डाडासीबा में छह अक्तूबर को सिलाई मशीनें और खेल सामग्री का वितरण करेंगे मुकेश ठाकुर
धर्मशाला , 02 अक्तूबर ( विजयेन्दर शर्मा ) । जसवां परागपुर में कांग्रेस पार्टी के टिकट की दावेदारी जता रहे मुकेश ठाकुर छह अक्तूबर को डाडासीबा में आयोजित होने वाले युवा समारोह में इलाके के युवाओं को खेल सामग्री का वितरण करने के साथ महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण करेंगे। जसवां की राजनीति में इन दिनों राजनीति में कदम रखने वाले नेता अपने अपने तरीके से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कडी में मुकेश ठाकुर की ओर से डाडासीबा में आयोजित होने वाले समारोह की ओर सबकी नजरें हैं।
धर्मशाला , 02 अक्तूबर ( विजयेन्दर शर्मा ) । जसवां परागपुर में कांग्रेस पार्टी के टिकट की दावेदारी जता रहे मुकेश ठाकुर छह अक्तूबर को डाडासीबा में आयोजित होने वाले युवा समारोह में इलाके के युवाओं को खेल सामग्री का वितरण करने के साथ महिलाओं को सिलाई मशीनों का वितरण करेंगे। जसवां की राजनीति में इन दिनों राजनीति में कदम रखने वाले नेता अपने अपने तरीके से मतदाताओं को रिझाने का प्रयास कर रहे हैं। इसी कडी में मुकेश ठाकुर की ओर से डाडासीबा में आयोजित होने वाले समारोह की ओर सबकी नजरें हैं।
जसवां परागपुर की राजनीति में अभी नया टिवस्ट आना बाकी है। भले ही संजय पराशर ने परागपुर में भीड़ जुटाकर अपनी ताकत दिखाने का प्रयास किया हो। लेकिन यह भी सच है कि पराशर अभी तक भाजपा से ही जुडे हैं।
सवाल उठ रहा है कि क्या इस सूरत में बिक्रम ठाकुर के कार्यकाल में जसवां परागपुर में त्रस्त हुये लोग और कांग्रेसी विचारधारा का कार्यकर्ता संजय पराशर को समर्थन करेगा। मुझे लगता है बिल्कुल नहीं। लेकिन अगर बिक्रम ठाकुर को दोबारा भाजपा में मैदान में उतारती है तो क्या पराशर भाजपा को अलविदा कहेंगे। इसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा।
इस बीच, यहां की राजनीति में तीसरा कारक मुकेश ठाकुर सोनू को जनरल अंदाज नहीं कर सकते। मुकेश अभी तक कांग्रेस के संग ताल ठोक रहे हैं। अगर मुकेश भी निर्दलीय तौर पर मैदान में उतरते हैं। तो सारे समीकरण गडबडा जायेंगे।
कुल मिलाकर इस बार कांग्रेस अगर सुरेंद्र मनकोटिया को मैदान में उतरती है, तो उनका हाल भी बिक्रम ठाकुर जैसा ही होगा। लोगों में दोनों ही नेताओं के प्रति गुस्सा आम तौर पर देखा जा रहा है। जाहिर है जसवां की लड़ाई रोचक होती जा रही है। और संजय पराशर और मुकेश ठाकुर यहां की राजनीति में बडे कारक बन गये हैं।
सवाल उठ रहा है कि क्या इस सूरत में बिक्रम ठाकुर के कार्यकाल में जसवां परागपुर में त्रस्त हुये लोग और कांग्रेसी विचारधारा का कार्यकर्ता संजय पराशर को समर्थन करेगा। मुझे लगता है बिल्कुल नहीं। लेकिन अगर बिक्रम ठाकुर को दोबारा भाजपा में मैदान में उतारती है तो क्या पराशर भाजपा को अलविदा कहेंगे। इसका जवाब आने वाले दिनों में ही मिलेगा।
इस बीच, यहां की राजनीति में तीसरा कारक मुकेश ठाकुर सोनू को जनरल अंदाज नहीं कर सकते। मुकेश अभी तक कांग्रेस के संग ताल ठोक रहे हैं। अगर मुकेश भी निर्दलीय तौर पर मैदान में उतरते हैं। तो सारे समीकरण गडबडा जायेंगे।
कुल मिलाकर इस बार कांग्रेस अगर सुरेंद्र मनकोटिया को मैदान में उतरती है, तो उनका हाल भी बिक्रम ठाकुर जैसा ही होगा। लोगों में दोनों ही नेताओं के प्रति गुस्सा आम तौर पर देखा जा रहा है। जाहिर है जसवां की लड़ाई रोचक होती जा रही है। और संजय पराशर और मुकेश ठाकुर यहां की राजनीति में बडे कारक बन गये हैं।