*कांगड़ा जिले में विकास परियोजनाओं में वन स्वीकृति मामलों से जुड़ी बाधाएं दूर करने को कवायद तेज*
*डीसी ने ली जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक*
धर्मशाला, 01 मार्च (विजयेन्द्र शर्मा) । कांगड़ा जिला प्रशासन ने जिले में विभिन्न विकास परियोजनाओं के लिए वन संरक्षण अधिनियम (एफसीए) और वन अधिकार अधिनियम (एफआरए) के तहत मंजूरी के मामलों में सभी बाधाओं को दूर करने के लिए प्रयास तेज कर दिए हैं।
उपायुक्त डॉ. निपुण जिंदल ने विकास परियोजनाओं को गति देने के मकसद से सभी विभागों के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने के लिए गठित जिला स्तरीय समन्वय समिति की बुधवार को धर्मशाला में बैठक ली। बैठक में कांगड़ा जिले में विकास परियोजनाओं से जुड़े एफसीए और एफआरए मामले तथा अन्य विभागीय मंजूरी से संबंधित मामलों की वस्तुस्थिति और प्रगति को लेकर विस्तार से विचार विमर्श किया गया।
मुख्यमंत्री सुखविदर सिंह सुक्खू के निर्देशानुसार गठित इस समिति का मकसद यह सुनिश्चित करना है कि विकास परियोजनाओं को गति देने को लेकर वन स्वीकृति से संबंधित मामलों में विभागों में अच्छा तालमेल हो। वहीं अंतर विभागीय अनापत्ति प्रमाण पत्रों (एनओसी) को लेकर भी बेहतर समन्वय रहे। यह कदम विकास परियोजनाओं के तेजी से कार्यान्वयन में मदद करेगा और अंततः जिले के समग्र विकास में योगदान देगा।
*विभागवार लिया विकास परियोजनाओं की प्रगति का ब्योरा*
बैठक में उपायुक्त ने विकास परियोजनाओं को लेकर एफआरए और एफसीए के मंजूरी के मामलों में प्रगति की विभागवार रिपोर्ट ली। उन्होंने अधिकारियों से जाना कि मामलों में क्लीयरेंस की स्थिति क्या है, लंबित होने के क्या कारण हैं, क्या क्या आपत्तियां लगी हैं और उनके निराकरण के लिए क्या कदम उठाए गए हैं। उन्होंने वन मंजूरी से जुड़े मामलों में लगी आपत्तियों के निदान को लेकर जरूरी मार्गदर्शन किया।
*प्रक्रियागत जानकारी बढ़ाने पर फोकस*
उपायुक्त ने कहा कि हमारा फोकस है कि सभी विभाग एफआरए और एफसीए के मामले तैयार करने की सही प्रक्रिया समझें। कई दफा विभागों को एफआरए और एफसीए से संबंधित वन मंजूरी के मामले बनाने में प्रक्रियागत जानकारी नहीं होती, और आधे अधूरे तरीके से आवेदन पर मंजूरी मिलने में देरी होती है। इसमें सुधार की गुंजाइश है। बैठक में यह प्रयास किया गया है कि सभी विभागों को इन मामलों में स्पष्टता हो जिससे जरूरी औपचारिकताएं पूरी कर सही ढंग से मामले बना के वन विभाग को सौंपे जाएं ताकि आपत्तियां न लगंे और विकास कार्यों में अनावश्यक विलंब न हो।
उपायुक्त ने कहा कि वन भूमि और गैर वन भूमि के मामलों की पहचान को लेकर भी विभागों की मदद में जिला प्रशासन तत्परता से काम करेगा। उन्होंने सभी विभागों से आग्रह किया कि वे वन विभाग को सिर्फ साधारण पत्र लिख कर एफआरए स्वीकृति के मामले न सरकाएं बल्कि सभी जरूरी दस्तावेज लगा कर ही मामला भेजें।
*एफआरए स्वीकृति को लेकर बनाएं कॉमन ऐप्लिकेशन फॉर्मेट*
उपायुक्त ने डीएफओ जिला मुख्यालय को सभी विभागों के लिए एफआरए मामलों की स्वीकृति को लेकर आवेदन करने के लिए उपयोगी कॉमन ऐप्लिकेशन फॉर्मेट तैयार करने को कहा। उन्होंने कहा इस कॉमन ऐप्लिकेशन फॉर्मेट को सभी विभागों के साथ साझा किया जाएगा। इससे सभी को आसानी होगी, जरूरी दस्तावेजों को संलग्न करने की जानकरी रहेगी तथा अनावश्यक देरी से बचा जा सकेगा।
*उपमंडल स्तर पर एसडीएम की अध्यक्षता में बनेगी समिति*
डॉ. निपुण जिंदल ने कहा कि डीसी भूमि के लंबित मामलों के निपटारे के लिए हर उपमंडल में एसडीएम की अध्यक्षता में समिति बनाई जाएगी। ये समिति हर 15 दिन में बैठक करेगी और सभी संबंधित विभाग इसमें भाग लेकर विकास परियोजनाओं को आगे बढ़ाने में आ रही दिक्कतों के निदान की दिशा में काम करेंगे।
*गैर वन भूमि के एनओसी मामले देखने को लगाएं नोडल अधिकारी*
उपायुक्त ने वन विभाग को हर मंडल में गैर वन भूमि स्वीकृति मामलों को डील करने और एनओसी जारी करने को लेकर नोडल अधिकारी नियुक्त करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि नोडल अधिकारियों की सूची व मोबाइल नंबर प्रशासन को सौंपे उसे सभी विभागों के साथ साझा किया जाएगा, ताकि सभी को आसानी रहे।
बैठक में एडीएम रोहित राठौर सहित वन, लोक निर्माण, जल शक्ति, शिक्षा, पुलिस, उद्योग सहित विभिन्न विभागों के आला अधिकारी उपस्थित रहे।