मुख्यमंत्री प्रो. प्रेम कुमार धूमल कहा कि प्रदेश सरकार ने आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों के 340 पद सृजित किए हैं, जिनमें से 241 पदों का भर दिया गया है। उन्होंने कहा कि राजीव गांधी स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय को आयुर्वेदिक विश्वविद्यालय बनाने के प्रयास किए जा रहे हैं।
प्रो. धूमल ने आज राजीव गांधी स्नातकोत्तर आयुर्वेदिक महाविद्यालय, पपरोला में 5 करोड़ रुपये की लागत से निर्मित होने वाले वृद्धावस्था देखभाल केन्द्र तथा नर्सिंग हाॅस्टल की आधारशिला रखने के उपरांत जनसभा को संबोधित करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि निकट भविष्य में यह महाविद्यालय देश का बेहतरीन आयुर्वेदिक कालेज बनकर उभरेगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि 1,153 आयुर्वेदिक संस्थानों के माध्यम से प्रदेश के लोगों को सेवाएं प्रदान कर रहे हैं जिनमें प्रशिक्षित व अनुभवी चिकित्सक कार्य कर रहे हैं। आयुर्वेदिक चिकित्सा अधिकारियों के 340 स्वीकृत पदों में से 241 पद भर दिए गए हैं, जिनमें से 165 को विभिन्न चिकित्सा संस्थानों मंे तैनात किया गया है। 76 चिकित्सा अधिकारियों को बैच के आधार पर भरा गया है जबकि 79 को हिमाचल प्रदेश लोक सेवा आयोग के माध्यम से भरा जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचकर्म केन्द्रों को 6 से बढ़कार 16 किया गया है और क्षार चिकित्सा केन्द्रों को भी 2 से बढ़ाकर 9 किया गया है। विभाग में 294 दैनिक वेतनभोगियों को नियमित किया गया है, जबकि 231 अंशकालिक कर्मियों को पूर्णकालिक दैनिक वेतनभोगी बनाया गया है। गत तीन वर्षों में तृतीय व चतुर्थ श्रेणी के 293 कर्मचारियों को लाभान्वित किया गया है।
प्रो. धूमल ने कहा कि राज्य में वृद्धावस्था में अभिभावकों के हित सुरक्षित करने के लिए वैधानिक प्रावधान कर अभिभावकों की देखभाल के लिए उनके बच्चों को उत्तरदायी बनाया गया है। उन्होंने कहा कि यह बच्चों का कत्र्तव्य बनता है कि वे अपने वृद्ध अभिभावकों की देखभाल करें। इस बात को समझने की भी आवश्यकता है कि आज के संदर्भ में भारतीय परिवार पद्धति प्रासंगिक है अथवा नहीं। भारतीय संस्कृति और विभिन्न प्रणालियों को पूरे विश्व में उनकी गुणवत्ता व घटकों के कारण जाना जाता है। नयी पीढ़ी पश्चिमी संस्कृति से प्रभावित हो रही है, जो गर्व नहीं बल्कि आत्मावलोकन का विषय है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आयुर्वेद का प्रादुर्भाव भारत में हुआ जो पूरे विश्व में प्रसिद्ध है। इस पद्धति के कोई दुष्प्रभाव नहीं है और इसमें बीमारी को जड़ से नष्ट करने की क्षमता है। इस पद्धति की गुणवत्ता के कारण ही विश्व भर के लोग आयुर्वेदिक पद्धति से उपचार के लिए प्रेरित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि कृषि में विविधता लाने के लिए किसानों को औषधीय जड़ी-बूटियों को उगाने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उन्होंने महाविद्यालय में शोध व विकासात्मक गतिविधियों पर बल दिया, ताकि शोध से उपचार में गंभीर बीमारियों के उपचार में सहायता मिल सके। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पद्धति के सुदृढ़ीकरण के लिए औषधीय पौधों की जानकारी होना आवश्यक है तथा मूल्यवान एवं लुप्तप्राय औषधीय पौधों को पुनः उगाने की आवश्यकता है।
प्रो. धूमल ने कहा कि बैजनाथ में 6.24 करोड़ रुपये की लागत से पंचायती राज प्रशिक्षण संस्थान का निर्माण किया जा रहा है, जबकि पंचायती राज संस्थानों के नव निर्वाचित प्रतिनिधियों को प्राथमिकता के आधार पर प्रशिक्षण प्रदान करने के लिए 12.24 करोड़ रुपये व्यय किए जा रहे हैं, जिसके लिए समय सारिणी तैयार की गई है।
उन्होंने कहा कि बैजनाथ के निकट बीड़ में पैराग्लाइडिंग स्पर्धाओं के लिए आधारभूत
इस अवसर पर मुख्यमंत्री राहत कोष के लिए काॅलेज प्रधानाचार्य डा. चंचल शर्मा ने 11 हजार रुपये तथा डा. जे.आर सांख्यान ने 5100 रुपये और पपरोला ग्राम पंचायत के प्रधाने श्री मुकेश कुमार ने 2100 रुपये प्रो. प्रेम कुमार धूमल को भेंट किए।
स्वास्थ्य मंत्री डा. राजीव बिंदल ने मुख्यमंत्री का वृद्ध देखभाल केंद्र का शिलान्यास करने के लिए आभार व्यक्त किया जिसके बनने से उत्तर भारत के पांच राज्यों के लोग लाभान्वित होंगे। उन्होंने कहा कि डा. राजेंद्र प्रसाद राजकीय मेडिकल काॅलेज टांडा में एम.डी, एम.एस पाठ्यक्रमों में 50 सीटें आरंभ की जानी संभावित हंै। आयुर्वेदिक काॅलेज पपरोला में 11 विषयों में स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम आरंभ किए गए हैं। स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए चार विषयों को आरंभ करने के प्रयास किए जा रहे हैं। भारत सरकार से कुल सीटों की संख्या 50 से 100 करने का मामला भी उठाया गया है। उन्होंने कहा कि वरिष्ठ नागरिकों के स्वास्थ्य उपचार के लिए यह काॅलेज महत्वपूर्ण
भूमिका निभाएगा तथा राज्य एवं पड़ोसी राज्यों के चिकित्सा व्यवसायियों को भी प्रशिक्षण की सुविधा मिलेगी। उन्होंने कहा कि जोगेंद्रनगर में हर्बल गार्डन स्थापित होने से प्रदेश में जड़ी-बूटियों के उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा। जोगेंद्रनगर में फार्मेसी काॅलेज भवन की आधारशिला भी रखी जाएगी तथा पपरोला में नर्सिंग काॅलेज प्राथमिकता के आधार पर आरंभ किया जाएगा।
वूलफैड के अध्यक्ष श्री त्रिलोक कपूर ने मुख्यमंत्री का स्वागत करते हुए पपरोला में उत्तर भारत के अपनी तरह के पहले शोध केंद्र का शिलान्यास करने के लिए उनका आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि प्रो. धूमल के नेतृत्व में गद्दी समुदाय के हित सुरक्षित हैं तथा उनके लिए अनेक योजनाएं आरंभ की गई हैं।
भारत सरकार में आयुर्वेद के सलाहकार डा. एस. के शर्मा ने आयुर्वेद चिकित्सा पद्धति की पृष्ठभूमि पर प्रकाश डालते हुए कहा कि आयुर्वेद लोगांे को सम्पूर्ण स्वास्थ्य उपचार की सुविधा प्रदान करता है। उन्होंने मुख्यमंत्री से काॅलेज में बी.ए.एम.एस की सीटों को दोगुना करने एवं स्नातकोत्तर सीटों को बढ़ाने का आग्रह भी किया। भारत सरकार के सहयोग से पपरोला में रक्त एकत्रीकरण एवं रक्त संचारण की सुविधा उपलब्ध करवाई जा सकती है। उन्होंने कहा कि गुणात्मक अधोसंरचना के स्तरोन्नयन से यह काॅलेज देश का श्रेष्ठ काॅलेज बन सकता है।
आयुर्वेद विभाग के निदेशक श्री पी.एस ड्रैक ने धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस केंद्र के शिलान्यास से राज्य की स्वास्थ्य अधोसरंचना में एक अन्य मील पत्थर जुड़ गया है।
केंद्र के नोडल अधिकारी डा. बी.एल मेहरा ने काॅलेज के शैक्षणिक पाठ्यक्रम में शामिल की गई गतिविधियों पर प्रकाश डाला।
सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य मंत्री श्री रविंद्र रवि, उद्योग मंत्री श्री किशन कपूर, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री श्रीमती सरवीन चैधरी, विधायक एवं प्रदेश भाजपा महासचिव श्री विपिन परमार, विधायक श्री संजय चैधरी, पंचायत समिति अध्यक्ष श्री अशोक कुमार, बैजनाथ भाजपा मंडल अध्यक्ष श्री चमन लाल ग्रोवर, उपायुक्त श्री आर.एस गुप्ता, वरिष्ठ अधिकारी एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
कार्यक्रम के पश्चात् मुख्यमंत्री ने जन शिकायतें भी सुनीं। प्रदेश सरकार के वरिष्ठ अधिकारी तथा अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।