धूर्त , लंपट ,कपटी , कामी, लालची
जिद्दू कृष्णमूर्ति की सभाओं में ओशो के सन्यासी उन्हें तंग करने और हल्ला मचाने जाते थे, ओशो रजनीश का अपने शिष्यों को स्पष्ट आदेश था कि महरून चोगा पहनकर कृष्णमूर्ति के ठीक सामने बैठो और जब कृष्णमूर्ति नाराज हों तो उन पर जोर जोर से हंसो।
स्वयं रजनीश ने ये बात अपने 'दिव्य प्रवचनों' में सुनाई है।
कृष्णमूर्ति की नाराजगी का वेदांती अध्यात्म द्वारा "विश्लेषण" करते हुए ओशो कृष्णमूर्ति का मजाक उड़ाते हैं और कहते है कि वे समाधिस्थ नहीं हैं स्थितप्रज्ञ नहीं हैं, वरना नाराज नहीं होते।
ये ओशो रजनीश जैसे वेदान्तिक बाबाओं की पुरानी बीमारी है। खुद कृष्णमूर्ति के खिलाफ षड्यंत्र करके अपने लोग भेज रहे हैं फिर भी वे अपनी नजर में स्थितप्रज्ञ और बुद्धपुरुष बने हुए हैं, और जिद्दू कृष्णमूर्ति अपनी सभा में घुस आए इन हुड़दंगियों की धृष्टता का सभ्यता से प्रतिकार करें तो वे क्रोधी साबित हो गये, स्थितप्रज्ञ न रहे।
और मजा ये कि ओशो के कुपढ़ सन्यासी इस बात में बड़ा आनन्द अनुभव करते हैं, इन घटनाओं को चटखारे लेकर सुनाते हैं। उनके गुरु ने उनकी नैतिकता और कॉमन सेन्स ही खत्म कर दी है।
ओशो रजनीश खुद जीवनभर बचपन से बुढ़ापे तक न जाने कितने षड्यंत्र रचते रहे, और लक्ष्मी, नीलम, विवेक और शीला से कितने ही कांड करवाते रहे। इन सब षड्यंत्र का उन्होंने खुद बड़े विस्तार से जिक्र किया है। फिर भी वे शुद्ध बुद्ध बने रहते हैं।
वे आदतन झूठ बोलने और षड्यंत्र करने वाले व्यक्ति हैं यह बात उनकी अपनी आत्मकथा में हजारों बार जाहिर होती है। वे जो करें सब धर्म है, दूसरों का किया मानवीय व्यवहार भी तुरन्त अधर्म बना दिया जाता है।
इसके विपरीत जिद्दू कृष्णमूर्ति के जीवन और कर्तृत्व को देखिये।
दुनिया की सबसे शक्तिशाली धार्मिक संस्था थियोसोफिकल सोसाइटी ने बीस साल की उम्र में ही कृष्णमूर्ति को गौतम बुध्द का अवतार घोषित कर दिया गया था। दुनियाभर के सर्वाधिक प्रभावशाली लोग उनके लिए समर्पित हो चुके थे। वे भारत के अन्य प्रसिद्ध बाबाओं और योगियों की तरह थोड़े भी चालबाज होते तो दुनिया पर राज कर सकते थे।
लेकिन वे विनम्रता पूर्वक इस बात को नकारकर अकेले आगे बढ़े। उन्होंने बुद्ध का अवतार होने के दावे को नकार दिया और जीवन भर सामान्य वेशभूषा में सामान्य जीवन जीते हुए नई मनुष्यता के लिए एक समृध्द जीवनदृष्टि देकर गए।
जरा कल्पना कीजिये कि उनकी जगह कोई राम रहीम, आसाराम या ये रजिस्टर्ड भगवान होते तो वे क्या क्या न कर डालते?
भारत के फाइव स्टार बाबाओं को समझिए और इनसे बचिए।
ये लोग इतने धूर्त होते हैं कि ये पूरी की पूरी पीढ़ी को बर्बाद करके देश और समाज को पुनर्जन्म और आत्मा परमात्मा में उलझाए रखते हैं। तत्कालीन सत्ताधीशों और धन्नासेठों की सांठगांठ से ये विषैली व्यवस्था को बनाये रखते हैं।
ऐसे धूर्त बाबा इस मुल्क की इस समाज की कोढ़ है। हर षड्यंत्र, हर चालबाजी को किसी न किसी तरह वैध ठहराना इन्हें बखूबी आता है।
Bijender Sharma*, Press Correspondent Bohan Dehra Road JAWALAMUKHI-176031, Kangra HP(INDIA)*
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