जनजातीय क्षेत्रों के लिए हैलीकाॅप्टर उड़ानें प्राथमिकता के आधार पर

जनजातीय क्षेत्रों के लिए हैलीकाॅप्टर उड़ानें प्राथमिकता के आधार पर

प्रदेश सरकार के एक प्रवक्ता ने आज यहां बताया कि राज्य सरकार प्रदेश के बर्फ वाले क्षेत्रों में प्राथमिकता के आधार पर हैलीकाॅप्टर सेवाएं उपलब्ध करवाने के प्रति कृत संकल्प है। उन्होंने कहा कि पट्टे पर लिए गए हैलीकाॅप्टर को आम जन के हित में प्रयोग में लाया जा रहा है तथा जिला प्रशासन के आग्रह पर जनजातीय क्षेत्रों के लिए उड़ानों का परिचालन किया जा रहा है।

प्रवक्ता ने कहा कि सर्दी के इस मौसम में 1 जनवरी, 2011 को भुंतर-किलाड़-अजोग-भुंतर हैलीकाॅप्टर उड़ान का परिचालन कर 23 यात्रियों और 2 व्यक्तियों के शवों को लाया गया। 5 जनवरी, 2011 को भुंतर-स्टींगरी-भुंतर हैलीकाॅप्टर उड़ान के माध्यम से 1 मरीज सहित 31 यात्रियों को तथा भुंतर-उदयपुर-भुंतर उड़ान के माध्यम से 35 यात्रियों को लाया गया। 6 जनवरी, 2011 को भंुतर-किलाड़-चंबा-किलाड़-भुंतर हैलीकाॅप्टर उड़ान के माध्यम से 76 यात्रियों को तथा 12 जनवरी, 2011 को भुंतर-सिसु-भुंतर उड़ान के माध्यम से 37 यात्रियों को और भुंतर-स्टींगरी-भुंतर उड़ान के माध्यम से 37 यात्रियों को लाया गया। 8 जनवरी, 2011 को भुंतर-सिसु-भुंतर उड़ान, जिसमें 14 यात्रियों को लाया जाना था, खराब मौसम के कारण नहीं हो पायी थी।

उन्होंने कहा कि खराब मौसम के कारण 9 जनवरी, 2011 को जनजातीय क्षेत्रों के लिए हैलीकाॅप्टर की उड़ान नहीं हो सकी थी। डीसीसीए के नियमों के अनुसार 11 जनवरी, 2011 को चालक दल को अनिवार्य अवकाश दिया गया। उन्होंने कहा कि 12 जनवरी, 2011 को सिसु गांव से लालचंद नामक रोगी को हेलीकाॅप्टर उड़ान के माध्यम से बाहर निकाला गया। जनजातीय क्षेत्रों के जिला प्रशासन से हैलीकाॅप्टर उड़ान के लिए कोई अतिरिक्त आग्रह सामान्य प्रशासन विभाग के पास नहीं आया।

प्रवक्ता ने कहा कि 13 तथा 14 जनवरी, 2011 को लाहौल में फंसे लोगों को कुल्लू लाने के लिए हैलीकाॅप्टर की चार उड़ानें तय की गयी हैं। 12 जनवरी, 2011 तक जनजातीय क्षेत्रों से 263 लोगों को भुंतर (कुल्लू) तथा चंबा लाया-ले जाया गया।
प्रवक्ता ने कहा कि इन उड़ानों में पहले आओ पहले पाओं के सिद्धांत का पालन किया जाता है, किन्तु वृद्ध, महिला, बच्चे, मरीज और परीक्षा इत्यादि के लिए जाने वाले व्यक्तियों को तरजीह दी जाती है। उन्होंने कहा कि किसी दिन अथवा दिन के लिए नियमित विशेष उड़ान के रद्द होने की स्थिति में आरक्षित यात्रियों को विशेष उड़ानों के जरिए भेजा जाता है। इन विशेष उड़ानों की घोषणा अलग से की जाती है, जबकि अगली उड़ानों के परिचालन में कोई बदलाव नहीं होता। उन्होंने कहा कि शीतकालीन हेलीकाॅप्टर सेवा के दौरान एक व्यक्ति आने-जाने के दो मौके पा सकता है। विशेष परिस्थितियों में दो से अधिक बार आने-जाने के लिए व्यक्ति को संबंधित आवासीय आयुक्त/उपायुक्त/उप मंडलाधिकारी/रेंज अधिकारी/ प्रधानाचार्य/मुख्याध्यापक के माध्यम से आयुक्त एवं प्रधान सचिव (जनजातीय विकास) से पूर्व अनुमति लेनी होगी।

प्रवक्ता ने कहा कि स्थानीय एवं सरकारी कर्मचारियांे के लिए 1500 रुपये की उपदान दर एक सीज़न में केवल दो बार आने-जाने के लिए मिलती है किन्तु यह सीमा रोगियों पर लागू नहीं है। रोगी हैलीकाॅप्टर की यह सेवा 700 रुपये प्रति यात्री की दर पर प्राप्त कर सकते हैं। अन्य के लिए यह दर 7000 रुपये प्रति यात्री है।

कर्मचारियों तथा स्थानीय/अन्य लोगों के लिए सीटों का आबंटन किलाड़ एवं केलांग के लिए 50ः50 के आधार पर, उदयपुर के लिए 40ः60 के आधार पर, काज़ा के 40ः60 के आधार पर, सगनम के लिए 30ः70 के आधार पर तथा लाहौल-स्पिति के अन्य क्षेत्रों के लिए 30ः70 के आधार पर किया जाता है। भुंतर, उदयपुर, बारिंग, स्टींगरी, रावा, किलाड़, चम्बा, अजोग, साच, तिंदी, तांदी, तिंगरिट, जिस्पा और सिसु में सम्पर्क अधिकारी तैनात किए गए हैं, जो यात्रियों की जानकारी और सीट आरक्षण की जानकारी प्रदान करते हैं।

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