श में नई जन गणना जाति आधार पर करने की कुछ नेता मांग कर रहे हैं। यह मांग बिलकुल गलत और खतरों से भरी


पालमपुर 03 अगस्त (विजयेन्दर  शर्मा)    । - हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शान्ता कुमार ने कहा है देश में नई जन गणना जाति आधार पर करने की कुछ नेता मांग कर रहे हैं। यह मांग बिलकुल गलत और खतरों से भरी है। 1930 में जाति आधार पर जन गणना हुई थी। क्योंकि उस समय देश गुलाम था। 1951 में जब जन गणना होने लगी तो जाति आधार पर जन गणना करने की मांग उठाई गई। उस समय के गृह मंत्री भारत के महान नेता सरदार बल्लभ भाई पटेल जी ने कहा कि जाति आधारित जन गणना से सामाजिक ताना-बाना बिखर जाएगा। स्वतन्त्र भारत की सरकार ने इस मांग को स्वीकार नहीं किया। अब 90 साल के बाद फिर से जाति आधार पर जन गणना की मांग बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है।
उन्होंने कहा भारत को याद रखना चाहिए कि जब देश छोटे टुकड़ों में और जातियों में बंटा। सभी कुछ सैकड़ों विदेशियों ने आकर करोड़ों के भारत को गुलाम बनाया और एक हजार साल तक भारत गुलाम रहा।
शान्ता कुमार ने कहा इस बात पर गहरा विचार किया जाना चाहिए कि 50 प्रतिशत से अधिक आरक्षण करने के बाद भी उन जातियों की गरीबी क्यों दूर नही हुई है। उन जातियों में आरक्षण का लाभ ऊपर के प्रभावशाली और अधिकारी लोग उठाते है। नीचे के गरीबों को लाभ नही होता। यही कारण है कि उन जातियों की गरीबी समाप्त नही हुई। इसीलिये सुप्रीम कोर्ट कई बार आरक्षित जातियों की क्रीमी लेअर (अमीर लोग) को हटाने की बात कह चुका है। परन्तु इन जातियों के नेता उसका विरोध करते हैं क्योंकि वही आरक्षण का पूरा लाभ उठाते है।
उन्होंने कहा नीति आयोग ने भी अपनी रिपोर्ट में कहा कि देश में गरीबी और विषमता बढ़ रही है।
शान्ता कुमार ने कहा अब जन गणना आर्थिक आधार पर होनी चाहिए। अति गरीब लोगों की अलग से पहचान होनी चाहिए। आरक्षण आर्थिक आधार पर होना चाहिए। 72 वर्ष के बाद देश अमीर हुआ है परन्तु 19 करोड़ लोग भूखे पेट सोते है। यह जातिगत आरक्षण का परिणाम है।
उन्होंने कहा आरक्षित जातियों के गरीब लोगों को यह समझना चाहिए कि उनके लिए आरक्षण का लाभ उन जातियों के ऊपर के बड़े लोग उठाते रहे इसीलिए वे गरीब रहे। जब आरक्षण आर्थिक आधार पर होगा तब ही इन गरीबों की गरीबी समाप्त होगी।
BIJENDER SHARMA

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