आंतरिक सर्वे और सत्ता विरोधी लहर का डर भाजपा पर हावी ---नड्डा के दखल के बाद पार्टी ने देहरा और ज्वालामुखी में प्रत्याशी बदले

आंतरिक सर्वे और सत्ता विरोधी लहर का डर भाजपा पर हावी
नड्डा के दखल के बाद  पार्टी ने देहरा और ज्वालामुखी में प्रत्याशी
बदले

धर्मशाला 19  अक्तूबर:( विजयेन्दर शर्मा ) । । अपने आंतरिक सर्वे और सत्ता विरोधी लहर की वजह से डरी भाजपा ने जिला कांगड़ा के देहरा और ज्वालामुखी चुनाव क्षेत्रों में अपने प्रत्याशी बदलने के अपने निर्णय पर मुहर लगा दी है। भाजपा के राष्टरीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा के दखल बाद ज्वालामुखी के विधायक रमेश धवाला के घर डिनर पर आयोजित बैठक में नये फार्मूले पर सहमति बनी है।  भाजपा के इस निर्णय से एक ही झटके में भाजपा में हाल ही में शामिल हुये देहरा के निर्दलीय विधायक होशियार सिंह और कांग्रेस के पूर्व विधायक योग राज की उम्मीदों पर पानी फिर गया है। पिछले कई दिनों से ज्वालामुखी और देहरा में टिकट को लेकर चल रहा घमासान अब खत्म होने के आसार हैं।
  बताया जा रहा है कि नड्डा ने अपने हिमाचल दौरे के दौरान जिला कांगड़ा की राजनीतिक स्थिती का फीडबैक लिया , तो पार्टी में चल रही उठापटक की उन्हें जानकारी मिली। उसके बाद उन्होंने हमीरपुर में देहरा उपमंडल की ज्वालामुखी , देहरा और जसवां परागपुर के नेताओं के साथ बैठक करने के बाद बिलासपुर में नड्डा के साथ बैठक में पार्टी प्रभारी अविनाश राय खन्ना , केन्द्रिय मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ ताजा हालात पर मंथन किया गया और अनुराग ठाकुर और खन्ना को धवाला रवि को मनाने का जिम्मा सौंपा गया । नेताओं के दखल के बाद धवाला और रवि भी एक टेबल पर साथ बैठने को तैयार हो गये । उसके बाद धवाला के घर पर अविनाश राय खन्ना और अनुराग ठाकुर ने डिनर पर धवाला औा रवि की बैठक करवाई, और धवाला व रविन्दर रवि के चुनाव क्षेत्र बदलने पर मुहर लगा दी गई।  
           ज्वालामुखी के मौजूदा विधायक धवाला ने ज्वालामुखी में 1998 से 2017 तक पांच चुनाव लड़कर चार बार जीत दर्ज की, जबकि 2012 में चुनाव हार गए थे। लेकिन 2017 के चुनाव जीतने के बाद भाजपा के संगठन मंत्री पवन राणा से अनबन के चलते धवाला अपनी ही सरकार में हाशिये पर रहे। हालांकि सरकार ने उन्हें योजना बोर्ड का उपाध्यक्ष भी बनाया। लेकिन धवाला इसे असंतुष्ट ही रहे। यही वजह है कि धवाला को इस बार ज्वालामुखी में अपना टिकट कटने का खतरा पैदा हुआ, तो उन्होंने बागी तेवर अपनाते हुये कह दिया कि वह हर सूरत में चुनाव लडेंगे।  धवाला ओबीसी नेता हैं , और उनके भाजपा से बगावत पर भाजपा को ओबीसी वोट बैंक के टूटने का खतरा पैदा होने लगा।
       दूसरी ओर  देहरा से पिछला चुनाव हारे भाजपा नेता पूर्व मंत्री रविन्दर सिंह को मनाना भी आसान नहीं था। रवि को देहरा में पिछली बार हराने वाले निर्दलीय विधायक होशियार सिंह की एंटरी भाजपा में हुई , तो देहरा भाजपा में बवाल मच गया। और पूरा मंडल बागी हो गया। खुद रवि ने भी शर्त रख दी कि अगर होशियार सिंह को देहरा में रखना है, तो उन्हें सुलह या ज्वालामुखी से टिकट दिया जाये। डिलिमिटेशन के बाद थुरल हल्के का एक हिस्सा ज्वालामुखी , तो दूसरा सुलह में मिला है। इसी वजह से रवि अपनी दावेदारी जताने लगे। पूर्व मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल और उनके बेटे केन्द्रिय मंत्री अनुराग ठाकुर के बेहद करीबी रवि ने उन्हें जानबूझकर कमजोर करने का आरोप लगाया । रवि के बागी तेवरों का नुक्सान भाजपा को होने का अंदेशा था।  यही वजह थी कि पार्टी रवि को भी नाराज करने का जोखिम नहीं ले पाई।
 दरअसल, भाजपा को लगने लगा कि अगर रवि के तेवर नरम न हुये तो कांगडा जिला में नुक्सान उठाना पड सकता है। प्रदेश के सबसे बडे जिला कांगडा में 15 चुनाव क्षेत्र हैं। और राजपूत बहुल्य इलाके में धूमल समर्थकों का दबदबा है। और इस बार किसी राजपूत नेता को नाराज करना अपने पैरों पर खुद ही कुल्हाडी मारने जैसा होता।
 रविन्दर सिंह रवि कांगडा जिला में धूमल ख्ेमें के झंडाबरदार रहे है। उन्होंने 1993 , 1998 , 2003 , 2007 लगातार चुनाव जीते।  लेकिन 2017 में वह देहरा में होशियार सिंह के हाथों देहरा से चुनाव हार गये थे। 2012 में उनके चुनाव क्षेत्र थुरल में डिलिमिटेशन की जद् में आने के बाद देहरा भेजा गया था। थुरल का एक हिस्सा ज्वालामुखी में आया और एक हिस्सा सुलह में चला गया था।  उस दौरान कांगडा जिला के 16 चुनाव क्षेत्रों की तादाद घटकर 15 हो गई थी।
इस बीच , ज्वालामुखी  के पूर्व विधायक कांग्रेस नेता संजय रतन ने भाजपा विधायक एवं प्रदेश योजना बोर्ड के उपाध्यक्ष रमेश धवाला पर निशाना साधते हुये कहा कि संभावित हार को देखते हुये धवाला ने चुनावों से पहले ही हार मान ली। और ज्वालामुखी छोड देहरा की ओर पलायन कर गये। उन्होंने धवाला पूरी तरह नाकाम विधायक साबित हुये। जिसके चलते भाजपा ने धवाला को देहरा भेज रही है। चुनावों से पहले ही किसी मौजूदा विधायक का चुनाव छोड जाना अपने आप में स्पष्ट करता है कि उसे पता है कि वह चुनाव हारने जा रहा है।  उन्होंने कहा कि पूरे प्रदेश में कांग्रेस की लहर चल रही है, व आने वाली सरकार कांग्रेस पार्टी ही बनायेगी। लिहाजा ज्वालामुखी के साथ साथ भाजपा देहरा में भी चुनाव हारेगी।
सरकार की खुफिया एजेंसियां, सीआईडी व इंटेलिजेंस सरकार को रिपोर्ट दे चुकी हैं कि अब बीजेपी सरकार का जमीनी आधार खिसक चुका है। महंगाई, बेरोजगारी, भ्रष्टाचार, सरकारी नौकरियों की सेल, ओल्ड पैंशन स्कीम, अग्निवीर जैसे जनता को सताने वाले गंभीर मुद्दों को लेकर हिमाचल की जनता में बीजेपी के प्रति भारी गुस्सा है। इस पर फीडबैक लेकर खुफिया एजेंसियां सरकार को बता चुकी हैं कि बीजेपी सरकार के रिपीट होने के कोई आसार नहीं हैं।
BIJENDER SHARMA

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