मुख्यमंत्री ठाकुर सुखविंद्र सिंह सुक्खू ने आज यहां वरिष्ठ अधिकारियों के साथ हिमाचल प्रदेश रेजिलिएंट एक्शन फॉर डवेल्पमेंट एंड डिजास्टर रिकवरी (एचपी-रेडी) परियोजना की समीक्षा की। इस परियोजना को जनवरी, 2026 से शुरू किया जाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि हिमाचल प्रदेश में जलवायु परिवर्तन के प्रतिकूल प्रभाव निरंतर बढ़ रहे हैं जिससे मानव जीवन और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे को क्षति पहंुच रही है। उन्होंने कहा कि बार-बार प्राकृतिक आपदा के कारण प्रदेश सरकार को क्षतिग्रस्त बुनियादी ढांचे की मुरम्मत पर भारी संसाधन लगाने पड़ रहे हैं।
श्री सुक्खू ने कहा कि विश्व बैंक के साथ रणनीतिक सहयोग से राज्य सरकार इस बड़ी परियोजना को लागू कर रही है, जिसमें विभिन्न परियोजनाओं का प्राथमिकता के आधार पर चुनाव किया जा चुका है। इसकी कुल लागत 2,687 करोड़ रुपये है। उन्होंने कहा कि यह मिशन न केवल वर्ष 2023 और 2025 में प्रदेश में आई प्राकृतिक आपदाओं से हुए नुकसान की भरपाई के लिए महत्वपूर्ण साबित होगा बल्कि भविष्य में आपदाओं का सामना करने के लिए राज्य के बुनियादी ढांचे की मजबूती और पुनर्निर्माण कार्य में भी सहायता मिलेगी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि एचपी-रेडी परियोजना का उद्देश्य जलवायु-संवेदनशील प्रारम्भिक चेतावनी को सशक्त बनाना, आपदाग्रस्त सड़कों, पुलों और भवनों की मुरम्मत करने के अलावा नालों का तटीकरण करना है। यह परियोजना सशक्त सार्वजनिक सेवाओं के विकास, ग्रीन पंचायतों के माध्यम से रोजगार के अवसर सृजित करने और जोखिम आधारित सामाजिक सुरक्षा व बीमा तंत्र को मजबूत करने पर भी ध्यान केन्द्रित करेगी।
श्री सुक्खू ने किसानों और बागवानों की सुविधा के लिए बुनियादी ढांचे के निर्माण पर विशेष बल दिया ताकि आपदा के दौरान उनकी आजीविका प्रभावित न हो। उन्होंने कहा कि इस परियोजना के अन्तर्गत राज्य के दस स्थानों पर सीए स्टोर बनाए जाएंगे जिससे किसानों की उपज सुरक्षित रहेगी और आपदा के समय नुकसान से बचा जा सकेगा।
अतिरिक्त मुख्य सचिव राजस्व के.के. पंत, विशेष सचिव डी.सी. राणा, परियोजना के लिए विश्व बैंक टीम प्रमुख अनूप करंथ तथा आपदा प्रबंधन विशेषज्ञ विजय और शीना अरोड़ा भी बैठक में उपस्थित थे।