भाजपा के लिये आसान नहीं है सत्ता में वापसी करना ------कर्मचारियों की नाराजगी और महंगाई , बेरोजगारी पार्टी के गले की फांस बनी


भाजपा के लिये आसान नहीं है सत्ता में वापसी करना
कर्मचारियों की नाराजगी और महंगाई , बेरोजगारी पार्टी के गले की फांस बनी

  धर्मशाला , 16  अक्टूबर   ( विजयेन्दर शर्मा )  ।  हिमाचल प्रदेश में सत्ता में वापसी करना सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के लिए इतना आसान नहीं हे। जितना भाजपा दावा कर रही है।  इस बार चुनावों में भाजपा को पार्टी में चल रही अंदरूनी लडाई का नुकसान कई चुनाव क्षेत्रों में उठाना पड रहा है। वहीं, प्रदेश में प्रधानमंत्री मोदी के करिश्माई नेतृत्व का असर मतदाताओं पर नहीं हो पाया है। पार्टी शांता कुमार और प्रेम कुमार धूमल जैसे लोकप्रिय नेताओं के बगैर इस बार चुनाव मैदान में उतर रही है। पार्टी में भले ही  मौजूदा मुख्यमंत्री जय राम ठाकुर मजबूत नेता बनकर उभरे हैं। लेकिन अपने दम पर वह चुनाव नहीं जिता सकते। प्रदेश में हर बार सरकार बदलती रही है।
भाजपा को पिछले साल हुये मंडी लोकसभा उपचुनाव और तीन विधानसभा क्षेत्रों में करारी हार का सामना करना पडा था। उसके बाद कांग्रेस पार्टी के हौसले बुलंद हैं। प्रदेश की राजनीति में अहम भूमिका अदा करने वाला कर्मचारी वर्ग इस बार सत्तारूढ भाजपा से नाराज चल रहा है। कर्मचारी पुरानी पेंशन बहाली के लिये लगातार आंदोलन कर रहे हैं। तो दूसरी और महंगाई , बेरोजगारी जैसे मुद्दे भी भाजपा को परेशानी में डाल रहे हैं। भाजपा अपनी चुनावी सभाओं में जनता के मुद्दे नहीं , बल्कि कांग्रेस पार्टी में चल रहे मतभेदों में मुद्दा बना रही है।
राजनीतिक जानकार रविन्द्र सूद बताते हैं कि इस बार भाजपा भले ही कितने ही दावे करे , लेकिन जमीनी हालात ऐसे नहीं हैं। कि पार्टी आसनी से सत्ता में वापिसी कर सके। उन्होंने कहा कि इस बार  हिमाचल के लोग भाजपा के राष्ट्रवाद के मुद्दे पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दे पा रहे हैं। वहीं, कर्मचारी वर्ग खुलकर सरकार का विरोध कर रहा है। और पार्टी में अंदरूनी कलह बडा कारण है। जिससे भाजपा को नुकसान हो सकता है।
 गौरतलब है कि की राजनीति में 1985 के बाद से अब तक हर चुनाव में सत्ता बदली है। ऐसे में कांग्रेस का आत्मविश्वास बढ़ा हुआ है, जबकि भाजपा इस इतिहास को बदलने में जुटी है। बीते साल 2021 में स्थानीय निकाय और पंचायत चुनावों में भाजपा, कांग्रेस पर भारी तो पड़ी थी, लेकिन उसके दावों के मुताबिक सफलता नहीं मिली थी। इसके अलावा नवंबर में चार उपचुनावों में भाजपा को बड़ा झटका भी लगा था। भाजपा की अंदरूनी रिपोर्ट उतनी अच्छी नहीं है, जितनी पार्टी को उम्मीद थी। ऐसे में पार्टी ने आने वाले तीन महीनों के लिए अपनी रणनीति पर अमल तेज कर दिया है।
पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा ने राज्य की 68 सीटों में से 44 पर जीत हासिल की थी। कांग्रेस को 21 और माकपा को एक सीट मिली थी। दो सीटें निर्दलीय के हिस्से में आई थी। हालांकि, इसके पहले 2019 के लोकसभा चुनावों में भाजपा सभी चार सीटें जीतने में सफल रही थी। लेकिन बीते साल उपचुनावों में भाजपा को निराशा हाथ लगी थी।
इस बार , प्रदेश में चुनावों में इस बार 55 लाख 07 हजार 261 मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करेंगे। एक लाख 86 हजार 681 वोटर्स पहली बार वोट डालेंगे।  और दो लाख 78 हजार 208 पुरुष और दो लाख 72 हजार 16 महिला मतदाता हैं। मतदान के लिये 7811 पोलिंग स्टेशन बनाए जाएंगे।  और सभी उम्मीदवारों को अपने आपराधिक इतिहास की जानकारी देनी होगी।
BIJENDER SHARMA

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