कच्ची उम्र में किसी चीज की चाहत क्या-क्या नहीं करवा लेती है। समझदारी के अभाव में नाबालिग लड़के-लड़कियां लालच में वैसे कदम उठा लेते हैं, जिनकी उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ती है। वडोदरा के सुभानपुर इलाके में रहने वाली 13 साल की एक लड़की को जब महंगे मोबाइल का शौक चढ़ा, तो उसने पैसे जुटाने के लिए वेश्यावृत्ति अपना ली।
वह करीब एक साल तक यह सब करती रही और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं लगी। हद तो यह कि लड़की हर बार अपने ग्राहक को अपने घर पर ही बुलाती रही। मामला तब उजागर हुआ जब लड़की गर्भवती हो गई। तब जाकर उसने अपनी मां से इस बारे में बारे में बताया। मां अपनी बेटी की हरकतों को सुनकर दंग रह गई और उसे काउंसलर के पास ले गई।
पहले तो लड़की काउंसलर के किसी सवाल का जवाब देने से इनकार करती रही और बाद में उसने अपने किए पर पछतावा करने के बजाय खुद को सही साबित करने पर अड़ गई, जबकि काउंसलर उसे यह बताते-बताते थक गए कि उसने जो किया वह ना केवल सामाजिक तौर पर गलत है बल्कि कानून की नजर में भी अपराध है। बहुद देर बाद लड़की ने अपनी सफाई में कहा कि वह अपने दोस्तों जैसे मोबाइल और दूसरे गैजट्स रखना चाहती थी, लेकिन मांगने पर मां ने उसे पैसे नहीं दिए। ऐसे में उसके पास सिवाय वेश्यावृत्ति के कोई चारा नहीं था।
मूल रूप से आणंद के रहने वाले एक परिवार ने उस लड़की को बचपन में ही गोद लिया था। लड़की के साथ उसके माता-पिता वडोदरा आ गए। तीन साल पहले उसके पिता की मौत हो गई। तब से घर चलाने की जिम्मेदारी उसकी मां पर आ गई, जिसका निर्वाह वह सुभानपुर इलाके में किराने की दुकान चलाकर कर रही थीं। किराने की दुकान से इतनी आय नहीं होती है कि मां अपनी बेटी के महंगे शौकों को पूरा कर सके। साथ ही उन्हें यह भी अनुमान नहीं था कि बेटी वैेश्यावृत्ति जैसा रास्ता अख्तियार कर लेगी।
जब मां दुकान पर चली जाती थी, तो लड़की घर में अकेली बच जाती। उसने अपने सेकंड हैंड फोन से अपने घर पर ग्राहकों को बुलाना शुरू कर दिया। फिर उसके पास एक से बढ़कर एक महंगे मोबाइल हो गए। लड़की के पास से वे सारे मोबाइल मिले हैं। लड़की की काउंसलिंग करने वाले ने हमारे सहयोगी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया, 'लड़की ने अपनी करतूत को जायज ठहराने की हर संभव कोशिश की। दरअसल, वह एक ऐसी जिद्दी लड़की है, जो गलत संगति में पड़ गई थी। उसके करीबी दोस्तों का समूह उसकी इन हरकतों से वाकिफ था। लेकिन, किसी ने इसके बारे में चर्चा नहीं की।'
वह करीब एक साल तक यह सब करती रही और उसकी मां को इसकी भनक तक नहीं लगी। हद तो यह कि लड़की हर बार अपने ग्राहक को अपने घर पर ही बुलाती रही। मामला तब उजागर हुआ जब लड़की गर्भवती हो गई। तब जाकर उसने अपनी मां से इस बारे में बारे में बताया। मां अपनी बेटी की हरकतों को सुनकर दंग रह गई और उसे काउंसलर के पास ले गई।
पहले तो लड़की काउंसलर के किसी सवाल का जवाब देने से इनकार करती रही और बाद में उसने अपने किए पर पछतावा करने के बजाय खुद को सही साबित करने पर अड़ गई, जबकि काउंसलर उसे यह बताते-बताते थक गए कि उसने जो किया वह ना केवल सामाजिक तौर पर गलत है बल्कि कानून की नजर में भी अपराध है। बहुद देर बाद लड़की ने अपनी सफाई में कहा कि वह अपने दोस्तों जैसे मोबाइल और दूसरे गैजट्स रखना चाहती थी, लेकिन मांगने पर मां ने उसे पैसे नहीं दिए। ऐसे में उसके पास सिवाय वेश्यावृत्ति के कोई चारा नहीं था।
मूल रूप से आणंद के रहने वाले एक परिवार ने उस लड़की को बचपन में ही गोद लिया था। लड़की के साथ उसके माता-पिता वडोदरा आ गए। तीन साल पहले उसके पिता की मौत हो गई। तब से घर चलाने की जिम्मेदारी उसकी मां पर आ गई, जिसका निर्वाह वह सुभानपुर इलाके में किराने की दुकान चलाकर कर रही थीं। किराने की दुकान से इतनी आय नहीं होती है कि मां अपनी बेटी के महंगे शौकों को पूरा कर सके। साथ ही उन्हें यह भी अनुमान नहीं था कि बेटी वैेश्यावृत्ति जैसा रास्ता अख्तियार कर लेगी।
जब मां दुकान पर चली जाती थी, तो लड़की घर में अकेली बच जाती। उसने अपने सेकंड हैंड फोन से अपने घर पर ग्राहकों को बुलाना शुरू कर दिया। फिर उसके पास एक से बढ़कर एक महंगे मोबाइल हो गए। लड़की के पास से वे सारे मोबाइल मिले हैं। लड़की की काउंसलिंग करने वाले ने हमारे सहयोगी अखबार 'टाइम्स ऑफ इंडिया' को बताया, 'लड़की ने अपनी करतूत को जायज ठहराने की हर संभव कोशिश की। दरअसल, वह एक ऐसी जिद्दी लड़की है, जो गलत संगति में पड़ गई थी। उसके करीबी दोस्तों का समूह उसकी इन हरकतों से वाकिफ था। लेकिन, किसी ने इसके बारे में चर्चा नहीं की।'