फतेहपुर में भवानी सिंह पठानिया पर कांग्रेस की विरासत को बचाने की चुनौती तो सुशांत फिर से भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में

हिमाचल चुनाव 2022
फतेहपुर में भवानी सिंह पठानिया पर कांग्रेस की विरासत को बचाने की चुनौती तो सुशांत फिर से भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगाने की तैयारी में
धर्मशाला   20  अक्टूबर   ( विजयेन्दर शर्मा )   ।  ।  कांग्रेस के दिवंगत नेता सुजान सिंह पठानिया के बीते साल निधन के बाद जिला कांगड़ा की फतेहपुर विधानसभा सीट पर हुये उप चुनावों में  कांग्रेस प्रत्याशी बने उनके बेटे भवानी सिंह पठानिया ने चुनाव जीता था। भवानी सिंह एक बार फिर अबकी बार चुनाव मैदान में है। कांग्रेस पार्टी उन्हें ही मैदान में उतारने जा रही है।  पठानिया परिवार की कर्मभूमि रही यह सीट इस बार आम आदमी पार्टी प्रत्याशी के तौर पर मैदान में उतारे गये राजन सुशांत की वजह से चर्चा में है। सुशांत के एक बार पिफर चुनाव मैदान में उतरने की वजह से यह चुनाव क्षेत्र खासी चर्चा में है। हालांकि यहां भाजपा अभी अपना प्रत्याशी तय नहीं कर पाई है।
 फतेहपुर विधानसभा क्षेत्र में इन दिनों चुनाव क्षेत्र पूरा जोर पकड रहा है। खासकर आम आदमी पार्टी प्रत्याशी राजन सुशांत लगातार बैठकें कर रहे हैं। और लोगों को अरविंद केजरीवाल के दिल्ली मॉडल की बारिकियां समझा रहे हैं। सुशांत भले ही इस बार नये दल के बैनर तले चुनाव लड रहे हों, लेकिन स्थानीय लोगों के लिये नये नहीं हैं। सुशांत यहां से पहले विधायक और मंत्री रह चुके हैं। भाजपा के बलदेव ठाकुर और कृपाल परमार के बीच टिकट को लेकर इस बार भी कशमकश चल रही है। इसी वजह से भाजपा अभी प्रत्याशी घोषित नहीं कर पाई हैं।
पिछले विधानसभा उपचुनावों में भवानी सिंह पठानिया को अपने पिता के निधन की सहानुभूति मिली और वह आसानी से चुनाव जीत गये।  उस दौरान भवानी सिंह ने भाजपा प्रत्याशी बलदेव ठाकुर को पांच हजार से अधिक मतों से हराया था। उस दौरान भी भाजपा को राजन सुशांत ने ही नुकसान पहुंचाया था। चूंकि राजन सुशांत 12 हजार से अधिक वोट हासिल करने में कामयाब रहे , यही वोट भाजपा प्रत्याशी की हार के कारण बने। भाजपा के वोट बैंक में मत विभाजन का लाभ कांग्रेस को मिला। यहां दिलचस्प तथ्य यह है कि कई बूथों पर भाजपा प्रत्याशी को सबसे कम वोट मिले।  
2012 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के दिवंगत नेता सुजान सिंह पठानिया ने न सिर्फ इस सीट से हैट्रिक लगाई थी बल्कि वे सात बार यहां से विधायक रहे। सुजान सिंह पठानिया की ही देन थी कि हिमाचल में सत्ता परिवर्तन के दौर में भी यह सीट कांग्रेस जीतती रही। 2007 के परिसीमन से पहले यह सीट ज्वाली के नाम से जाना जाता था। यहां सुजान सिंह पठानिया की विरासत को बचा पाना कांग्रेस पार्टी के लिए चुनौती है। इस विधानसभा सीट पर कुल वोटर्स की संख्या करीब 86,388 है। इसमें पुरुष मतदाताओं की संख्या 43,642 और महिला मतदाताओं की संख्या 42,746 है।  भाजपा यहां के कद्दावर नेताओं को साधकर चुनाव जीतने की कोशिश करेगी। लेकिन पिछले चुनावों की तरह इस बार भी राजन सुशांत भाजपा के वोट बैंक में नुक्सान करते हैं या नहीं यह देखने वाली बात होगी। 
BIJENDER SHARMA

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