ज्वालामुखी नगर पंचायत चुनावों के लिये अब कुछ ही घंटे बाकि बचे हैं। भले ही लाऊडस्पीकर का शोर यहां थम गया

ज्वालामुखी 1 जनवरी (बिजेन्दर शर्मा) । ज्वालामुखी नगर पंचायत चुनावों के लिये अब कुछ ही घंटे बाकि बचे हैं। भले ही लाऊडस्पीकर का शोर यहां थम गया हो। लेकिन प्रत्याशी अब एक बार फिर घर घर जाकर मतदाताओं से संपर्क साधने में मशगूल हो गये हैं। अपनी अपनी जीत यकीनी बनाने के लिये हर कोई अपना तरीका इस्तेमाल कर रहा है। हांलाकि ज्वालामुखी में करीब चार हजार ही मतदाता हैं। लेकिन चुनाव शहर में हैं तो इनका महत्व बढ गया है। इस बार चुनाव पार्टी चुनाव चिन्ह पर होने की वजह से मतदाताओं की पूछ भी बढी है। हालांकि नगर के विकास के लिये दोनों दलों के पास कोई खास मुद्दा नहीं है। नहीं इस मामले पर यहां कोई चरचा हो रही है। लेकिन तमाम प्रत्याशी अपने चुनावी अभियान में पैसे को पानी की तरह बहा रहे हैं। चुनाव आयोग के दिशा निर्देंशों के विपरीत चुनाव के लिये खर्च हो रहा है। चुनावों इस बार शराबियों की जय जयकार हो रही है। उनके लिये तो मांस का भी इंतजाम है। लेकिन परेशान वह हैं जो मांस मदिरा का सेवन नहीं करते। इन दिनों हर गली मुहल्ले में मांस मदिरा बिना किसी मेहनत के मिल जा रही है। हर उम्मीदवार चाहता है कि वोटर उसके यहां इसका सेवन करके ही जाये। हालात तो यह हैं कि शराबियों की पंसद भी ऊंची हो गई है। लेकिन देने वाले बिना किसी हिचक के इसकी आपूर्ति भी कर रहे हैं। ज्वालामुखी के चुनावी समर में कौन विजयी होगा यह तो अभी नहीं पता चल सकता लेकिन चुनावी मैदान में डटे उम्मीदवार अपनी जीत यकीनी बनाने के लिये जी जान से जुटे हैं। ज्वालामुखी नगर पंचायत के लिये इन दिनों चुनावी मुहिम पूरे यौवन पर है। मतदाताओं को रिझााने के तरह तरह के नुस्खे आजमाये जा रहे हैं। व एक दूसरे के खिलाफ हर वो बात इस्तेमाल की जा रही है। जिसका आभाष शायद किसी को भी न हो। चुनावी मैदान में इस बार अध्यक्ष पद के लिये बाल्मिकी समुदाय से कंचन बाल्मिकी भी चुनाव मैदान में आ उतरी हैं। वह चुनाव जीते या न जीतें लेकिन कांग्रेस प्रत्याशी अनिल प्रभा के राजनैतिक समीकरण उनके प्रचार ने खराब करके रख दिये हैं। इलाके के दलित मतदाताओं पर उनकी नजर है। व चुनाव प्रचार के दौरान वह खसकर दलित आबादी वाले मुहल्लों में ही अपना प्रचार फिलवक्त कर रही हैं। जिससे दलित उनके साथ आ खडे हुये हैं। दलित मतदाता हमेशा ही कांग्रेस के हिमायती रहे हैं। दलित वोट इधर से उधर हो जायें तो कुछ भी हो सकता है। कांग्रेस टिकट आबंटन में ही जातिगत संतुलन बिठाने में नाकाम रही है। जिससे पार्टी में बगावत हो रही है। जिसका लाभ भाजपा को मिल रहा है। कांग्रेस की ओर से चुनावी मैदान में उतारे गये सभी प्रत्याशी आपस में ही उलझे हैं। वहीं भाजपा ने किसी को भी बागी के रूप में चुनावी मैदान में नहीं उतरने दिया। चुनाव की कमान ख्ुाद प्रदेश के खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रमेश धवाला संभाल रहे हैं। ज्वालामुखी में अब तक सात पार्षद र्है लेकिन अब यहां नौ लोग चुन कर जायेंगे। प्रचार में सबसे आगे भारतीय जनता पार्टी की प्रत्याशी पूनम दत्त चल रही हैं। वार्ड दो चुनाव मैदान में उतरी पूनम के बैनर पोस्टर आपको पूरे मंदिर मार्ग में देखने को मिल सकते हैं। पूनम दत्त को अपने परिवार की लोकप्रियता का खूब सहारा मिल रहा है। उनके मुकाबले चुनावी मैदान में उतरी कांग्रेस प्रत्याशी पिछला चुनाव हार चुकी हैं।

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