फूलों की खेती से बदली तकदीर, सालाना कमा रहे चार लाख

फूलों की खेती से बदली तकदीर, सालाना कमा रहे चार लाख
ज्वालामुखी ,  23 जुलाई (विजयेन्दर शर्मा)  ।    ज्वालामुखी विधानसभा क्षेत्र की पंचायत अधवानी के गाँव जिज्जल निवासी जसवंत सिंह ने अपनी मेहनत और महत्त्वकाँक्षा के बल पर आज कामयाबी की बुलन्दियों को छु लिया है। जसवंत के जीवन में अचानक परिवर्तन नहीं आया।  जो किसान एक साइकिल खरीदने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था, आज अचानक कार खरीदने की सोच रहा है। किसान जसवंत सिंह ने परम्परागत खेती से हट कर फूलों की खेती को अपना कर अपने परिवार की तकदीर ही बदल दी है और मिटटी से सोना पैदा करने की लग्न में आज किसानों का आदर्श बन गये हैं।
           किसान जसवंत सिंह का कहना है कि उन का परिवार दो साल पहले तक सामान्य खेती ही करता था लेकिन उस में मेहनत के हिसाब से आमदनी बहुत कम होती थी। दूसरा इलाके में बेसहारा पशु कभी कभी तो सारी मेहनत चौपट कर देते थे। परिवार में  लगातार बढ़ौतरी हो रही थी परन्तु खेती से बचत नहीं हो पा रही थी। ऐसे में उन्होंने कुछ नया करने की सोची। उन्होंने इलाके के प्रगतिशील किसान ठाकुर शमशेर सिंह जोकि काफी समय से फूलों की खेती कर रहे हैं उनसे फूलों की खेती में मुनाफे की संभावना देखी। इस के बाद उन्होंने बैंक से कर्ज ले कर बागवानी विभाग की मदद से 2 हजार स्क्वेयर मीटर में दो पोलिहौउस का निर्माण किया जिन पर लगभग 20 लाख रूपये खर्च हुये जिस  पर सरकार ने 16 लाख रुपये का आर्थिक अनुदान दिया। उन्होंने बागवानी विभाग के अधिकारियों के मार्गदर्शन में एक पोलिहाउस में जरवेरा और दुसरे में कारनेशन के फूल लगाये जिस पर भी सरकार ने साढ़े तीन लाख की आर्थिक सहायता दी। पहले साल की कमाई से ही बैंक का कर्ज वापिस कर दिया और अब फूलों की खेती से सालाना 3 से 4 लाख की आमदनी हो रही है जिस से परिवार का गुजारा बड़े अच्छे ढंग से चल रहा है।
           सब से खास बात यह कि घर की तीन बहुओं को घर में ही काम मिल गया है। तीनों बहुयें बड़ी खुशी खुशी फूलों की देखभाल और तोडऩे से लेकर पैकिंग व ग्रेडिंग का सारा कार्य महिलायें ही करतीं हैं। जसवंत सिंह ने बताया कि फूलों के गुच्छा बना कर पेटियों में पैक कर के हिमाचल परिवहन की बसों द्वारा चंडीगढ़ और दिल्ली भेजा जाता है जहां से यह फूल देश विदेश में भेजे जाते हैं। अभी एक पोलिहौउस में कारनेशन के फूलों को निकाल कर  गैंदे  के फूल लगाये हैं क्योंकि ज्वालामुखी, चिंतपूर्णी और काँगड़ा मन्दिर में पूरे साल देश विदेश से श्रद्धालुओं  के आने से गेंदे के फूलों के मांग वर्ष भर बनी रहती है और दाम भी अच्छा मिल जाता है।
          जसवंत सिंह का मानना है कि पढ़े लिखे बेरोजगार युवाओं को नौकरी  मिलने का इंतजार करने के बजाय सरकार द्वारा चलाई जा रही स्वावलम्बन की योजनाओं का लाभ उठाना चाहिये जोकि स्वरोजगार का एक सशक्त साधन हैं जिस का बेरोजगार युवाओं को अवश्य फायदा उठाना चाहिये।
           जिला काँगड़ा बागवानी उपनिदेशक  के अनुसार फूलों की खेती किसानों की आय को बढ़ाने की दृष्टि से काफी लाभप्रद है और जिले में बागवानी विभाग फूलों की खेती को स्वरोजगार के विकल्प के रूप में बढ़ाने का प्रयास कर रहा है। काँगड़ा जिले में 1 लाख 48 हजार 521 वर्गमीटर क्षेत्र को संरक्षित खेती के अंतर्गत 460 परिवारों को लाभान्वित किया गया है। किसान तथा बागवान पोलिहौउस में बेमौसमी सब्जियाँ और फूलों की खेती कर अपनी आर्थिकी को सुदृढ़ कर रहे हैं। विभाग द्वारा किसानों बागवानों को पोलिहौउस निर्माण के लिए 85 प्रतिशत अनुदान दे कर लाभान्वित किया जा रहा है।




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