भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में घटना से पहले मिलेगी जानकारी, धर्मशाला और शाहपुर क्षेत्र में लगेंगे पूर्व चेतावनी यंत्र
धर्मशाला, 07 जनवरी (विजयेन्दर शर्मा) । कांगड़ा जिला प्रशासन जिले में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में घटना से पहले चेतावनी उपलब्ध कराने को चार जगहों पर पूर्व चेतावनी यंत्र लगाने जा रहा है। आईआईटी मंडी द्वारा विकसित यह प्रणाली भूस्खलन की पूर्व चेतावनी देने में बेहद कारगर है।
धर्मशाला, 07 जनवरी (विजयेन्दर शर्मा) । कांगड़ा जिला प्रशासन जिले में बेहतर आपदा प्रबंधन के लिए भूस्खलन संभावित क्षेत्रों में घटना से पहले चेतावनी उपलब्ध कराने को चार जगहों पर पूर्व चेतावनी यंत्र लगाने जा रहा है। आईआईटी मंडी द्वारा विकसित यह प्रणाली भूस्खलन की पूर्व चेतावनी देने में बेहद कारगर है।
उपायुक्त डॉ. निपुण ने बताया कि भूस्खलन पूर्व चेतावनी यंत्र धर्मशाला के मैकलोडगंज रोड़ और चोला इंद्रुनाग तथा शाहपुर के डिब्बा और रूलेहड़ में लगाए जाने हैं। इस कार्य को इसी महीने में पूरा कर लिया जाएगा।
उपायुक्त ने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कांगड़ा ने आईआईटी मंडी के साथ मिलकर जिले में 10 जगहों पर भूस्खलन पूर्व चेतावनी यंत्र लगाने का करार किया है। यह कार्य तीन चरणों में किया जाना है। पहले चरण में धर्मशाला उपमंडल के मैकलोडगंज रोड़ और जयसिंहपुर उपमंडल के संधोल में यह यंत्र लगाए गए हैं। दोनों जगहों पर यह ठीक तरीके से कार्य कर रहे हैं। दूसरे चरण में अब धर्मशाला और शाहपुर की चार जगहों पर भूस्खलन पूर्व चेतावनी यंत्र लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके बाद, आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की एक टीम तीसरे चरण में लगाए जाने वाले चार यंत्रों के लिए सर्वे कर भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिन्हित करेगी। तीनों चरण मार्च 2023 से पहले पूरे कर लिए जाएंगे।
उपायुक्त ने बताया कि जिला आपदा प्रबंधन प्राधिकरण कांगड़ा ने आईआईटी मंडी के साथ मिलकर जिले में 10 जगहों पर भूस्खलन पूर्व चेतावनी यंत्र लगाने का करार किया है। यह कार्य तीन चरणों में किया जाना है। पहले चरण में धर्मशाला उपमंडल के मैकलोडगंज रोड़ और जयसिंहपुर उपमंडल के संधोल में यह यंत्र लगाए गए हैं। दोनों जगहों पर यह ठीक तरीके से कार्य कर रहे हैं। दूसरे चरण में अब धर्मशाला और शाहपुर की चार जगहों पर भूस्खलन पूर्व चेतावनी यंत्र लगाए जा रहे हैं।
उन्होंने बताया कि इसके बाद, आईआईटी मंडी के विशेषज्ञों की एक टीम तीसरे चरण में लगाए जाने वाले चार यंत्रों के लिए सर्वे कर भूस्खलन संभावित क्षेत्रों को चिन्हित करेगी। तीनों चरण मार्च 2023 से पहले पूरे कर लिए जाएंगे।