5500 से 5800 किलोमीटर तक मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल अग्नि-5 इस बार की परेड का सबसे बड़ा आकर्षण था। दिल्ली के जनरल ऑफिसर कमांडिंग लेफ्टिनेंट जनरल सुब्रोतो मित्रा ने सैन्य और पुलिस दस्तों की परेड का नेतृत्व किया। दो किलोमीटर लंबे राजपथ पर बैंड की धुनों पर पूरी लय में कदम से कदम मिलाते हुए सेना, अर्धसैनिक बलों और पुलिस के जवानों ने राष्ट्रपति को सलामी दी। बतौर राष्ट्रपति मुखर्जी ने आज पहली बार गणतंत्र दिवस परेड की सलामी ली।
    
उप राष्ट्रपति हामिद अंसारी, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह, रक्षा मंत्री एके एंटनी, संप्रग अध्यक्ष सोनिया गांधी, भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी और लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज और दिल्ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित सहित सरकार के तमाम मंत्री, विभिन्न देशों के राजनयिक, आला अधिकारी तथा गणमान्य नागरिक इस मौके पर मौजूद थे।
    
गणतंत्र दिवस के मौके पर कोई अनहोनी न होने पाये, इसके लिए पुलिस और अर्धसैनिक बलों के जवानों ने दिल्ली को किले में तब्दील कर दिया था। उपर आसमान में हेलीकॉप्टरों से निगरानी की जा रही थी और नीचे महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों और परेड के रास्ते में पड़ने वाली बहुमंजिला इमारतों पर शार्प शूटर तैनात थे। चप्पे-चप्पे पर सुरक्षाबलों का पहरा था।
    
परेड शुरू होने से चंद मिनट पहले प्रधानमंत्री के साथ थलसेना, नौसेना और वायुसेना के प्रमुखों ने अमर शहीद जवानों को इंडिया गेट पर स्थित अमर जवान ज्योति पर श्रद्धांजलि दी।
    
परंपरागत ढंग से 21 तोपों की सलामी हुई। फिर सेना के चार हेलीकॉप्टरों ने राजपथ पर उपर आसमान में उड़ान भरी। एक हेलीकॉप्टर पर तिरंगा और बाकी तीन पर थलसेना, नौसेना और वायुसेना के झंडे लहरा रहे थे। राजपथ पर एमबीटी अर्जुन टैंक, बख्तरबंद एंबुलेंस ट्रैक्ड वाहन, ब्रह्मोस मिसाइल, 214 एमएम पिनाका राकेट और 15 मीटर सर्वत्र ब्रिजिंग प्रणाली को लोगों ने गर्व के साथ देखा।
    
थलसेना की 61वीं कैवेलरी की घुडसवार इकाई, मैकेनाइज्ड इन्फैन्टरी रेजीमेंट, मराठा लाइट इन्फैन्टरी, डोगरा रेजीमेंट, गढवाल राइफल्स और प्रांतीय सेना (पंजाब) के सजीले और चुस्त जवानों ने मार्च पास्ट किया। उनके बाद नौसेना और वायुसेना के जवानों के दस्ते थे। वायुसेना के दस्ते का नेतृत्व फ्लाइट लेफ्टिनेंट हीना पोरे ने किया।
    
नौसेना ने आईएनएस विक्रमादित्य विमानवाहक पोत की झांकी पेश की। यह पोत इसी साल के अंत तक नौसेना में शामिल होगा। डीआरडीओ ने देश में विकसित युद्धक इंजीनियर समर्थन उपकरण बख्तरबंद एम्फीबियस (जल और थल दोनों में चलने में सक्षम) डोजर और नौसैनिक सोनार का प्रदर्शन किया।
    
परेड में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) के सजे धजे ऊंटों के दस्ते, असम राइफल्स, तटरक्षक बल, केन्द्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ), भारत तिब्बत सीमा पुलिस (आईटीबीपी), केन्द्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ), सशस्त्र सीमा बल (एसएसबी), रेलवे सुरक्षा बल (आरपीएफ), दिल्ली पुलिस, राष्ट्रीय कैडट कोर (एनसीसी) और राष्ट्रीय सेवा योजना (एनएसएस) के दस्तों ने भी हिस्सा लिया।
    
विभिन्न राज्यों और विभागों की रंगबिरंगी झांकियों ने दर्शकों का मन मोह लिया। पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश, ओडिशा, जम्मू कश्मीर सहित राज्यों की झांकियों में सिर्फ विभिन्न रंग ही नहीं बल्कि मधुर संगीत भी था। पिछले साल 23 क्षांकियां निकली थीं लेकिन इस बार 19 झांकियां ही निकाली गयीं। रेलवे ने डबल डेकर ट्रेन की झांकी और नेपथ्य में रेल प्लेटफार्म पर होने वाली उदघोषणा का प्रदर्शन किया। 
    
पहली झांकी पश्चिम बंगाल की थी, जो स्वामी विवेकानंद को समर्पित थी। इस साल उनका 150वां जन्मदिवस मनाया जा रहा है। उत्तर प्रदेश ने ब्रज की होली दिखायी। मेघालय ने फसल कटाई के बाद किये जाने वाले नृत्य वंगाला का प्रदर्शन किया।

कर्नाटक ने किन्नल कला को दर्शाती झांकी उतारी। जम्मू कश्मीर ने परंपरा और प्रौद्योगिकी का मेल कराती झांकी प्रदर्शित की, जिसमें पहली क्लोन पश्मीना बकरी नूरी दिखायी गयी थी ।
    
परेड में झारखंड की झांकी पांच साल के अंतराल के बाद पेश हुई। इसमें डोकरा कला का नमूना पेश किया गया। हिमाचल प्रदेश ने आदिवासी जिले किन्नौर तो केरल ने पारंपरिक हाउसबोट को अपनी झांकी में प्रदर्शित किया।

छत्तीसगढ की झांकी में शैव और विष्णु के मंदिरों के साथ साथ बौद्ध और जैन विहार के माध्यम से सांस्कृतिक समृद्धि , धार्मिक सोहार्द और वास्तुशिल्प का प्रदर्शन किया गया था। ओडिशा की झांकी भगवान जगन्नाथ की चंदन यात्रा पर केन्द्रित थी।
    
राजस्थान ने बूंदी की चित्रशाला, त्रिपुरा ने मोग समुदाय का सारंगी उत्सव, बिहार ने सिक्की घास से बनने वाला कलश, दिल्ली ने देश के सांस्कृतिक केन्द्र के रूप में, केन्द्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) ने वर्षा, ग्रीष्म और शरद ऋतु का प्रदर्शन अपनी झांकी में किया। सूचना प्रसारण मंत्रालय की झांकी भारतीय सिनेमा के 100 वर्ष पूरे होने को समर्पित थी।
    
झांकियों के पीछे वीरता पुरस्कार से सम्मानित होने वाले 22 बच्चों जिप्सी गाडियों पर सवार होकर निकले जिसके बाद 700 छात्रों ने नृत्य पेश किया। कोलकाता के छात्रों ने पुरूलिया के छाउ नृत्य का प्रदर्शन किया। दिल्ली के बच्चों ने पर्यावरण संरक्षण को लेकर नृत्य पेश किया। पश्चिमी ओडिशा का लोकनृत्य अमलवास भी पेश किया गया। फिर सैन्य सेवा कार्प्स की टोरनैडो टीम ने मोटरसाइकिल पर तरह तरह के पिरामिड और आकतियां बनाकर और करतब दिखाकर लोगों को दांतों तले अंगुली दबाने को मजबूर कर दिया। इस दौरान उनका संतुलन देखने लायक था। मोटरसाइकिल पर सबसे बडा मानव पिरामिड बनाने और एक मोटरसाइकिल पर सबसे ज्यादा लोगों को सवार करने का विश्व रिकार्ड इसी टीम के नाम है।
    
अंत में भारतीय वायुसेना का फ्लाई पास्ट हुआ, जिसमें तीन एमआई-35 हेलीकाप्टरों, तीन सुपर हरक्यूलिस, एक सी-130 जे सुपर हरक्यूलिस, आईएल-78, दो एएन-32 और दो डोर्नियर ने उडान भरी। उसके बाद युद्धक विमानों की बारी थी। पांच जगुआर और पांच मिग-29 विमान आकाश को चीरते निकले और तीन सुखोई एसयू-30 एमकेआई ने राजपथ के उपर आसमान में त्रिशूल बनाया। एक सुखोई ने आसमान में कलाबाजी भी भी खायी और फिर सीधे उपर आसमान की ओर उडान भरी।

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**VijyenderSharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road  JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
 
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